भारत का संविधान

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दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम भारत के संविधान के बारे में बात करेंगे। इस आर्टिकल की मदद से आपको भारत के संविधान के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी। भारत का सर्वोच्च विधान भारत का संविधान है। जिसकी रचना संविधान सभा के द्वारा वर्ष 1949 मैं 26 नवंबर के दिन की गई थी। हालांकि 26 जनवरी 1950 के दिन भारत का संविधान प्रभारी हुआ था। 26 नवंबर के दिन को भारत के संविधान के दिन के स्वरूप में घोषित किया गया है। तथा 26 जनवरी के दिन को गणतंत्र दिन के रूप में मनाया जाता है। भारतीय संविधान का प्रधान निर्माता भीमराव आंबेडकर को कहा जाता है। भारतीय संविधान का मूल आधार भारत सरकार अधिनियम वर्ष 1935 को माना जाता है। भारत देश का संविधान दुनिया के सभी देश के संविधान से लंबा लिखा गया संविधान है।

संविधान की मांग (Demand for Constitution)

  • महात्मा गांधी के द्वारा वर्ष 1922 में असहयोग आंदोलन के दरमियां मांग करने में आई थी, जो कुछ इस प्रकार थी की भारत का राजनीतिक भाग्य खुद भारतीय नागरिक के द्वारा निर्धारित होना चाहिए।
  • कानूनी आयोग और गोलमेज सम्मेलन को सफलता ना मिलने पर भारती के नागरिकों की महत्वाकांक्षा को पूर्ण करने के लिए Government Of India Act 1935 को लागू किया गया।
  • कांग्रेस समिति के द्वारा वर्ष 1935 में मांग करने में आए की भारत का संविधान बिना किसी बाहरी हस्ताक्षर के बनना चाहिए।
  • जवाहरलाल नेहरू ने वर्ष 1938 को और कांग्रेस कार्यसमिति ने वर्ष 1939 में भारत के नागरिकों की अपनी संविधान सभा बनाने के लिए स्पष्ट रूप से मांग की थी।

मंत्रिमंडल मिशन योजना (Cabinet Mission Plan)

भारत के नागरिकों की मांग पर ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा वर्ष 1942 में भेजे गए क्रिप्स मिशन का राष्ट्रवादीयो के द्वारा विरोध करने पर ब्रिटिश हुकूमत ने वर्ष 1946 मे मंत्रिमंडल मिशन योजना प्रस्तुत की। जिसमें नीचे दीए गए प्रबंध किए गए थे।

भारत देश एक संघ होगा जो ब्रिटिश, भारत और भारतीय रियासतों को जोड़कर बना होगा। यह संघ की अपनी कार्यप्रणाली और एक विधान मंडल होगा। जो अलग-अलग क्षेत्र के और राज्य के प्रतिनिधियों से मिलकर बनाया गया होगा। सभी की मदद से कम समय में एक अंतरिम सरकार का निर्माण किया जाएगा, जिसके विभाग भारतीय लोगों के हाथ में होगे।

अंतरिम सरकार (Interim Government)

वर्ष 1946 के मार्च के महीने में भारत में आए कैबिनेट मिशन योजना के प्रावधानों के आधार पर वर्ष 1946 के 24 अगस्त को अंतरिम सरकार की घोषणा करने में आई थी। जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठबंधन 2 सितंबर 1946 के दिन किया गया था।

हकीकत में वायसराय की कार्यकारिणी परिषद ही अंतरिम सरकार थी। अंतरिम सरकार का अध्यक्ष वायसराय और उपाध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू को बनाया गया था।

इस सरकार में जवाहरलाल नेहरू के साथ साथ 11 अन्य सदस्य भी थे। शुरुआत के दौर में मुस्लिम जाति इस सरकार में शामिल नहीं हुई थी, किंतु 26 अक्टूबर 1946 के दिन पुनर्गठबंधन के मौके पर मुस्लिम लिग के 5 सदस्यों को अंतरिम सरकार में दाखिला दिया गया।

1946 का मंत्रिमंडल

  • जवाहरलाल नेहरू को अंतरिम सरकार के उपाध्यक्ष का पद सौपा गया।
  • गृह सूचना और प्रसारण मंत्रालय के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल को पसंद किया गया था।
  • बलदेव जी को रक्षा मंत्रालय के लिए पसंद किया था।
  • उद्योग मंत्रालय के लिए जॉन मथाई को रखा गया था।
  • शिक्षा मंत्रालय के तौर पर श्री राजगोपालाचारी की पसंद करने में आई थी।
  • Doctor H.J Bhabha Khan को बंदरगाह मंत्रालय सौंपा गया था।
  • खातिया और कृषि मंत्रालय डॉ राजेंद्र प्रसाद को सौंपा गया था।
  • रेलवे मंत्रालय के लिए आसफ अली को चुना गया था।
  • जगजीवन राम को श्रम और कल्याण के मंत्रालय के लिए चुना गया था।

सदस्य जो मुस्लिम लीग के पश्चात शामिल हुए: लियाकत अली खान वित्त मंत्रालय के लिए, आईआई चंडीगढ़ वाणिज्य मंत्रालय के लिए, अब्दुल खान संचार मंत्रालय के लिए, गजफ्फर अली स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए, और जोगेंद्र नाथ विधि मंत्रालय के लिए चुने गए थे।

संविधान सभा (Constitution Assembly)

  • किसी भी देश में संविधान का निर्माण देश के संविधान के ढांचे को तैयार करने के लिए किया जाता है। देश के नागरिकों के द्वारा प्रतिनिधि को चुनकर एक संगठन बनाया जाता है, जिसे संविधान सभा कहा जाता है। संविधान सभा का सिध्धांतीक रूप से प्रतिपादन सबसे पहले इंग्लैंड की समानता वादियो और हेनरी वेन के द्वारा करने में आया था।
  • भारतीय संविधान को बनाने के लिए कैबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत 389 पसंद किए गए प्रतिनिधियों के द्वारा संविधान सभा का गठबंधन करने में आया था। इसमें प्रत्येक 10 लाख की जनसंख्या पर संविधान सभा के लिए एक प्रतिनिधि को उस क्षेत्र के विधानसभा के सदस्य के द्वारा चुना गया था।
  • भारत के अलग-अलग प्रांतों के लिए रखी गई 296 सीटों के निर्वाचन के कार्य को वर्ष 1946 के जुलाई-अगस्त महीने में पूरा किया गया था। इन सीटों में कांग्रेस ने 208 सीट, मुस्लिम लिंग ने 73 सीट, निर्दलीय ने 8 सीट तथा छोटे-छोटे दलने 7 सीट को प्राप्त किया था।
  • संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या  389 थी। जिसमें ब्रिटिश भारत के 296 और देसी विरासत के 93 सदस्य शामिल थे।
  • अलग-अलग क्षेत्र के 296 सदस्यों में से 213 सामान्य, 79 मुस्लिम लिग के और सिख लोगों के 4 सदस्य शामिल थे।
  • संविधान सभा की प्रथम बैठक नई दिल्ली में आए हुए संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में वर्ष 1946 के 9 दिसंबर के दिन रखी गई थी। हालांकि मुस्लिम लिंग के लोगों ने इसका विरोध किया था।
  • 3 जुलाई 1947 की योजना के आधार पर पाकिस्तान के लिए एक अलग संविधान सभा बनाई गई थी। इसमें सदस्य की संख्या कम हो गई थी और क्षेत्र के 235 देशी रजवाड़े के 73 प्रतिनिधि ही बचे थे। जिसकी वजह से संविधान सभा में अब केवल 308 सदस्य रहे है।
  • 26 नवंबर 1949 को 284 प्रतिनिधियों ने उपस्थित होकर अंतिम स्वरूप से पारित संविधान पर अपने हस्तक्षेप किए थे।

संविधान की समिति (Constitution Committee)

  • प्रारूप समिति अध्यक्ष भीमराव अंबेडकर थे। इस समिति में 7 सदस्य थे।
  • प्रारूप समीक्षा समिति का अध्यक्ष अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर को बनाया गया था। समिति में 9 सदस्य सामील थे।
  • कच्चा प्रारूप समिति का अध्यक्ष बेनेगल नरसिंह राव को बनाया गया था। इस समिति में 4 सदस्य शामिल थे।
  • संघ संविधान समिति के अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू थे। जिसमें 15 सदस्य शामिल थे।
  • प्रांतीय संविधान समिति के अध्यक्ष वल्लभ भाई पटेल थे। यह समिति 25 सदस्यों से बनाई गई थी।
  • कार्य संचालन समिति के अध्यक्ष एम मुंशी थे, और सदस्य की संख्या तीन थी।
  • मौलिक अधिकार और अल्पसंख्यक समिति के अध्यक्ष वल्लभ भाई पटेल जी थे। जिसके साथ 54 सदस्यों की संख्या थी।
  • संघ शक्ति समिति के अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू थे। सदस्य की संख्या 9 थी।
  • झंडा,तीरंगा,ध्वज समिति के अध्यक्ष का पद जे बी कृपलानी को दिया गया था।

संविधान सभा के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

  • संविधान सभा की पहली बैठक और अंतिम बैठक के अध्यक्ष के रुप में डॉ सच्चिदानंद सिन्हा थे।
  • डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष के स्वरूप में 11 दिसंबर 1946 के दिन चुना गया था।
  • जवाहरलाल नेहरू ने 13 दिसंबर वर्ष 1946 के दिन संविधान सभा के सामने अपने लक्ष्य को प्रस्तुत किया था।
  • संविधान सभा मैं लक्ष्य के प्रस्ताव को 22 जनवरी 1947 के दिन पारित किया गया था।
  • डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में 29 अगस्त वर्ष 1947 के दिन प्रारूप समिति का गठन करने में आया था।
  • प्रारूप समिति के अध्यक्ष भीमराव अंबेडकर बने थे तथा उनके साथ के सदस्य में सर गोपाल स्वामी, आयंगर मोहम्मद सादुल्लाह, कन्हैयालाल माणिक लाल मुंशी, ए.के अय्यर, बी.एल मित्तल और डी.पी खेतान शामिल थे।
  • भारतीय संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार के स्वरूप में बेनेगल नरसिंग राव को चुना गया था।
  • भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में भारतीय संविधान का प्रारूप बनाया गया था। जिसकी वजह से डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक माना जाता है।
  • संविधान सभा में अनुसूचित जनजाति की सदस्य की संख्या 23 जितनी और महिला की संख्या 9 जितनी रखी गई थी।
  • भारतीय संविधान के प्रारूप पर करीबन 114 दिनों तक चर्चा करने में आई थी।
  • भारतीय संविधान के प्रारूप को फरवरी 1948 के दिन प्रकाशित करने में आया था। प्रारूप पर अध्यक्ष के हस्तक्षेप 26 नवंबर 1949 के दिन करने में आए थे।
  • बाकी रह गए संविधान को 26 जनवरी 1950 में प्रकाशित किया गया था। जिसकी वजह से इस दिन को भारत में गणतंत्र दिन के रूप में मनाया जाता है। भारतीय गणतंत्र के पहले राष्ट्रपति के पद के लिए डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को उम्मीदवार के स्वरूप में जवाहरलाल नेहरू ने सुझाव दिया था। जिसका सरदार वल्लभभाई पटेल ने समर्थन किया था।
  • संविधान सभा की आखिरी बैठक 24 जनवरी 1950 को रखी गई थी। भारत के संविधान को बनाने के लिए 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था।
  • भारतीय संविधान को बनाने के लिए करीबन 64 रूपये का खर्च हुआ था।
  • एस.बी.आई. अयंगर संविधान सभा के सचिव के साथ-साथ निर्वाचन अधिकारी थे।

भारतीय संविधान की विशेषताएं(Feature Of Indian Constitution)

भारतीय संविधान की विशेषता में उसकी 12 अनुसूची का समावेश होता है, जो नीचे बताई गई है:

अनुसूची 1: इसके तहत संघ और राज्य का समावेश होता है।

अनुसूची 2: इसमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा के अध्यक्ष तथा लोकसभा के उपाध्यक्ष, महान्यायवादी, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, तथा अलग अलग राज्य के राज्यपाल की तनख्वाह और उसके वितरण को इस अनुसूची में रखा गया है।

अनुसूची 3: अनुसूचि 3 में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति ,मुख्य न्यायाधीश, महान्यायवादी, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक तथा अलग-अलग राज्यों के राज्यपाल के द्वारा ली जाने वाली शपथ या प्रतिज्ञा इस अनुसूची के आधार पर होती है।

अनुसूची 4: इस अनुसूची में राज्य तथा केंद्रशासित प्रदेशों के लिए सीटों के आवेदन से जुड़े उपबंध का समावेश होता है।

अनुसूची 5: इसके तहत अनुसूचित जाति और जनजाति के प्रशासन से जुड़े प्रावधान को दर्शाया गया है।

अनुसूची 6: अनुसूचित 6 के चलते त्रिपुरा, मेघालय, आसम और मिजोरम में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के विस्तार के प्रशासन से जुंडे उपबंध शामिल है।

अनुसूचि 7: केंद्र और राज्य से संबंधित सभी प्रकार के उपबंध इस अनुसूची में शामिल होते हैं।

अनुसूची 8: संविधान के द्वारा मान्यता दी गई भाषाओ का वितरण और उससे संबंधित बातों का समावेश इसमें होता है।

अनुसूची 9: इसका निर्माण वर्ष 1951 में किया गया था। इसके विषयों में ऐसे विषय थे, जो न्यायालय में विवाद योग्य नहीं है।

अनुसूची 10: इस अनुसूची को वर्ष 1985 में 52 वें संविधान संशोधन के द्वारा भारतीय संविधान में जगह दी गई थी। इसमें दल को बदलने से जुड़े प्रावधान का समावेश होता है।

अनुसूची 11: इसके तहत 73वां संविधान संशोधन अधिनियम 1993 को पारित करके जोड़ा गया था। जिसमें पंचायत के राज से जुड़े विवरण को बताया गया है।

अनुसूची 12: वर्ष 1993 में 74 वे संविधान संशोधन अधिनियम को पारित करके अनुसूचित भारतीय संविधान में समावेश किया गया था। जिसमें नगरिय स्थानीय स्वशासन से संबंधित बाबतो का प्रावधान दिया गया है।

भारतीय संविधान की अन्य विशेषताएं

  • समाजवादी धर्मनिरपेक्ष राज्य के तहत 42 वे संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा भारतीय संविधान को समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष राज्य के स्वरूप में घोषित किया गया था।
  • भारत के वयस्क नागरिक को मताधिकार देखकर राजनीतिक समानता दी गई।
  • संघात्मक विशेषता में सरकार मे दो विभाग होते हैं पहला संघ राज्य तथा दूसरा राज्यों की सरकार।
  • संसद की कार्यप्रणाली को भारत में अपनाई गई है। जिसके चलते प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था सबसे ज्यादा शक्तिमान होती है।
  • भारतीय संविधान में कल्याणकारी राज्य किसे कहते हैं, उसकी परिकल्पना कि बात की गई है। यह परिकल्पना प्रजातंत्र के बारे में अब्राहम लिंकन के सिद्धांतों से मिलती-जुलती है। अब्राहम लिंकन ने कहा था कि प्रजातंत्र लोगों का, लोगो के लिए, लोगो के द्वारा, किया गया शासन है।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना

“हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिए उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय, विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता;  प्रतिष्ठा के अवसर की क्षमता, प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में  व्यक्ति की गरिमा एवं राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाला बंधुत्व बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज दिनांक 26 नवंबर 1949 ईस्वी को एदत्त द्वारा को इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्म समर्पित करते हैं”।

  • प्रभुत्व संपन्नता का मतलब भारतीय सीमा में रहकर भारत सरकार सबसे ज्यादा ताकतवर है।
  • धर्मनिरपेक्षता का मतलब राज्य अपनी तरफ से किसी भी धर्म के सांप्रदाय को प्रोत्साहन नहीं दे सकता।
  • लोकतांत्रिक का मतलब जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों का शासन होता है।
Last Final Words:

दोस्तों यह थी भारतीय संविधान के बारे में जानकारी। हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल फायदेमंद रहा होगा। अभी भी आपके मन में भारतीय संविधान से संबंधित किसी भी प्रश्न का उत्तर नहीं मिला हो तो आप हमें कमेंट के माध्यम से बता सकते हैं।

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