दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम भारत की लोकसभा के बारे में बात करेंगे। इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ना ताकि लोकसभा से जुड़े सभी प्रश्नों के उत्तर आपको मिल सके।
भारतीय संसद का निचला सदन लोकसभा के नाम से जाना जाता है। जबकि भारतीय संसद का ऊपरी सदन राज्यसभा के नाम से जाना जाता है। लोकसभा कि रचना सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के अनुसार भारतीय नागरिक द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा पसंद किए गए प्रतिनिधियों से होती है।
लोकसभा भी विघटित हो सकती है। जिसका विघटन प्रधानमंत्री की गुजारिश पर राष्ट्रपति के द्वारा किया जाता है। लोकसभा का विघटन होने का तत्व संसद के शासन प्रणाली के साथ संबंधित है, क्योंकि संसद की कार्यप्रणाली मैं कार्यपालिका लोकसभा के प्रति सदैव उत्तरदाई रहती है।
लोकसभा की संरचना (Structure of Lok Sabha)
भारतीय संविधान के आधार पर सदन में अधिकतम 552 सदस्य संख्या होती है। जिसमें से 530 सभ्य अलग-अलग राज्यों का और 20 सभ्य केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करते हैं। सदन में आवश्यक प्रतिनिधि ना होने की स्थिति में राष्ट्रपति चाहे तो लोकसभा के लिए दो प्रतिनिधियों को चून सकता था। 2020 के 25 जनवरी के पश्चात एम इन इंडिया की रेज़वैशन को ना बढ़ाने की वजह से अपने आप समाप्त हो गई।
लोकसभा का इतिहास (History of Lok Sabha)
वर्ष 1952 मै पहले चुनाव के बाद भारत को प्रथम लोकसभा मिली थी। प्रथम लोक सभा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 364 सीटों पर विजय हासिल की थी, और अपनी सत्ता को स्थापित किया था। जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने थे। उस वक्त भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को करीबन 45% मत मिले थे।
लोकसभा का चुनाव और कार्य अवधि (Election and Tenure of Lok Sabha):
- लोकसभा के सदस्यों का निर्वाचन भारत के नागरिकों के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से वयस्क मताधिकार के अनुसार गुप्त मतदान के द्वारा होता है।
- लोक सभा के चुनाव में अनुसूचित जातियों और जाति के लिए कुछ सिटे आरक्षित की गई है। अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित सीट नहीं है।
- मुख्य रूप से लोकसभा की कार्य अवधि 5 साल की थी, परंतु 42वे संविधान संशोधन द्वारा लोकसभा की कार्य अवधी को 6 साल तक कर दिया गया था। किंतु 44वें संविधान संशोधन द्वारा लोक सभा की कार्य अवधि फिर से 5 साल की कर दी गई।
- वर्तमान में लोकसभा की कार्य अवधि 5 साल है, परंतु अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल के समय संसद स्वयं विधि द्वारा कार्य अवधि में 1 साल की वृत्ति कर सकता है।
- वर्ष 1976 में लोकसभा की कार्य अवधि को दो बार 1-1 साल के लिए बढ़ाया था।
- प्रधानमंत्री की सम्मति से राष्ट्रपति लोक सभा को उसकी कार्य अवधि समाप्त होने से पहले ही भंग कर सकता है।
- सदन के सदस्य के स्थान पर नियुक्त होने वाले उम्मीदवार को राष्ट्रपति के समक्ष शपथ लेनी होती है, जिसके पश्चात ही सदस्य संसद में बैठ सकता है।
लोकसभा के सदस्य के लिए योग्यताए (Eligibility for Lok Sabha’s Member)
- उम्मीदवार भारत का नागरिक होना चाहिए।
- लोकसभा के सदस्य की आयु मर्यादा न्यूनतम 25 साल की है।
- उमेदवार भारत सरकार अथवा राज्य सरकार के आदेश कैसी है तू पद पर आसीन ना होना चाहिए।
- मानसिक रूप से पागल और दिवालीया ना होना चाहिए।
- संसद की किसी विधि के अंतर्गत उमेदवार अयोग्य ना हो।
लोकसभा के कार्य और शक्तियां (Function and Power of Lok Sabha)
- भारत में संसद की व्यवस्था को अपनाने की वजह से लोकसभा को ज्यादा शक्तियां प्राप्त हुई है।
- भारत की लोकसभा अमेरिका के पहले प्रतिनिधि सदस्य ज्यादा शक्तिशाली है, परंतु ब्रिटेन की कॉमन सभा से कम शक्तिमान है।
Government ने संसद के अविश्वास प्रस्ताव को लोक सभा के द्वारा कुछ इस प्रकार से पारित किया जाता है:
- मंत्रिपरिषद में मुख्य प्रस्ताव का अविश्वास पारित कर।
- नीति से जुड़े मामलों में सरकार को हटाकर।
- वित्तीय बाबतो मे सरकार को हटाकर।
लोकसभा की वित्तीय शक्तियां (Financial power of Lok Sabha)
लोकसभा को भारतीय संघ की अर्थव्यवस्था पर पूरा नियंत्रण दिया गया है। लोक सभा के द्वारा वार्षिक बजट पास होता है। उसके द्वारा ही सभी प्रकार के खर्चों की स्वीकृति होती है। बजट तथा आर्थिक कानून व्यवस्था को सिर्फ लोक सभा में प्रस्तुत किया जा सकता है।
लोकसभा में से पास हो जाने के बाद ऐसे कायदे राज्यसभा में प्रस्तुत किए जाते हैं। राज्यसभा को 14 दिन के अंदर ही विधेयक को अपनी गुजारिश के साथ वापस करना होता है। अगर राज्यसभा 14 दिन के अंदर विधायक वापिस ना करें अथवा कोई ऐसी सिफारिश के साथ परत करें जो लोकसभा को अस्वीकार हो, तो लोक सभा उनके विधेयक को मूल स्वरूप में राष्ट्रपति को स्वीकृति के लिए भेजती है।
लोकसभा के विधेयक को राष्ट्रपति के द्वारा स्वीकृति मिल जाने पर संसद के दोनों सदनों में पास किया जाता है।
लोकसभा की वैधानिक शक्तियां (Statutory Power of Lok Sabha)
- संसद की कानूनी शक्तियों का व्यवहार में इस्तेमाल लोकसभा ही कर सकती है। क्योंकि लोकसभा की स्वीकृति के बिना कोई कानून पास नहीं हो सकता।
- लोकसभा संघीय सूची और समवर्ती सूची मैं प्रस्तुत विषयों पर राज्यसभा की सम्मति से कानून का निर्माण करती है। अगर किसी राज्य में संवैधानिक व्यवस्था रद्द हो जाए तो उस पर राज्य के लिए कायदे को लोकसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है।
- सामान्य विधेयक को संसद के दो सदन में से किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है, किंतु सभी महत्वपूर्ण और अगस्त्य के विधेयक को लोकसभा में ही प्रस्तुत किया जाता है।
- विधेयक को लोक सभा में भेजने के बाद राज्यसभा में भेजा जाता है। राज्यसभा में पास हो जाने के बाद विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाता है।
- अगर राज्यसभा विधेयक को अस्वीकार करें अथवा 6 महीने के लिए उस पर कोई कार्यवाही ना करे तो राष्ट्रपति के द्वारा पार्लियामेंट मै संसद के दोनों सदनों को संयुक्त अधिवेशन के लिए बुलाता जाता है।
- संयुक्त अधिवेशन के अध्यक्ष सभापति होते हैं। संयुक्त अधिवेशन में लोकसभा की जीत होती है, किंतु कई संशोधन पर लोकसभा का जोर रहा है।
कार्यकारिणी पर नियंत्रण:
- प्रधानमंत्री लोकसभा में ज्यादा मत वाले दल का नेता होने की वजह से लोकसभा का नेता भी कहलाता है।
- लोकसभा के सदस्य, मंत्री और उनके कार्यों से जुड़े सवाल को पूछ सकते हैं तथा मंत्रियों को उन सवालों का जवाब देना पड़ता है।
- लोक सभा के सदस्य मंत्रिपरिषद की समीक्षा करने के साथ-साथ उनके विरोध अविश्वास प्रस्ताव भी पारित कर सकते हैं। जिसके चलते मंत्रीपरिषद को त्यागपत्र देना पड़ता है।
- मंत्रीपरिषद मैं अधिकांश सदस्य लोकसभा के सदस्य लिए जाते हैं। लोकसभा नीचे बताए गए साधनों के द्वारा कार्यपालिका का नियमन करती है।
प्रश्न: लोकसभा के अधिवेशन के दिनों में हर दिन सवाल का एक घंटा निर्धारित किया जाता है। सदस्य नियम के आधार पर मंत्रियों से कोई भी सवाल पूछ सकते हैं, और मंत्रियों को उसका जवाब देना पड़ता है।
बहस सदस्य: कोई भी विषय पर वाद विवाद में हिस्सा लेकर कार्यपालिका की नीतियों की समीक्षा कर सकते हैं और कार्यपालिका को प्रभावित करते हैं।
ध्यानाकर्षण: अगर संसद के सदन का कोई सदस्य सदन का ध्यान किसी आवश्यक घटना की तरफ ले जाना चाहता है, तो उसे ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को प्रस्तुत करना पड़ता है। इस प्रस्ताव से मंत्रियों का ध्यान आकर्षित कर सकते हैं।
स्थगन प्रस्ताव: संसद के कोई 20 सदस्य सार्वजनिक रूप से आवश्यक विषय पर वाद विवाद करने के लिए स्थगन प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकते हैं। इस वाद विवाद के वक्त मंत्रियों की समीक्षा की जाती है।
निंदा प्रस्ताव: लोकसभा के द्वारा निंदा प्रस्ताव पास होने पर मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना नहीं पड़ता।
अविश्वास प्रस्ताव: अगर लोक सभा समस्त मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को पास करता है तो समस्त मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना पड़ता है। 1990 में 8 नवंबर को प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने और 1999 में अटल जी को अविश्वास प्रस्ताव प्राप्त होने के वजह से त्यागपत्र देना पड़ा था।
चुनाव संबंधित कार्य:
- लोकसभा अपने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव खुद करती है।
- लोकसभा और राज्यसभा मिलकर उपराष्ट्रपति का चुनाव करती है।
- लोकसभा के चुनाव में चुने गए सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव के लिए पसंद किए जाते हैं।
लोकसभा के विविध शक्तियां
- राष्ट्रपति के द्वारा घोषित किए गए आपातकालीन घोषणा को, लोकसभा और राज्यसभा साथ मिलकर स्वीकार और अस्वीकार कर सकती है।
- 44वें संशोधन के अनुसार लोकसभा यदि आपातकालीन घोषणा को अस्वीकार करती है तो आपातकालीन घोषणा लागु नहीं हो सकती। लोकसभा के 10% सदस्य अथवा ज्यादा सदस्य घोषणा को अस्वीकार करने के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए बैठक बुला सकते हैं।
- लोकसभा राज्यसभा की सम्मति से अंतरराष्ट्रीय समझोतो के लिए कायदे बना सकती है।
- लोकसभा राज्यसभा की सम्मति से संघ में नए राज्य को शामिल कर सकती है। साथ ही राज्य के क्षेत्रों सीमाओ और नामों को बदल सकती है।
संसद सदस्य का रिक्त स्थान
- यदि कोई उम्मीदवार संसद के दोनों सदनों का सदस्य के रूप में चुना जाता है, तो उसे 10 दिन के अंदर राष्ट्रपति को बताना पड़ता है की वह किस सदन की सदस्यता ग्रहन चाहता है। ऐसा ना करने पर उम्मीदवार की पहले वाली सदस्यता रद्द हो जाती है।
- अगर संसद का सदस्य, राज्य विधान मंडल के लिए चुना जाता है तो 14 दीन के अंदर उसे त्यागपत्र देना पड़ता है। ऐसा ना करने पर संसद में उसका स्थान रिक्त माना जाता है।
- अगर कोई सदस्य बिना किसी सूचना के 60 दिनों के लिए सदन में उपस्थित नहीं रहता है तो सदर में उसका स्थान रिक्त घोषित किया जाता है।
- अनुच्छेद 101(4) के तहत 60 दिन के समय मे सत्रावसान के दिनों को नहीं गीना जाता।
- अनुच्छेद 101(3) के तहत कोई भी सदस्य सभापति को अपना लिखित खुद की इच्छा से त्यागपत्र दे सकता है।
सदस्य की अयोग्यता:
भारत के संविधान के अनुच्छेद 102 के तहत नीचे दी गई अयोग्यता है।
- कोइ हित का पद धारण करता है।
- सदस्य का दिवालिया घोषित होना।
- सदस्य पागल हो जाए और उच्च न्यायाधीश उसकी घोषणा कर दें।
- सदस्य की विदेशी राज्य की नागरिकता का ग्रहण करना।
- अनुच्छेद 102(2) के तहत दसवीं सुची के आधार पर दल को बदलकर।
निर्वाचन संबंधित विवाद:
- राज्य के उच्च न्यायालय के द्वारा संसद सदस्य के निर्वाचन के मामले में अंतिम निर्णय लिया जाता है।
- उच्च न्यायालय किसी भी निर्वाचन को रद कर सकता है, लेकिन राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति से जुड़े अंतिम निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा लिए जाते हैं।
संसद का सत्र
- राष्ट्रपति के पास संसद के दोनों सदनों को आहूत करने की, सत्रावसान करने की और लोकसभा को विघटित करने शक्ति होती है।
- अनुच्छेद 85(1) के अनुसार राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को ऐसे अंतराल पर आहूत करने के लीए, एक सत्र की आखिरी बैठक और उसके पश्चात सत्र की पहली बैठक के लिए निश्चित की गई तारीख के बीच में 6 महीने से ज्यादा अंतराल नहीं होना चाहिए।
सत्र:
- संसद के पहले अधिवेशन और सत्रावसान अथवा विघटन के दौरान के समय को सत्र करते है।
- संसद की बैठक विकटन, सत्रावसान और स्थगन द्वारा समाप्त होती है। संसद सभा का विघटन दो प्रकार से किया जाता है। पहेला 5 साल के समाप्त होने पर और दूसरा राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 85(2) अनुसार शक्ति के प्रयोग द्वारा।
संयुक्त बैठक:
- भारत के संविधान के अनुच्छेद 108 के अनुसार राष्ट्रपति को सदन की संयुक्त बैठक बुलाने का अधिकार है।
- अगर एक द्वारा पारित किया गया विधेयक दूसरे सदन द्वारा शिकार ना होने पर संयुक्त बैठक बुलाई जाती है।
- यदि विधेयक में किए जाने वाले संशोधन के विषय में दोनों सदन आखरी नतीजे पर सहमत ना हो तो संयुक्त बैठक रखी जाती है।
- दूसरे सदन को विधेयक प्राप्त होने की तिथि से लेकर उसके द्वारा विधेयक भेजे जाने के 6 महीने हो जाने पर रखी जाती है।
- भारतीय संविधान लागू होने के समय से अब तक सिर्फ तीन बार संयुक्त अधिवेशन आहुत किया गया है।
Last Final Words:
दोस्तों यह थी भारत कि लोकसभा के बारे में जानकारी। उम्मीद है आपको लोकसभा से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी मिली होगी। यदि आपके मन में लोकसभा से जुड़े सवाल रहे हो तो आप हमें कमेंट के माध्यम से बता सकते हैं। अगर आपको क्या आर्टिकल पसंद आया होगा अपने मित्र के साथ इसे शेयर कीजिए धन्यवाद!
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