अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व के जाने माने और एक महान वैज्ञानिक और थ्योरिटिकल भौतिकशास्त्री थे, जिन्होंने साधारण रिलेटिविटी की थ्योरी को विकसित किया है। अल्बर्ट आइंस्टीन विज्ञान के दर्शन शास्त्र को प्रभावित करने के लिए और उर्जा के समीकरण सूत्र “E=MC Square” के लिए इनका नाम पुरे विश्वमें प्रिसिद्ध है। आइंस्टीन ने बहुत से आविष्कार किये है, जिस में से कई अविष्कार के लिए आइंस्टीन का नाम इतिहास के पन्नो में दर्ज हो गया। आधुनिक युग को विज्ञान से सरल बनाने में इस महान वैज्ञानिक का बहुत बड़ा योगदान रहा है। सन 1921 में आइंस्टीन को उनके अविष्कारों के लिए नोबल पुरस्कार से नवाजा गया था। उन्होंने कड़ी मेहनत कर यह मुकाम हासिल किया था। वह एक सफल एवं बहुत बुद्धिमान वैज्ञानिक थे। इनको गणित (Maths) बहुत अच्छा लगता था। आइंस्टीन भौतिकी को अच्छे से समझाने के लिए बहुत से आविष्कार (Invention) किये है, जो की लोगो के लिए प्रेरणादायक है।
अल्बर्ट आइंस्टीन का जीवन परिचय व इतिहास (Biography and history of albert Einstein)
अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म, परिवार, पुरस्कार और मृत्यु नीचे दी हुई सूची में दर्शाई गई है :
जन्म – 14 मार्च 1879 ( को उल्म, वुर्ट्टनबर्ग, जर्मन साम्राज्य में ) |
मृत्यु – 18 अप्रैल 1955 ( को प्रिंसटन, न्यू जर्सी, USA ) |
पिता – हरमन आइंस्टीन |
माता – पॉलिन आइंस्टीन |
जीवन संगिनी – मिलेवा मेरिक ( 1903 – 1919 ), एल्सा ( 1919 – 1936 ) |
पुरुस्कार – भौतिकी में नोबेल प्राइज ( 1921 में ) |
बच्चे – हंस अल्बर्ट आइंस्टीन, एडवार्ड आइंस्टीन और Lieserl Maric |
अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म और शिक्षा (Birth and education of Albert Einstein)
अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म जर्मनी के उल्म शहर में 14 मार्च सन 1879 को एक यहूदी परिवार हुआ था। उनके पिता का नाम हरमन आइंस्टीन और माता का नाम पोलीन आइंस्टीन था। हरमन आइंस्टीन एक सेल्समेन और इंजीनियर थे, जो लोगो को बिजली के उपकरण को सप्लाई करते थे। सन 1980 में हरमन आइंस्टीन और पोलीन आइंस्टीन उल्मा से 160 किलोमीटर दूर म्युनिक (Munich) में रहने आ गए।
वहा सेटल होकर अलबर्ट के पिता हरमन आइंस्टीन और आइंस्टीन के चाचा (Uncle) जैकोब आइंस्टीन दोनों ने मील कर एक कंपनी का शुरुआत कि जिसका नाम “इलेक्ट्राटेक्निक फ्रैबिक जे आइंस्टीन एंड सी”(Elektrotechnische Fabrik J. Einstein & Cie) था, जो की बिजली के उपकरण बनाती थी।
अलबर्ट आइंस्टीन के 1881-1888 बिच का जिवन परिचय (The Life of Albert Einstein Between 1881-1888)
अलबर्ट के जन्म के दो साल बाद अल्बर्ट की बहन का जन्म हुआ, उसका नाम उनके माता-पिता ने माजा (Maja) रखा। अल्बर्ट अपनी छोटी बहन को पाकर बहुत खुश हुए थे। अल्बर्ट हर सामान्य बच्चो से अलग थे, उनको बोलने में भी काफी मुश्किल होती थी और उनका सिर भी सामान्य बचो से काफी बड़ा था। माना जाता है की आइंस्टीनजी लगभग चार साल तक कुछ भी बोल नहीं सके थे, फिर एक दिन अल्बर्ट आइंस्टीन जब खाना खा रहे थे, तब पहली बार अल्बर्ट बोले कि “सूप काफी गर्म है।” यह सुनकर अल्बर्ट के माता-पिता दंग रह गए और बहुत खुश भी हुए थे।
अल्बर्ट आइंस्टीन को अपने उम्र के लडको के साथ नहीं खेलते थे। उन्हें अकेले घूमना और शांत रहना बहुत पसंद था। अलबर्ट हमेशा प्रक्रति और ब्रह्मांड के बारे में सोचा करते थे। आइंस्टीन जब पाच साल के हुए तब अल्बर्ट के जन्म दिन पर उनके पिता हरमन आइंस्टीन ने उन्हें एक दिशा सूचक यंत्र (Compass) दिया था।
चुम्बकीय कंपास देखकर आइंस्टीन बहुत खुश हुए और उनके भीतर एक प्रश्न का उद्भव हुआ की आखिर क्यों इस कंपास की सुई हमेशा उत्तर दिशा की और रहती है? इस प्रश्न के साथ ही आइंस्टीन के अंदर का एक जिज्ञासु इंसान जाग गया।
अल्बर्ट पाच साल का हुआ तब उसे म्युनिक प्राइमरी स्कूल में डाल दिया गया, लेकिन उसे बोलने में मुश्केली की वजह से आइंस्टीन को स्कूल कुछ समय बाद भेजा गया था। अल्बर्ट को स्कूल जाना बिलकुल पसंद नहीं था, क्युकी उन्हें स्कूल एक कैद खाने की तरह लगता था।
आइंस्टीन ने स्कूल में वायोलिन बजाना सिखा। अल्बर्ट कुछ अध्यापक से कुछ अपने माता से धीरे-धीरे संगीत सीखते-सीखते संगीत से प्यार हो गया। उन्होंने अपने वायोलिन का नाम लीना रखा था।
अल्बर्ट आइंस्टीन 1888-1993 के बिच की शिक्षा (Albert Einstein’s Education Between 1888-1993)
तीन साल बाद जब अल्बर्ट आठ साल के हुए तो उनका प्रवेश लुइटपोल्ड जिम्नेजियम स्कूल (Luitpold Gymnasium School) में किया गया। इस स्कूल को आज “अल्बर्ट आइंस्टीन जिम्नेजियम” के नाम से जाना जाता है।
सभी को पता है की उस समय यहूदीयो के लिए बहुत समस्या थी, आइंस्टीन एक यहूदी परिवार से थे, इस वजह से उन्हें भी कई प्रकार की समस्याओ का सामना करना पड़ा था। एक यह भी कारण था की, यहूदी परिवार से होने के वजह से आइंस्टीन को बच्चे चिढाया करते इस वजह से स्कूल जाना बिलकुल पसंद नहीं था। अल्बर्ट धार्मिक पुस्तक भी पढते थे। उसने बाइबल पढ़कर धर्म को समझने की कोशिश की उन्हें इस से एक बात पता चली की हर धर्म अच्छी बात सीखाते है, लेकिन हर इंसान इसे अपने स्वार्थ के लिए इस्तमाल करता है।
यह सब के बिच आइंस्टीन का एक दोस्त बना, जिसका नाम था मैक्स टलमे (Max Talmey) था, मैक्स टलमे उम्र में अल्बर्ट से बड़ा था। मैक्स टलमे चिकित्सा विज्ञान का छात्र था। वो अल्बर्ट को घर पर ट्यूशन पढ़ाने आता था।
अल्बर्ट आइंस्टीन की उम्र के हिसाब से उसे मैथ्स और फिजिक्स का ज्ञान ज्यादा था। अलबर्ट आइंस्टीन ने सिर्फ 12 साल की उम्र में पायथागोरस ठेओरीएस का अपना ही एक प्रूफ दे दिया और उसी के साथ कैल्कुलस (Calculus) पढ़ लीया था। चौदह साल की उम्र में इंटीग्रल कैल्कुलस (integral calculus) में महारथ (Mastery) हासिल कर लिया था।
अल्बर्ट के चाचा (Uncle) जैकोब आइंस्टीन उनके साथ ही रहते थे। आइंस्टीन को अपने चाचा के साथ बहुत अच्छा लगता था। अल्बर्ट को जब एलजेब्रा समझने में दिक्कत हो रही थी तब उनके चाचा जैकोब ने उसे बड़े अच्छे और सरल तरीके से अल्बर्ट को समझाया था।
इस सबके बिच अल्बर्ट के पिता हरमन आइंस्टीन की कंपनी ने म्यूनिक में बिजली सप्लाई करने के लिए बोली लगाई लेकिन ये काम उन्हें मिल न सका उस समय उनके पास इतने पैसे नहीं थे की वे डायरेक्ट करंट के उपकरणों को अल्टरनेटिव करंट में बदल सके।
इसी कारण उनकी कंपनी को बहुत बड़ा नुकसान हुआ ये नौबत आगयी की उनको ये कंपनी को बंद करनी पड़ी। अब आइंस्टीन के परिवार के पास कोई पैसे का सोर्स नहीं जिस वजह से व्यापर की तलाश में आइंस्टीन के परिवार म्युनिक (Munich) छोड़कर इटली के शहर मिलान शिफ्ट हो गए।
फिर कुछ महीनो के बाद इटली के पवैया (Pavia) चले गए, लेकिन लुइटपोल्ड जिम्नेजियम स्कूल (Luitpold Gymnasium School) में अल्बर्ट को अपनी पढाई पूरी करने के लिए अपने चचेरे भाई (Cousin) के साथ म्युनिक में ही रुकना पड़ा। अल्बर्ट ने बहुत प्रयास किये अपने परिवार के साथ जा सके लेकिन उनके पिता नहीं माने। अल्बर्ट को अपने परिवार के चले जाने से बहुत दुःख हुआ।
अल्बर्ट के पिता हरमन आइंस्टीन अल्बर्ट को इलेक्ट्रिकल इंजीनियर बनाना चाहते थे। हरमन आइंस्टीन का सपना था की अल्बर्ट इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल कर, बहूत बड़ा इंजीनियर बने। अल्बर्ट आइंस्टीन को लुइटपोल्ड जिम्नेजियम स्कूल बिलकुल पसंद नहीं था क्युकी अल्बर्ट यहाँ के पढ़ाने का तरीका बिलकुल पसंद नहीं था। इस लिए आइंस्टीन स्कूल के प्रशासन (Administration) के साथ भीड़ गए, लेकिन इस से कुछ नहीं हुआ। इस वजह से दिसंबर 1894 में बीमारी का बहाना बनाया और डॉक्टर से अल्बर्ट को स्कूल के लिए मेडिकली अनफिट दिखाने के लिए कहा। इस से अल्बर्ट अपने परिवार के पास पवैया (Pavia) इटली आ गए।
आइंस्टीन को इटली में देख कर उनके पिता हरमन आइंस्टीन बहुत गुस्सा हुए क्युकी अल्बर्ट अपनी पढाई छोड़ कर वापस आ गए थे। आइंस्टीन को इटली में घूमना बहुत अच्छा लगता था। अल्बर्ट कभी पहाड़ पर और बहुत सी अच्छी जगह घुमने निकल जाते थे।
अल्बर्ट ने केवल 15 साल की उम्र में सन 1894 में अपना पहला रिसर्च पेपर प्रकाशित किया। इस का शीर्षक (Topic) था “ऑन द इन्वेस्टिगेशन ऑफ़ द स्टेट ऑफ़ द ईथर इन द मैग्नेटिक फील्ड” (On the Investigation of the State of the Ether in the Magnetic Field)
अल्बर्ट आइंस्टीन का सन 1894-1900 के बिच का जीवन (Between 1894-1900)
अल्बर्ट 16 साल के हुए, उन्हें उनके माता-पिता ने अपने भविष्य के बारे गंभीरता से सोचने को कहा। अल्बर्ट के पिता हरमन आइंस्टीन का कहना था की अल्बर्ट को इलेक्ट्रिकल इंजिनियर की डिग्री हासिल करो। अल्बर्ट के पिता के बताये गए अनुसार आइंस्टीन जुरिच (Zurich) के स्विस फ़ेडरल पोलिटेक्निक में प्रवेश परीक्षा (Entrance Examinations) में बैठे। जब उस परीक्षा का नतीजा आया, अल्बर्ट को स्विस के प्रिंसिपल ने बुलाया और कहा तुम्हारे अंक भौतिक विज्ञानं में और गणित में काफी अच्छे है लेकिन तुम बोटनी, जूलोजी, फ्रेंच में फ़ैल हो गए हो। अल्बर्ट आइंस्टीन के विनंती करने पर स्विस के प्रिंसिपल ने कहा तुम क्लास में भाग (Attend) ले सकते हो लेकिन तुम स्कूल के छात्र नहीं रहोगे। यह सुन कर आइंस्टीन बोले लेकिन सर मुझे डिग्री चाहिए। यह बात सुनकर प्रिंसिपल ने सलाह (Advice) दी की स्विट्जरलैंड के आराओ (Aarau) में स्थित एक स्कूल है। उस स्कूल का नाम अरगोविन कैटोनल स्कूल (Argovian Cantonal School) है, जहा एक साल तुम फ्रेंच, जूलोजी और बाकी के विषय पढ़ सकते हो। प्रिंसिपल की सलाह पर आइंस्टीन जुरिच (Zurich) से लगभग 20 मील दूर आरओ स्विट्ज़रलैंड (Aarau Switzerland) आ गए। जहा उनको जोस्ट इंटेलेर जोस्ट (Jost Winteler) के घर पर ठहरना पड़ा जो आरगोविन कैंटोनल स्कूल के शिक्षक थे। इस वजह से उन दोनों के बिच अच्छी दोस्ती हो गई। वहा जोस्ट इंटेलेर की बेटी मारिया इंटेलेर (Marie Winteler) को देखते ही अल्बर्ट उसे प्यार कर बेठे। साथ रहने की वजह से आइंस्टीन और जोस्ट इंटेलेर के परिवार के साथ गहरा लगाव हो गया।
भविष्य में यह दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दिया गया, लेकिन अल्बर्ट की शादी मारिया से नहीं हुई थी बल्कि आइंस्टीन की बहन माज़ा (Maja) की शादी जोस्ट इंटेलेर के बेटे पॉल इंटेलेर (Paul Winteler) के साथ करदी गई थी।
यहाँ से अल्बर्ट आइंस्टीन को एक नई राह मील गई, यहाँ से उनके अंदर कई प्रश्न होने लगे की अगर में लाईट को पकड सकू, और में लाईट पर बेठ कर सफर कर सकू, ये दुनिया कैसी दिखेगी? सन 1896 में आइंस्टीन किसी भी देश के नागरिक नहि थे, क्युकी उन्होंने सन 1896 में जर्मनी की नागरिकता छोड़ दी थी।
सितम्बर 1896 में अल्बर्ट ने सेकेंडरी स्कूल की पढाई अच्छे अंको के साथ पास की फिर वापस जुनीच (Zunich) आकर अल्बर्ट ने फिर से फ़ेडरल पोलीटेक्निक में प्रवेश परीक्षा (Entrance Examinations) दी। इस बार उनका प्रवेश (Admission) हो गया। यहाँ पर अल्बर्ट का पहला दिन था, जब वो अपनी कक्षा (Class) में गए तब उनकी मुलाकात मिलेवा मैरिक (Mileva Maric) से हुई।
एक अध्यापक ने बताया की अल्बर्ट यह वो छात्रा है, जिसे तुमसे ज्यादा भौतिक विज्ञान (Physics) में अंक है। कक्षा (Class) में जब उनके शिक्षक (Teacher) ने एक प्रश्न पूछा जिसका जवाब अल्बर्ट को नहीं आता था, लेकिन मिलेवा मैरिक ने तुरंत ही उस प्रश्न का जवाब दिया। मिलेवा मैरिक का जवाब सुनके अल्बर्ट दंग रह गए क्युकी पहली बार अल्बर्ट को अपनी टक्कर का कोई इंसान मिला था। धीरे-धीरे अल्बर्ट और मिलेवा मैरिक दोनों में दोस्ती हो गई। वो दोनों साथ में खाते, पढ़ते और घूमते थे। फिर यह दोस्ती प्यार में बदल गई, और भविष्य में मिलेवा मैरिक ही अल्बर्ट की पत्नी (Wife) बनी।
सन 1900 में आइंस्टीन 21 साल के हुए तब उन्होंने फ़ेडरल पोलीटेक्निक टीचिंग डिप्लोमा पास किया। इस साल ही आइंस्टीन का एक और रिसर्च पेपर प्रकाशित हुआ (Publish)जिसका शीर्षक था “कंनक्लूशन ड्रोन फ्रॉम द फेनोमेना ऑफ़ कैपिल्लरिटी (Conclusion Drawn From The Phenomena Of Capillarity)
डिप्लोमा पास करने के बाद उन्हें अपना खर्चा चलाने के लिए कुछ काम की आवश्यकता थी। इस लिए आइंस्टीन ने कोचिंग पढ़ाना शुरू कर दिया। अल्बर्ट के पास पढने कुछ बच्चे आते थे, लेकिन यह काफी नहीं था। दो साल तक ऐसे ही चलता रहा।
अल्बर्ट आइंस्टीन का 1901-1904 के बिच का जीवन (Between 1901-1904)
सन 1901 अल्बर्ट आइंस्टीन को स्विस (Swiss) की नागरिकता मील गई। सन 1902 में आइंस्टीन 23 साल के थे तब उनको स्वीटजरलैंड के बर्न में फ़ेडरल इंस्टीटयूट ऑफ़ इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी (Federal Institute Of Intellectual Property) में एक सहायक परीक्षक (Assistant Examiner) लेवल 3 की नौकरी मील गई। ये नौकरी आइंस्टीन के लिए बहुत अच्छी साबित हुई क्युकी अल्बर्ट को वहा कुछ घंटो के लिए ही काम करन पड़ता था। जिससे अल्बर्ट को काफी समय मील जाता था, रिसर्च करने के लिए और उस रिसर्च को प्रकाशित करने के लिए। अल्बर्ट के लिए इस नौकरी की एक और अच्छी बात थी यह की जो भी एप्लीकेशन पेटेंट ऑफिस में आती थी, उसे आइंस्टीन बहुत अच्छे से पढ़ते थे, जिससे उन्हें काफी ज्ञान भी प्राप्त होता था।
अल्बर्ट आइंस्टीन और मिलेवा मैरिक की शादी (Albert Einstein and Mileva Maric’s Wedding)
सन 1903 में आइंस्टीन और मिलेवा मैरिक (Mileva Maric) की बर्न स्वीटजरलैंड में शादी हो गई। वो दोनो एक दुसरे से बहुत प्यार करते थे। दोनों को भौतिक विज्ञान में बहुत रूचि थी। सन 1904 में उनके बेटे ने जन्म लिया, जिसका नाम “हंस अल्बर्ट आइंस्टीन (Hans Albert Einstein)” था।
सन 1905 अल्बर्ट आइंस्टीन के लिए एक चमत्कारी वर्ष (1905 A Miraculous Year For Albert Einstein)
पेटेंट ऑफिस में नौकरी करने के साथ ही अल्बर्ट पीएचडी भी कर रहे थे, और 30 अप्रैल 1905 में अल्बर्ट ने कड़ी मेहनत से युनिवर्सिटी ऑफ़ जुरिच (University Of Zurich) से पीएचडी (PHD) की डिग्री प्राप्त की।
1905 में ही अल्बर्ट आइंस्टीन ने चार अभूतपूर्व रिसर्च पेपर्स को प्रकाशित किये थे, जो की फोटोइलेक्ट्रिक इफ़ेक्ट (Photoelectric Effect), बरौनिन मोशन (Brownian Motion), स्पेशल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी (Special Theory Of Relativity) और द एक्किवालेंस ऑफ़ मास एंड एनर्जी (The Equivalence Of Mass And Energy) यह थे।
ये चारो सिद्धांत एसे थे जिसने हमारी सोच को पूरी तरह से बदल दिया।यह सिद्धांत आइंस्टीन ने सिर्फ 26 साल की उम्र में दिए थे।
अल्बर्ट आइंस्टीन का सन 1906 से 1911 के बिच का जीवन (Between 1906 and 1911)
उसके बाद अल्बर्ट आइंस्टीन की प्रसिद्धि बहुत बढ़ ने लगी। यूनिवर्सिटी ऑफ़ बर्न में आइंस्टीन प्रोफेसर बने। बाद में आइंस्टीन 1909 में जुरिच स्वीटजरलैंड चले गए, जहा पर उन्हें यूनिवर्सिटी ऑफ़ जुरिच में प्रोफेसर की नौकरी मिली। सन 1910 में अल्बर्ट के दुसरे बेटे का जन्म हुआ, जिसका नाम एडवार्ड आइंस्टीन (Eduard Einstein) रखा था, लेकिन एडवार्ड की सिर्फ 20 साल की उम्र में ही मृत्यु हो गयी थी।
सन 1911 में आइंस्टीन ने एक और थ्योरी दी, इस थ्योरी का नाम था, द जनरल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी (The General Theory Of Relativity) इस की मदद से आज हम जानते है की गुरुत्वाकर्षण (Gravity) कैसे काम करती। इस का प्रभाव समय पर क्या पड़ता है, हम इसके बारे में अभी आगे बात करेंगे।
1911 में ही अल्बर्ट आइंस्टीन जुरिच से प्राग (Prague) रहने चले गए थे। प्राग में आइंस्टीन ने चार्ल्स फर्डीनांड यूनिवर्सिटी (Charles Ferdinand University) में प्रोफेसर की नौकरी की और साथ में उन्हें ऑस्ट्रियन नागरिकता (Austrian Citizenship) मिली।
अल्बर्ट आइंस्टीन का सन 1912-1921 के बिच का जीवन (Between 1912-1921)
सन 1912 में अल्बर्ट आइंस्टीन वापस जुरिच आ गए और यहाँ दो साल तक प्रोफेसर की नौकरी की। उसके बाद रहने के लिए बर्लिन जर्मनी चले गए।
मिलेवा मैरिक और अल्बर्ट के बिच मनमुटाव और तलाक (Affliction and Divorce Between Mileva Maric and Albert)
अल्बर्ट आइंस्टीन को रिसर्च पेपर्स तैयार करने में मिलेवा मैरिक ने काफी सहायता की थी, लेकिन आइंस्टीन ने जब रिसर्च पेपर्स को प्रकाशित किया उसमे कही भी मिलेवा मैरिक का नाम नहीं था, ऐसे कारणों से अल्बर्ट और मिलेवा के बिच मतभेद होने लगा था। जिसके कारण मिलेवा मैरिक बहुत चिरचडी हो गई थी और भी अन्य कारण थे जिस वजह से दोनों 1914 एक दुसरे से अलग होगए। मिलेवा मैरिक अपने दोनों बेटो को लेकर अल्बर्ट से अलग हो गई। अलग होने के पाच साल बाद सन 1919 में दोनों ने तलाक ले लिया।
तलाक के बाद आइंस्टीन ने दूसरी स्त्री को जीवन साथी चुना जिसका नाम था, एल्सा (Elsa)। उन्होंने एल्सा से शादी करली। 2 अप्रैल 1921 अल्बर्ट पहली बार USA के न्यू यॉर्क शहर में रखा, जहा आइंस्टीन को कोलंबिया और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में लेक्चर देने के लिए बुलाया गया था।
अल्बर्ट आइंस्टीन को नोबेल प्राइज़ कब मिला? (When did Albert Einstein Get the Nobel Prize?)
सन 1922 में प्रकाश विद्युत प्रभाव के लिए विश्व के सबसे बड़े पुरस्कार नोबेल प्राइज़ से अल्बर्ट आइंस्टीन को सम्मानित किया गया। आइंस्टीन ने नोबेल प्राइज़ के पैसे अपनी पहली पत्नी मिलेवा मैरिक को दे दिए ताकि मिलेवा मैरिक बच्चो का पालन पोषण कर सके।
सन 1930 दिसंबर में दूसरी बार आइंस्टीन USA में कदम रखा और कुछ समय तक कैलिफ़ोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (California Institute of Technology) में एक रिसर्च फेलो (साथी) के रूप में काम किया। बाद में अल्बर्ट वापस बर्लिन जर्मनी आ गए।
सन 1933 तक हिटलर जर्मनी में ताकत वर हो चूका था। उसने यहूदियों को सरकारी नौकरी से निकलना और उन्हें मार ना शुरू कर दिया था। आइंस्टीन ने जर्मनी छोड़ ने का निर्णय लिया। आइंस्टीन और उनकी पत्नी एल्सा 1933 में USA में चले गए, वहा पर प्रोफेसर के रूप में सात साल काम किया, सात साल के बाद उन्हें USA की नागरिकता मील गई।
अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु (Death of Albert Einstein)
अल्बर्ट आइंस्टीन को अंतिम वक्त में आंतरिक रक्तस्त्राव (Internal Bleeding) शुरू हो गई थी। आइंस्टीन की मृत्यु 18 अप्रैल 1955 को 76 साल की उम्र में प्रिंसटन के एक हॉस्पिटल में हुई थी।
अल्बर्ट आइंस्टीन का वैज्ञानिक करियर (Albert Einstein’s Scientific Career)
ये बताने की जरूरत नही है की अल्बर्ट आइंस्टीन की जो जिंदगी थी वो गर्व से जीई गयी जिंदगी है। अलबर्ट आइंस्टीन जहा भी जाते थे लोग उनकी प्रशंसा करते थे। अल्बर्ट ने अपने पुरे जीवन में कुल 300 वैज्ञानिक पत्र (Scientific Papers) और 150 गैर वैज्ञानिक पत्र (Non-Scientific Papers) को प्रकाशित किए।
अल्बर्ट आइंस्टीन के आविष्कार (Albert Einstein’s Inventions)
अल्बर्ट आइंस्टीन ने कई अविष्कार है जिसके चलते वह पुरे विश्व के महान वैज्ञानिको में से एक माने जाने लगे। आइंस्टीन के कुछ अविष्कार हमने निचे दिखाए है।
अल्बर्ट आइंस्टीन की प्रकाश की क्वांटम थ्योरी (Albert Einstein’s Quantum Theory of Light)
अल्बर्ट आइंस्टीन की प्रकाश की क्वांटम थ्योरी में उन्होंने उर्जा की छोटी थैली की रचना की जिसे फोटोन का नाम दिया है, इस में तरंग जैसी विशेषता होती है। इस थ्योरी से आइंस्टीन ने कुछ धातुओ से इलेक्ट्रॉन्स के उत्सर्जन को समझाया था। अल्बर्ट ने इलेक्ट्रिक इफेक्ट की रचना की। इस थ्योरी से आइंस्टीन टेलीविज़न का आविष्कार किया, इसे द्रश्य को शिल्पविज्ञान के माध्यम से दर्शाया गया है। आधुनिक समय में बहुत से ऐसे सधनो का आविष्कार हो गया है।
E=MC square-
आइंस्टीन ने द्रव्यमान और उर्जा के बिच एक समीकरण प्रमाणित किया, जो था, “E=MC Square” जिसे आजके आधुनिक समय में नुक्लेअर उर्जा (Nuclear Energy) कहते है।
आइंस्टीन की स्पेशल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी (Albert Einstein’s Special Theory of Relativity)
अल्बर्ट आइस्टीन की इस थ्योरी में समय और गति के संबंध को समझाया है। ब्रह्मांड के प्रकाश की गति को प्रक्रति के नियम के अनुसार बताया है।
अल्बर्ट आइंस्टीन की जनरल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी (Albert Einstein’s General Theory of Relativity)
वैज्ञानिक सिद्धांत के अनुसार जो कहता है की ब्रह्मांड में किसी भी वस्तु की तरफ जो गुरुत्वाकर्षण का खिचाव देखा जाता है, उसका असली कारण है की हर वस्तु अपने मान और आकार के अनुसार अपने इर्द-गिर्द के दिक्-काल (स्पेस-टाइम) में मरोड़ पैदा कर देती है। बरसो के अध्ययन के बाद जब 1916 में अल्बर्ट आइंस्टीन ने इस सिद्धांत की घोषणा की, विज्ञानं की दुनिया में तहलका मच गया।
आइंस्टीन मन्हात्तम प्रोजेक्ट (Albert Einstein Greatest Project)
अल्बर्ट आइंस्टीन ने मह्नात्तम प्रोजेक्ट बनाया, यह एक अनुसंधान है। यह यूनाइटेड स्टेट्स का समर्थन करता है। आइंस्टीन सन 1945 में एटॉमिक बम (Atomic Bomb) को प्रस्तावित किया। उसके बाद उन्होंने विश्व युद्ध के दौरान जापान में एटॉमिक बम का विनाश करना सिखा।
अल्बर्ट आइंस्टीन का रेफ्रीजरेटर (Albert Einstein’s Refrigerator)
साल 1905 में आइंस्टीन ने द्रव्यमान और ऊर्जा के बीच एक ऐसा फॉर्मूला बनाया जो कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुआ। आइंस्टीन ने बेहद कम समय में रेफ्रिजरेटर की खोज की थी। इसमें उन्होंने अमोनिया, ब्यूटेन, पानी और ऊर्जा का अधिक इस्तेमाल किया था।
आसमान नीला होता है (The Sky is Blue)
- यह एक बहुत ही आसान सा प्रमाण है की आसमान नीला क्यों होता है? लेकिन अल्बर्ट आइंस्टीन ने इस पर भी बहुत अविष्कार करके बहुत दलीले पेश की है।
- “इसी तरह आइंस्टीन ने बहुत से अविष्कार किये जिसके चलते उनका नाम इतिहास में एक महान वैज्ञानिक के रूप में प्रसिद्ध हो गया।”
महान वैज्ञानिक आइंस्टीन से जुड़े हुए कुछ रोचक तथ्य (Some Interesting Facts Related to the Great Scientist Albert Einstein)
- अल्बर्ट आइंस्टीन अपने आप को संशयवादी कहते थे, वे खुदको नास्तिक नहीं कहते थे।
- आइंस्टीन बचपन में पढाई में और बोलने में बहुत कमजोर थे।
- इतने बड़े और महान वैज्ञानिक आइंस्टीन बहुत ज्यादा भूलने की बीमारी थी। आइंस्टीन एक बार ट्रेन में सफर कर रहे थे, उस समय ट्रेन में टिकट देखने के लिए टीटी आया। टीटी ने अल्बर्ट के पास टिकट मांगी, अल्बर्ट टिकट यहाँ वहा ढूढने लगे क्युकी उनकी टिकिट कही गिर गयी थी। आइंस्टीन को टिकट ढूढ़ते हुए देख कर टीटी बोला सर में जानता हूँ आपने टिकट लिया होगा आप उसे मत ढूढीए। फिर भी आइंस्टीन टिकट ढूढ़ते रहे, यह देख कर टीटी फिर बोला आप ने टिकट लिया होगा मुझे पता है। यह सुन कर आइंस्टीन बोले मुझे यह देखना है की में जा कहा रहा हु।
- अल्बर्ट आइंस्टीन की सोचने की क्षमता इतनी अच्छी थी की वह अपने दिमाग में ही पुरे प्रयोग का हल निकाल लेते थे।
- आइंस्टीन के मृत्यु के बाद आइंस्टीन के परिवार की अनुमति के बिना ही शोध के लिए आइंस्टीन का दिमाग डॉ. थॉमस हार्वे ने निकाल दिया था। फिर वह 20 साल तक एक जार में बंध था।
- आइंस्टीन को राष्ट्रपति के पद के लिए भी अवसर मिला।
- आइंस्टीन की यादाश बहुत कम होने के कारण, उनको किसी का नाम, नंबर याद नहीं रहता था।
- आइंस्टीन की आँखे एक सुरक्षित डिब्बे में रखी हुई है।
- आइंस्टीन का एक ही गुरु मंत्र था “अभ्यास ही सफलता का मूलमंत्र है”
आइंस्टीन के सुविचार (Thoughts of Albert Einstein)
- “सफल व्यक्ति बनने का प्रयास मत करिए, बल्कि सिद्धांत वाला व्यक्ति बनने का प्रयत्नं करिए।”
- “हर वो चीज जो गिनी जा सके मायने नहीं रखती और हर वो चीज जो मायने रखती है वो गिनी नहीं जा सकती।
- “हर कोई जीनियस है”
- “जिंदगी सायकिल चलाने की तरह है”
- “जिंदगी जीने के केवल दो ही तरीके है”
आइंस्टीन को मिले हुए पुरस्कार (Albert Einstein Received Awards)
- भौतिकी का नोबल पुरस्कार सन 1921 में दिया गया।
- मत्तयुक्की मैडल सन 1921 में दिया गया।
- कोपले मैडल सन 1925 में दिया गया।
- मैक्स प्लांक मैडल सन 1929 में दिया गया।
- शाताब्दी के टाइम पर्सन का पुरस्कार सन 1999 में दिया गया।
अल्बर्ट आइंस्टीन से जुड़े कुछ प्रश्न के जवाब (Some Questions Related to Albert Einstein)
1. अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म कब और कहा हुआ था?
आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च 1879 को उल्म (जर्मनी) में हुआ था।
2. अल्बर्ट आइंस्टीन के माता-पिता का नाम क्या था?
आइंस्टीन के पिता का नाम हरमन आइंस्टीन और माता का नाम पौलिन आइंस्टीन था।
3. अल्बर्ट आइंस्टीन की पहली पत्नी का नाम क्या था?
आइंस्टीन की पहली पत्नी का नाम मिलेवा मैरिक था।
4. अल्बर्ट आइंस्टीन को किस क्षेत्र में बहुत रूचि थी?
आइंस्टीन को भौतिक क्षेत्र में बहुत रूचि थी।
5. अल्बर्ट आइंस्टीन को कब नोबल पुरस्कार मिला?
आइंस्टीन को 1921 में नोबल पुरस्कार मिला।
6. अल्बर्ट आइंस्टीन के कोनसा समीकरण की वजह से वो विश्व में प्रसिद्ध हो गए?
आइंस्टीन के उर्जा के E=MC Square समीकरण से वो विश्व में प्रसिद्ध हो गए।
7. अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु कब हुई थी?
आइंस्टीन की मृत्यु 18 अप्रैल 1955 को हुई थी।
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दोस्तों हमने आपको अल्बर्ट आइंस्टीन का जीवन परिचय और अल्बर्ट आइंस्टीन के जीवन से जुड़ी सभी महत्त्वपूर्ण जानकारी के बारे में इस आर्टिकल के जरिये बताया हम यह आशा करते है की आप अल्बर्ट आइंस्टीन से जुड़ी सभी जानकारी से वाकिफ हो चुके होंगे।
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