आज के नए दौर में भारत किसी भी क्षेत्र में किसी देश से पीछे नहीं है। भारत सभी देश से कंधे से कन्धा मिला कर आगे बठ रहा है और अपनी काबिलियत से दुनिया को दंग कर रहा है। भारत को आगे बढ़ते देख सभी देश हेरान हो गए है। एसा नहीं है की किसी एक में ही भारत आगे है, सभी क्षेत्र में वो अपनी आगावी छाप छोड़ रहा है। चाहे वो खेल का क्षेत्र हो , विज्ञान का क्षेत्र हो, तकनिकी क्षेत्र, मेडिकल क्षेत्र , कृषि का क्षेत्र ही क्यों न हो हर क्षेत्र में भारत दुगनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत में आज सभी बच्चो को अच्छी शिक्षा मिल रही है जिसकी वजह से उनके अन्दर रही हुई खूबी उभरके बहार आ रही है। एसे समय में भारत अपने देश की रक्षा के लिए मिसाइल बनाने में कैसे पीछे रह सकता है। भारत ने कइ सारी मिसाइल बनाई है जिसकी वजह से भारत की प्रतिभा पूरी दुनिया में फैल चुकी है। आज के इस आर्टिकल में हम भारत के द्वारा बनाई गई मिसाइलों के बारे में विस्तृत रूप से बात करेंगे। उम्मीद है आप इस आर्टिकल को ध्यान से पढेगे ताकि भारत की मिसाइलों के बारे में आपको जानकारी मिल सके।
मिसाइल बनाने का मुख्य उद्देश्य भारत की सुरक्षा से जुड़ा है। मिसाइल एक शस्त्र के रूप में दुश्मनों से बचने के लिए भारत की सुरक्षा के लिए बनाई जाती है। भारत की मिसाइल बारुदघर नई दिल्ली की सुरक्षा की रणनीति में अनेक लक्ष्य को पूरा करता है।
बारूदघर पाकिस्तान और चीन दोनों देशों के परमाणु हथियार को रोकने का एक साधन है। आपने सुना ही होगा कि आवश्यकता, चीजों का निर्माण करने के लीए प्रेरित करती है। इसके आधार पर भारत ने भी जरूरत के रूप से मिसाइलों को विकसित करने का और Mobile Land आधारित मिसाइलों से आगे अपने वितरण प्लेटफार्म में भिन्नता लाने के लिए उत्तेजित किया है। हाल में भारत Ship and Launch की गई Ballistic Missile को सुनिश्चित कर रहा है। भारत ने Cruise Missile का विकास Russia के साथ सहयोग से कीया है।
हिंदुस्तान की अलग-अलग मिसाइलें उसकी सुरक्षा कार्यप्रणाली के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है। इन मिसाइलों में कुछ मिसाइलें जमीन से जमीन तक वार करने वाली तो कुछ मिसाइलें जमीन से हवा में वार करने वाली है। हिंदुस्तान के पास समुद्र से भी प्रक्षेपित की जा सके ऐसी मिसाइलें है। भारतीय विशाल प्रणाली की प्रमुख मिसाइल अग्नि मिसाइल है।
मिसाइल और प्रकार (List of important missiles in India)
Missile | Class | Range | News |
Prithvi(पृथ्वी)-3 missile | SRBM | 300-350 km | Operational |
Prithvi(पृथ्वी)-2 missile | SRBM | 250-350 km | Operational |
Exocet(एक्सॉस्ट) missile | ASCM | 40-180 km | Operational |
Sagarika(सागरिका)/Shaurya(शौर्य) missile | SLBM | 700 km / 3,500 km | In Development |
Prithvi(पृथ्वी)-I missile | SRBM | 150 km | Operational |
Prahaar(प्रहार) missile | SRBM | 150 km | In Development |
Nirbhay(निर्भय) missile | Cruise Missile | 800-1,000 km | In development |
Dhanush(धनुष) missile | SRBM | 250-400 km | Operational |
BrahMos(ब्रह्मोस) missile | Cruise Missile | 300-500 km | Operational |
Agni(अग्नि)-5 missile | ICBM | 5,000-8,000 km | In Development |
Agni(अग्नि)-4 missile | IRBM | 3,500-4,000 km | In Development |
Agni(अग्नि)-3 missile | IRBM | 3,000-5,000 km | Operational |
Agni(अग्नि)-2 missile | MRBM | 2,000-3,500 km | Operational |
Agni(अग्नि)-1 missile | SRBM | 700-1,200 km | Operational |
अग्नि-I मिसाइल (Agni-I Missile) के बारे में प्रमुख जानकारी
भारत के द्वारा स्वदेशी तकनीक से बनाई गई पहली मिसाइल अग्नि-1 मिसाइल है। अग्नि-1 मिसाइल सतह से सतह तक वार करने के लिए सक्षम है। जिसके साथ ही यह मिसाइल परमाणु हथियार को भी अपने साथ ले जाने के लिए सक्षम है। भारत के द्वारा स्वदेशी तकनीक से बनाई गई अग्नि-1 मिसाइल की वार करने की क्षमता 700 किलोमीटर तक की है। अग्नि-1 मिसाइल का परीक्षण ओडिशा में स्थित बालासोर से लगभग 100 किलोमीटर दूर व्हीलर द्वीप पर आए हुए इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज(ITR) से किया गया था।
अग्नि-1 मिसाइल की लंबाई 15 मीटर और उसका वजन 12 टन जीतना है। अग्नि-1 मिसाइल 100 किलो (एक क्विंटल) से ज्यादा का भार तथा परमाणु से बने हथियार को ले जाने के लिए सक्षम है।
इस मिसाइल की विशेषता यह है कि इसको रेलवे सड़क के दोनों प्रकार के Mobile Launcher से Launch कर सकते है।अग्नि-1 मैं नौवहन कार्यप्रणाली का प्रयोग किया गया है, जिसकी मदद से निश्चित किया जाता है कि मिसाइल का निशाना बेहद ज्यादा सटीक है।
अग्नि-1 जो की स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके बनाई गई है उसका प्रथम परीक्षण वर्ष 2002 में 25 जनवरी के दिन किया गया था। अग्नि-1 को डीआरटीओ (DRTO) की मुख्य मिसाइल विकास प्रयोगशाला एडवास्ड सिस्टम्स लैबोरैटरी (ASL) के द्वारा, सुरक्षा अनुसंधान विकास प्रयोगशाला और अनुसंधान केंद्र इमारत(RCI) की मदद से विकसित और भारत डायनामिक्स लिमिटेड(BDL) जो हैदराबाद में स्थित है उसके द्वारा एकीकृत किया गया था।
अग्नि-1 के बारे में जानकारी (Information about Agni-1)
अग्नि-1 काम करने की शुरुआत साल 1999 में की गई थी। हालांकि उसका परीक्षण साल 2002 में किया गया था। इसकी बनावट कम मारक क्षमता वाली मिसाइल के रूप में की गई थी।अग्नि-1 700 किलोमीटर की दूरी तक वार करने के लिए सक्षम है।
भारत ने अग्नि 1 को परमाणु क्षमता के साथ साल 2011 में दिसंबर को दोबारा सफलता पूर्वक परीक्षण किया। इसके पहले वर्ष 2010 में 25 नवंबर के दिन अग्नि एक मिसाइल का इसी स्थान पर सफलतापूर्वक परीक्षण करने में आया था।
अग्नि 1 को बहुत पहले से ही भारतीय सुरक्षा सेना का हिस्सा बना लिया गया था। परंतु सेना से संबंधित लोगों के प्रशिक्षण और उनकी कार्य करने की क्षमता को और ज्यादा बढ़ाने के लिए इसका समय-समय पर प्रायोगिक रूप से परीक्षण किया जा रहा है।
अग्नि-II मिसाइल के बारे में प्रमुख जानकारी (Information about Agni-2)
हिंदुस्तान के द्वारा बनाई गई मध्यवर्ती दूरी Ballistic Missile अग्नि-2 है। अग्नि-2 का विकास रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के द्वारा किया गया था। इसका निर्माण आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके किया गया है। अग्नि-2 मध्यम झड़प की मिसाइल है, तथा इस मिसाइल को रेल और रोड Mobile Launcher से Launch कर सकते हैं। अग्नि-2 मिसाइल की लंबाई करीबन 20 मीटर और चौड़ाई की बात करें तो करीब 1.3 मीटर की है। इसकी क्षमता परमाणु हथियारों से लैस होकर 1 टन पेलोड ले जाने की है। अग्नि-2 की आक्रमण करने की क्षमता 2000 किलोमीटर तक की है। इस विषय में तीन स्तरों में Propulsion System लगाया गया है। अग्नि-2 का निर्माण प्रगत प्रणाली प्रयोगशाला(ASL) मैं किया गया है, जो हैदराबाद शहर में स्थित है।
अग्नि-2 के बारे में संक्षिप्त में जानकारी
अग्नि-2 जमीन से लेकर जमीन तक वार करने वाली मिसाइल है। अग्नि-2 का व्हीलर Island मैं साल 2010 में सफलता पूर्ण परीक्षण किया था। इससे पहले साल 2009 में दो बार परीक्षण करने में आया था परंतु वह परीक्षण असफल रहे थे।
अग्नि-2 की मार करने की क्षमता 2000 किलोमीटर है और यह अग्नि-2 एक टन का भार ले जा सकती है। अग्नि-2 में अत्यंत आधुनिक Navigation System और तकनीक है। इसकी आकृति पेंसिल की जैसे है।
वर्ष 2011 में एक बार फिर से सितंबर के महीने में अग्नि-2 का परीक्षण किया गया था। अग्नि-2 मिसाइल को भी भारतीय सेना में स्थान मिल चुका है।
अग्नि-III मिसाइल के बारे में जानकारी (Information about Agni-3)
अग्नि-3 भारत के द्वारा बनाई गई Intermediate-Range की Ballistic Missile है। अग्नि-3 का निर्माण भारत ने अग्नि-2 के सफलतापूर्वक परीक्षण के पश्चात किया था। अग्नि-3 की मार करने की क्षमता 3500 से 5000 किलोमीटर तक की है। यह मिसाइल पड़ोसी देशों में छुपे हुए स्थानों को सटीक निशाना बनाने के लिए समर्थ है। जिसमें चीन के शांघाई का समावेश होता है। अग्नि-3 की CEP (Circular Error Probable) Range 40 मीटर की है।
अग्नि-3 की अत्यंत जटील तथा सटीक वार करने की क्षमता से उसने विश्व की मिसाइलो में विशेष स्थान हासिल किया है। साल 2011 मैं अग्नि-3 को सशस्त्र बलों में समावेश किया गया था। तथा सशस्त्र बल के अलग-अलग लक्ष्य की पूर्ति के लिए इस मिसाइल को बनाया गया था। वर्ष 2017 के US Air Force तथा NASIC (National Air and Space Intelligence Center) रिपोर्ट के आधार पर अब तक अग्नि-3 करीब 10 लांच सफल रूप किए गए हैं।
अग्नि-3 के बारे में संक्षिप्त में जानकारी
अग्नि-3 जो परमाणु हथियार ले जाने के लिए सक्षम है, उसका परीक्षण भारत के द्वारा साल 2006 में किया गया था। हालांकि उसे आंशिक रूप से ही सफलता मिली थी।
भारत के द्वारा बनाई गई अग्नि-3 मार करने की क्षमता 3500 किलोमीटर तक की है। इस मिसाइल से जमीन से लेकर जमीन तक वार कर सकते हैं। अग्नि-3 का सफल प्रक्षेपण वर्ष 2007 2008 में हुआ था।
अग्नि-3 का चौथा परीक्षण साल 2010 में फरवरी के महीने में उड़ीसा के पास व्हीलर आईलैंड में हुआ था। इस मिसाइल की लंबाई 17 मीटर और इसका व्यास करीब 2 मीटर है। यह मिसाइल 1.5 टन का भार ले जाने के लिए समर्थ है। अग्नि-3 मैं अत्यंत आधुनिक कंप्यूटर और नेवीगेशन सिस्टम है।
अग्नि-IV मिसाइल के बारे में जानकारी (Information about Agni-4)
अग्नि-4 भारत के द्वारा बनाई गई चौथी मिसाइल है, जो अग्नि सीरीज की मुख्य मिसाइल है। अग्नि-4 की बनावट रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा की गई है। इन्होंने अग्नि 4 मैं नयी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है।
अग्नि-4 मैं सटीक प्रणोदन के दोनों चरणों का इस्तेमाल किया गया है। पेलोड के साथ-साथ हिट फील्ड का इस्तेमाल किया गया है। इसकी मार करने की क्षमता 4000 किलोमीटर तक की है। अग्नि-4 की क्षमता की बात करें तो अगर अग्नि-4 को भारत के उत्तरी विभाग से प्रक्षेपित किया जाए तो, अग्नि-4 सभी प्रमुख भूमि के भाग को लक्ष्य बना सकता है। इसमें चीन का शांघाई तथा राजधानी बीजिंग का समावेश होता है।
अग्नि-4 के बारे में संक्षिप्त में माहिती
अग्नि-4 को उड़ीसा के व्हीलर द्वीप से लगभग 3000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक सतह से लेकर सतह तक वार करने वाली मिसाइल का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण साल 2011 में नवंबर के महीने में हुआ था। अग्नि-4 में नई तकनीकों का उपयोग किया गया है यह मिसाइल दूसरी मिसाइल के मुकाबले हल्की मिसाइल है।
अग्नि-4 मिसाइल परमाणु के हथियार ले जाने के लिए समर्थ है। यह करीबन 1000 किलोग्राम के पायलट क्षमता वाली मिसाइल है। अग्नि-4 Ballistic Missile अग्नि-2 का ही विकसित रूप है।
अग्नि-4 का प्रक्षेपण वर्ष 2010 में दिसंबर के महीने में हुआ था। हालांकि तकनीकी समस्याओं के कारण यह सफल नहीं हो पाया था।
अग्नि-V मिसाइल के बारे में जानकारी (Information about Agni-5)
अग्नि-5 भारत के द्वारा बनाई गई अंतरमहाद्वीपीय Ballistic Missile है । इस की बनावट रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के द्वारा की गई है। यह मिसाइल भारत की पांचवी अग्नि मिसाइल है। यह मिसाइल भारत से संबंधित मूल एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम के अनुसार अत्यंत विकसित मिसाइल है। इसका निर्माण करने का मुख्य उद्देश्य चीन के विरुद्ध परमाणु निरोध करने का था। इस मिसाइल की रेंज 5000 किलोमीटर की है। अग्नि-5 भारत के द्वारा बनाई गई अग्नि-3 का ज्यादा विकसित स्वरूप है। यह बात की पुष्टि भारत के रक्षा वैज्ञानिक एम.नटराजन के द्वारा साल 2007 में की गई थी।
अग्नि-5 के बारे में संक्षिप्त में माहिती
- अग्नि-5 की रेंज 5000 किलोमीटर तक की है और अग्नि-5 अग्नी-3 का वीकसीत स्वरुप है।
पृथ्वी-I मिसाइल के बारे में जानकारी
पृथ्वी-1 थोड़ी दूरी तक मार करने वाली, सड़क और मोबाइल, तरल प्रणोदक Ballistic Missile है। भारत ने इस मिसाइल को यूरोपियन मदद के साथ विकसित किया था। तथा इसकी मोटर और मार्गदर्शन की कार्यप्रणाली मूल रूप से रूसी एस-75 दिशा निर्देश सतह से हवा तक आधारित थी।
भारत में पृथ्वी-1 को विकसित करने का कार्य वर्ष 1983 मे किया था। पृथ्वी-I की लंबाई 8.56 मीटर की है और व्यास 1.1 का है। इसका वजन करीब 4000 किलोग्राम का है। पृथ्वी-1 सिंगल स्टेज का इस्तेमाल करती हैं। साथ ही तरल प्रणोदक इंजन ,जो अत्यंत जरूरी रुप से अगल बगल दो तरल प्रणोदक मोटर को वायु गतिकीय नियमन के साथ-साथ अत्यंत वेक्टरिंग प्रदान करते हैं। जब मिसाइल 30 किलोमीटर ऊंचाई तक पहुंच जाता है, तब यह इंजन नियंत्रण मिसाइल को चढ़ाई को रोकने की परमिशन देता है, की वे इस ऊंचाई पर क्षतीज से सफर करें। साथ में 80° के कोण पर अपने निशाने पर लगाइए।पृथ्वी-1 की न्यूनतम मर्यादा 40 किलोमीटर और अधिकतम सीमा 150 किलोमीटर तक की है।
पृथ्वी-I के बारे में कुछ मुख्य तथ्य
मिसाइल में करीब 150 किलोमीटर पर निशाने के विरुद्ध 50 मीटर सीईपी सटीकता है। वर्तमान समय में यह मिसाइल एक जड़त्वीय मार्गदर्शन कार्यप्रणाली का इस्तेमाल करता है।
इसका पेलोड एक ही बारी में करीब 1000 किलोग्राम ले जाने के लिए समर्थ है। मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 1998 में मई के महीने में भारत के परमाणु परीक्षणों के पश्चात मिसाइल को संभवत: 1, 5 या 12 से 22 KT उपज के साथ छोटे परमाणु वारहेड की श्रेणी में रखा गया था। इसका वजन करीब 250 से लेकर 300 किलोग्राम का था। HE प्रवेश, HE सबमिशन, फ्यूल-एयर विस्फोटक और केमिकल वॉरहेड्स को भी पृथ्वी-1 मै संकलित करने की संभावना है।
पृथ्वी-1 को ट्रांसपोर्टर इलेक्ट्रो लांचर(TEL) व्हीकल के द्वारा प्रक्षेपित किया जाता था। पूर्व उड़ान इंधन और अलग-अलग सहायक कार्यों के वजह से प्रक्षेपण के लिए एक मिसाइल तैयार करने में करीब दो घंटे लगते हैं।
पृथ्वी-1 की छोटी रेंज और छोटे पेलोड इसे रणनीतिक उद्देश्य के विरुद्ध उपयोग करने से रोकते हैं। परंतु मिसाइल की अधिक सटीकता इसे शत्रु की सेना के ठिकानों को प्रभावी रूप से लक्ष्य बनाने में समर्थ बनाती है। जिसकी वजह से मिसाइल युद्ध का हथियार बन जाता है।
पृथ्वी एक की प्रथम परीक्षण उड़ान वर्ष 1988 में की गई थी। लेकिन अधिकारिक तौर पर वर्ष 1994 मैं इसे भारत की सेना में दाखिला मिला था।
पृथ्वी-II मिसाइल के बारे में माहिती
पृथ्वी-II हिंदुस्तान के द्वारा बनाया गया एक चरण तरल ईंधन द्वारा चलित मिसाइल है। पृथ्वी-II की ज्यादातर क्षमता करीब 500 किलोग्राम है। इसकी क्षमता को करीब 250 किलोमीटर तक बढ़ा सकते है। पृथ्वी-II का निर्माण भारतीय वायुसेना के साथ किया गया था जो इस पृथ्वी-II का इस्तेमाल सैन्य कार्यक्रम के नियमन में करती है।
पृथ्वी-II का प्रथम परिक्षण वर्ष 1996 मैं 27 जनवरी के महीने में किया गया था। पृथ्वी-II बनाने का कार्य वर्ष 2004 में पूरा हुआ था। उसी समय पर इस मिसाइल को सेना में शामिल किया गया है। परिक्षण के तहत पृथ्वी-II को करीब 350 किलोमीटर तक प्रक्षेपित किया गया था। इस मिसाइल के Navigation में Inertial Navigation System के इस्तेमाल से अधिक सटीकता आई है। पृथ्वी-II मिसाइल की विशेषता है कि यह किस भी Anti-Ballistic Missiles को खत्म करने की क्षमता रखता है।
पृथ्वी-II के बारे में मुख्य तथ्य
- पृथ्वी-II को भारतीय सामरिक बल कमान(Strategic Forces Command) में वर्ष 2003 में समावेश किया गया था।
- वर्ष 2010 में 24 सप्टेंबर मैं असफल परिक्षण के पश्चात यह प्रथम मिसाइल है इसे Integrated Guided Missile Development कार्यक्रम के नियमन में विकसित किया गया था।
Last Final Word:
यह थी भारत की मिसाइल के बारे में संपूर्ण जानकारी। हम उम्मीद करते हैं कि भारत के मिसाइल से जुड़े आपके सभी प्रश्नों के जवाब आपको मिल गए होंगे। यदि अभी भी आपके मन में कोई प्रश्न रह गया हो तो अब हमें कमेंट के माध्यम से बता सकते हैं। यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। धन्यवाद!
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