आर्थिक नियोजन भारत सरकार की निति से सबंधित एक कार्यक्रम है। आर्थिक नियोजन का अर्थ एक संगठित आर्थिक प्रयास है। इस नियोजन में आर्थिक साधनों का विवेकपूर्ण ढंग से नियंत्रण किया जाता है। बजार की शक्ति की गतिविधियों को समाजिक प्रक्रिया से उपर ले जाने के लिए राज्य हस्तेक्षप की व्यवस्था लागु की गई है। आर्थिक नियोजन 20वि सदी की देन है। इस प्रणाली में निजी संपति के अधिकार को सुरक्षा प्रदान की गई और प्रत्येक व्यक्ति को व्यावसायिक स्वतंत्रता प्रदान की गई। सर्वप्रथम 1928 में सौवियत संघ में पहली बार नियोजन को आर्थिक विकास के साधन के रूप में अपनाया गया था। इससे अन्य देशो में भी घर प्रभाव पडा था।
आर्थिक नियोजन की विशेषताए
निश्चित समय : आर्थिक नियोजन एक निश्चित समय के लिए है, जिससे तय किये गई धैर्य के लिए उपयोग किया जाता है।
योग्य मात्रा में साधनों का विभाजन : प्राप्त किए गई साधनों का वैज्ञानिक प्रकार न्यायपूर्ण निति से इस तरह विभाज होता है, की समान्य हितो एवं उद्देश्य को पूरा कर सके। उपलब्ध साधनों का प्रयोग बहुत जरुरी वस्तुओ की प्राथमिकता के क्रम के अनुसार किया जाता है।
तय किए गई कार्य और प्राथमिकताओ का निर्धारण : आर्थिक नियोजन का सर्व प्रथम उद्देश्य तय किए गई कार्य का निर्धारण करना है। यह कार्य सोच समझ कर निर्धारित किया जाता है।
योजना लंबे समय तक होना : अथिक नियोजन एक लंबे समय की प्रक्रिया है। इसमें एक के बाद एक योजना चलाई जाती है। जिनमे आपस में लंबे समय तक सबंध होता है। कम समय की योजना भी लंबे समय के लिए अधारा का काम देती है। यह कार्य आगे भी चलता रहता है। भारत में पंचवर्षीय योजना पंचवर्षीय के आधार पर चलाई जाती है।
आर्थिक नियोजन के उद्देश्य
- हर एक विकाशील देश अपने देश के बेरोजगार तथा गरीबी को दूर करने के लिए आर्थिक नियोजन का सहारा लेता है।
- सार्वजनिक क्षेत्र का विस्तार करके उन क्षेत्रो में सरकार पूंजी विनियोग करती है।जिससे निजी उधोगपति पूंजी विनियोग करने में असमर्थ होते है। या फिर निजी उधोगपति एकाधिकारी की स्थिति में पहुचकर शोषण की निति अपना रहे हो।
- आर्थिक असमानता को कम करने और लोगो को समाजिक न्याय दिला ने के लिए समाजवादी समाज का निर्माण में यह नियोजन बहुत सहायक होता है।
- इसका उद्देश जनसख्या वृद्धि को नियंत्रित करना होता है।
- अल्पविकसित क्षेत्रो का विकास करना।
- इसका उद्देश्य मूल्यों में स्थिरता लाने का होते है।
भारत में आर्थिक नियोजक का महत्त्व क्या है?
देश की आयत में वृद्धि: आर्थिक विकास से देश का उत्पादन और अच्छे से बढेगा और देश के आयति विकास में वृद्धि होगी।
कम साधनों का अनुकूलतम उपयोग : अल्प विकसित देश में साधनों की मात्रा सिमित होती है, और उनका सही ढंग से पूरा उपयोग नही हो पाता इस लिए कम साधनों के अनुकूलतम उपयोग के लिए नियोजन बहुत जरूरी है।
उत्पादन वृद्धि: किसी भी देश में उत्पादन की प्रक्रिया नियोजन से होगी तो देश के उत्पादन में अधिक वृद्धि होगी।
जीवन स्तर में वृद्धि: नियोजन की प्रक्रिया से देश की आय और हर एक व्यक्ति की आय बढ़ेगी तो देश में रहने वाले लोगो का जीवन स्तर में वृद्धि होगी।
इष्टंतम आर्थिक विकास: आर्थिक नियोजन से देश का इष्टतम आर्थिक विकास होता है। इस योजना से देशके कृषि क्षेत्र और ओधोगिक क्षेत्र का ही इष्टतम विकास किया जाता है।
व्यक्ति की आर्थिक आवक में वृद्धि: इससे जब देश की आर्थिक आवक में वृद्धि होगी तो प्रति व्यक्ति की आर्थिक आवक में भी वृद्धि होती है।
जनसंख्या की वृधि में नियंत्रण : आर्थिक नियोजन की सहायता से देश की जनसंख्या की वृद्धिको काबू में करने के प्रयोगों को अपनाया जा सकता है।
रोजगार क्षेत्र में वृद्धि: किसी भी देश में जब नियोजन जिस देश में अपनाया जाएगा तब देश का आर्थिक विकास होगा, और ओधोगिक विकास होगा एवं रोजगारी के क्षेत्र में वृद्धि होगी।
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दोस्तों हमारे आज के इस आर्टिकल में हमने आपकोआर्थिक नियोजन का अर्थ, परिभाषा एवं उद्देश्य के बारे में बताया जैसे की आर्थिक नियोजन की विशेषताए, उद्देश्य, भारत में आर्थिक नियोजन का महत्व क्या है? और सामान्य ज्ञान से जुडी सभी जानकारी से आप वाकिफ हो चुके होंगे।
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