भारत कैसे आजाद हुआ था?

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भारत की स्वतंत्रता से तात्पर्य ब्रिटिश शासन द्वारा 15 अगस्त 1947 को भारत की सत्ता का हस्तांतरण भारत की जनता के प्रतिनिधियों को किए जाने से है। इस दिन दिल्ली के लाल किले पर भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहरा कर स्वाधीनता का ऐलान किया था। भारत के स्वाधीनता संग्राम की शुरुआत 1857 में हुए सिपाही विद्रोह को माना जाता है। स्वाधीनता के लिए हजारों लोगो ने अपने प्राण न्योछावर किए थे। भारत को स्वतन्त्रता कैसे मिली तथा भारत को स्वतन्त्रता मिलने में सबसे अधिक किसका योगदान है, इस पर भारी मतभेद है। तो चलिए अब बात करते है की भारत कैसे आजाद हुआ था?

द्वितीय विश्व युद्ध का भारत की आजादी में योगदान 

द्वितीय विश्व युद्ध साल 1939-1945 के बीच लगातार 6 वर्षो तक चला था। जिसमे कई लोग मारे गए द्रितीय विश्व युद्ध की शुरुआत जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने की थी। प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी को बहुत ही अपमानपूर्ण  समझोते से गुजरना पड़ा था। प्रथम विश्व युद्ध के प्रभाव स्वरूप इसका बदला  लेने के लिए हिटलर ने मित्र देश को एक- एक कर के कब्ज़ा करने की शरुआत कर दि थी। जिससे मित्र देश शंकित हो गए प्रथम युद्ध में ब्रिटेन के बहुत से सैनिक मारे गए। उसकी आर्थिक स्थिति बेहद ही दयनीय हो गयी थी। अब उसके पास इतना भी धन बचा हुआ नहीं था, कि वह अपने सैनिको रख सके। ब्रिटन सरकार सैना को रखने के लिए काबिल न रहे और उनके पास इतना धन भी नही था की वे दुसरे देश पर हुकूमत कर सके। ब्रिटेन ने द्वितीय विश्व युद्ध में भारत के लोगों का सहायता ली गए। इस युद्हध में जारों की संख्या में भारतीय सैनिक मारे गए।

सुभाष चंद्र बोस जापान की सहायता कर रहे थे, इसलिए वह मित्र देश की सैनिको के साथ युद्ध कर रहे थे। और इस प्रकार से एक भारतीय दूसरे भारतीय के साथ युद्ध कर रहे थे। जिसका जन आक्रोश अविलम्ब हुआ था, और भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश सरकार की और से युद्ध करने के लिए इंकार कर दिया था। ब्रिटेन सरकार ने इस समय दौरान एकदम असहाय हो चुके थे। इस तरफ भारत में महात्मा गाँधीजी का भारत छोड़ों आंदोलन अपने सर्वोच्च पर था। जिस के कारण भारत में अंग्रेजों की हालत अधिक से अधिक ख़राब हो गयी थी।

इसी समय दौरान ब्रिटेन सरकार की सत्ता में बदलाव हुआ था। जिसने भारत को आजाद करने का फेसला के लिया था।  द्वितीय विश्व युद्ध का यह नतीजा हुआ की अंग्रेजो का देश एक कमजोर देश बन गया और अमेरिका दुनिया में एक शक्ति शाली देश बन गया था। अमेरिका भी ब्रिटेन का उपनिवेश था परन्तु विश्व युद्ध के बाद परिस्थिति इतनी बदलाव हो गयी कि, ब्रिटेन देश अमेरिका का कर्जदार बन गया और उसी के दबाव के फलस्वरूप भारत की स्वतंत्रता को और बल प्राप्त हुआ।

आजादी के समय भारत के भीतर परिद्रश्य

8 अगस्त 1942 को महात्मा गांधीजी ने भारत छोड़ो आन्दोलन की शरुआत की थी, और इस आंदोलन में भारत के हजारो योवाओ ने अपना कॉलेज स्कूल छोड़ कर भारत छोड़ आंदोलन में समिलित हुए थे।गाँधीजी ने इस आंदोलन को करो या मरो का नारा दिया था। इस नारे में लाल बहादुर शास्त्री ने थोडा सा बदलाव किया जिसमे ” मरो नही मरो” इस कारण संपूर्ण भारत में एक क्रांति का बिगुल बजा था। इसी कारण से भारत में रहने वाले अंग्रेज भयभीत होने लगे थे, अंग्रेज सरकार की सत्ता में बदलाव आने के कारण भारत को स्वतंत्र करने का फेसला किया। भारत में अंतिम वायसराय के रूप में लार्ड मांउंट बेटन को भेजा गया था। बेटन के ऊपर सपूर्ण भारत को व्यवस्थित रूप से आजाद करने की जिम्मेदारी दी गई थी।

बेटन भारत देश को 15 अगस्त 1947 के दिन आजाद करने का निर्णय किया था। क्योकि जापान ने इस दिन आत्मसमर्पण किया था। बेटन इस दिन को बहुत ही शुभ मानते है। भारत आजाद होते होते अंग्रेजो के षडयंत्र का शिकार हो गया, और सप्रदा की निति के कारण भारत  सांप्रदायिक अव्यवस्था का शिकार होना पड़ा था जिसके कारण लाखो भारतीय मारे गए और भारत को दो विभागों में विभाजित किया गया था एक भारत दूसरा पाकिस्तान और इस [प्रकार से भारत को आजादी मिली थी।

Last Final Word

दोस्तों हमारे आज के इस आर्टिकल में हमने आपको भारत कैसे आजाद हुआ था? के बारे में बताया जैसे की द्वितीय विश्व युद्ध का भारत की आजादी में योगदान, आजादी के समय भारत के भीतर परिद्रश्य और आजादी से जुडी सभी जानकारी से आप वाकिफ हो चुके होंगे।

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