धरती का विकास और उसमे हो रहे बदलाव करोडो साल से निरंतर चले आ रहे हे। इंसान और जिव-जन्तु के विकास से पहेले धरती का स्वरूप कुछ और ही था। आज हम पृथ्वी की शक्ल जिस मानचित्र में देख रहे हे, असल में वो शरुआती दौर में बिलकुल ही अलग थी। यह तो हम सभी जानते हे की शरुआत में पृथ्वी जलते हुए आग के गोले की समान थी। जो वक्त के साथ साथ धीरे धीरे ठंडी हो गई। फिर चंद्रमा के निर्माण के साथ धरती पर बारिश और मोसम की शरुआत हुई, महासागरों का जन्म हुआ और जिव- जंतु का जन्म हुआ। ये तो हुआ धरती पर जीवन की शरुआत का एक छोटा सा परिचय लेकिन क्या आप जानते हे की इस पृथ्वी पर अलग-अलग देश कैसे बने? भारत का जन्म कैसे हुआ? क्या मानचित्र में नजर आने वाले विभिन्न देशो की बनावट हमेशा से एसी ही थी?
क्या आप भी इस तरह के सवालों के जवाब खोज रहे हे तो, आपको इस आर्टिकल को पूरा पढने की जरुरत हे क्युकी आज हम बात करेंगे धरती पर भारत देश के निर्माण की। वही देश जिसे हम “सारें जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा” कहते हे। देश भक्ति से भरी भावना के साथ ये जानना भी बेहद जरुरी हे की हमारे भारत देश का निर्माण केसे हुआ और इसकी बनावट के पीछे क्या वजह हे। तो देर किस बात की आइये आगे पढ़ते हे यह मजेदार आर्टिकल।
जब कई हिस्सों में बंट गई धरती
आज हम मानचित्र या सेटेलाईट से जिस वक्त पृथ्वी को देखते हे, असल में करोडो साल पहले पृथ्वी का रंग-रूप बिलकुल ही अलग था। आज से 225 मिलियन साल पहले धरती पर मौजूद हर भाग आपस में जुड़ा हुआ था। यानि किसी देश की सीमा या खंड नहीं था। सबकुछ इन्ही का एक बड़ा हिस्सा था।
धरती के इस विशाल महा खंड को पंजिया (PANGAEA) नाम से जाना जाता था। जिससे टुट कर अलग हुए देश आज विभिन्न नामो से जाने जाते हे। समुन्द्र के पानी में तेरते हुए जमीन के यह हिस्से एक जगह से दूसरी जगह जाने लगे और मिलो दूर जाकर रुक गए।
धरती के इस महा खंड के टूटने की शरुआत दक्षिणी गोलार्ध में मौजूद अन्टार्कटिक सर्कल से हुई थी, जिसके बाद अंटार्कटिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका और अफ्रिका जेसे देशो के खंड टुटके अलग होने लगे। पृथ्वी के गर्भ में प्लेट्स के खिसकने की प्रक्रिया लगातार चलती रहती हे, यही कारण हे की जो महाखंड से टूट कर कई खंड बने तो वो धरती में बदलाव का कारण बने।
करोडो साल पहले जब महाखंड टुटा तो उसके दो भाग हो गए। जिसके दक्षिणी हिस्से को गोंडवाना(GONDWANA)लैंड और उत्तरी हिस्से को लौरसिया (LAURASIA) के नाम से जाना जाता था। धरती के इन दोनों हिस्सों के बिच समुद्र के जिस घाई का निर्माण हुआ उसे पर्मो-ट्राएसिक (PERMO-TRIASSIC) नाम दिया गया। ये प्रक्रिया अपने आप में ही इतनी अद्भुत थी की इसे पूरा होने में करोडो साल का वक्त लग गया।
बाद के सालो में ग्लोरेसिया से अलग हुए भूमि खंडो से यूरोप,एशिया और उत्तर अमेरिका जेसे देशो का निर्माण हुआ। जब की गोंडवानालैंड से अलग हुए हिस्से अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के नाम से जाने गए।इस तरह धरती का एक महाखंड टूट कर कई देशो के निर्माण की वजह बन गया।
भारत का निर्माण
वर्त्तमान में भौगोलिक रूप से भारत एशिया का हिस्सा हे, लेकिन करोडो साल पहेले भारत का यह टुकड़ा गोंडवानालैंड का हिस्सा था। जब भारत का भूमि टुकड़ा गोंडवानालैंड से अलग हुआ तो अंदरूनी प्लेट्स की वजह से वो धीरे-धीरे एशिया की तरफ बढ़ने लगा। कई सालो तक चले इस सफर के बाद आखिर-कार भूमि का वो हिस्सा वर्तमान के लद्दाख से जा टकराया और उससे जुड़ गया।
इस तरह गोंडवानालैंड से अलग हुआ भूमि का एक हिस्सा एशिया का महत्वपूर्ण देश भारत बन गया। जब भूमि के दो टुकडो का टकराव होता हे, तो भारी प्लेट निचे की तरफ चली जाती हे जब की हलकी प्लेट ऊपर की तरफ उठ जाती हे। लद्दाख की भूमि से भारत के टकराव की वजह से ही विशाल पहाड़, हिमालय और माउन्ट एवरेस्ट का निर्माण हुआ, जो आज पर्यटन का मुख्य केंद्र बन चुके हे। अगर आपको लगता की यह प्रक्रिया कुछ सालो में पूरी हो गई होगी तो आप बिलकुल गलत हे क्योकि धरती को अपना यह रूप और आकार लेने में लाखो करोडो साल का लंबा वक्त लगा हे।
भारत की भारी प्लेट लगातार हिमालय की और जाने लगी हे जिसकी वजह से इन पर्वतों की ऊंचाई साल दर-साल बढ़ रही हे। हालाकिं निरंतर हो रहे इन बदलावों को आप और हम पहेचान नहीं सकते हे लेकिन भू-वैज्ञनिक इस बात को अच्छी तरह समजते हे की धरती में क्या क्या बदलाव हो रहे हे।
अल्फ्रिड विजनर की स्टोरी
धरती के महाखंड पंजिया और उससे जुडी स्टोरी को दुनिया के सामने रखने का श्रेय अल्फ्रिड विजनर को दिया जाता हे। जो एक जर्मन पोलर रिसर्चर, जिओ फिजिसिस्ट और मोसम वैज्ञानिक थे। उन्होंने अपने जीवन काल में मोसम और धरती में हुए बदलाव को लेकर रिसर्च की थी। एल्फ्रिड विजनर का जन्म 1 नवेम्बर 1880 जर्मनी के बर्लिन में हुआ था।
उन्होंने ही अपने शोध कार्य के दौरान बताया था की धरती किसी ज़माने में एक विशाल महाखंड के रूप में थी। जो समय के साथ विकसित होती गयी। उनका कहना था की अगर आज भी धरती के सभी टुकडो को जोड़ दिया जाये तो पंजिया महाखंड दोबारा तैयार हो जायेगा। अल्फ्रिड विजनर ने भूमि के अलग-अलग खंडो की जाँच की और पाया की सभी किसीना किसी रूप से एक दुसरे से जुड़े हुए हे। उन्होंने ही अपनी स्टोरी में बताया था की भूमि खंडो के अलग होने के दौरान धरती पर जिव-जन्तुओ का अस्तित्व था। एल्फ्रिड विजनर की शोध ने धरती को समजने और उसके निर्माण को लेकर वैज्ञानिको समेत इंसान की काफी मदद की हे।
हालाकिं जिस तरह बदलते वक्त के साथ धरती पर कई तरह के बदलाव आये हे, उसी तरह विभिन्न देशो का भौगोलिक निर्माण हुआ। ये बात सुनने में विचित्र जरुर लगती हे की किसी समय में पूरी धरती में भूमि का सिर्फ एक हिस्सा था लेकिन प्रकृति में हर चीज संभव हे फिर चाहे इंसान का जन्म हो या फिर भूमि के टुकडो का अलग होना।
Last Final Word
तो दोस्तों यह थी भारत का निर्माण कैसे हुआ से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी जिसमे आपने देखा की कीस तरह धरती प्राचीन काल से ही अपनी भूमि पर बदलाव करती आई हे और यह बदलाव अभी भी जारी हे। आपको और हमें इस बात का पता भी नहीं चलेगा और धरती के भीतर बदलाव होते रहेंगे। हालाकिं इन बदलावों को होने में करोडो साल का समय लगता हे लेकिन यह प्रक्रिया अपने आप में ही बेहद अद्भुत और विचित्र होती हे।
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