भारत में सामरिक पेट्रोलियम भंडार : हाल ही में COVID-19 महामारी के तहत तेल की कीमतों में भारी गिरावट देखी गई है। लगभग अभी भारत देश 20 डॉलर प्रति बैरल के दर से कच्चे तेल की आयात कर रहा है जो भारत को भविष्य के लिए तेल भंडार बढ़ाने का अवसर देता है। चलिए अब आगे बढ़ते है, इस आर्टिकल पढ़ते है और जानते है की भारत के पास कितनी पट्रोलियम संग्रह करने की क्षमता है?
अभी तक मनुष्य को जीवन का गुजारा करने की चीजो में जरूरियात चीजे रोटी, कपडा और मकान थे, लेकिन अब उन जरूरियात चीजो में एक चीज ओर जुड़ गई है और उस चीज का नाम है उर्जा। सभ्यता की शुरुआत में मनुष्य ने पत्थर को घीस-घीस कर आग को पैदा की थी, लेकिन अब तो मनुष्य विद्युत ऊर्जा, थर्मल ऊर्जा से लेकर परमाणु ऊर्जा भी पैदा कर रहा है।
परंतु पेट्रोलियम की बात करे तो भारत इस मामले में आत्मनिर्भर नहीं है। वर्तमान समय में अपनी जरुरत का 83% कच्चा तेल भारत को आयात करना पड़ता है। भारत में तेल की कीमते बाजार भाव से नक्की की जाती है इसी वजह से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में अब उतार-चढाव होता रहता है।
भारत दुनिया में ऊर्जा का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और तेल का तीसरा बड़ा आयातक है, इसीलिए भारत में तेल की कीमतों में होने वाले उतार-चढाव से बहुत प्रभावित होता है। तेल की कीमतों में उतार-चढाव ना हो और देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए भारत में पेट्रोलियम भंडार होना आवश्यक है।
दोस्तों अब हम जानेंगे की भारत कहाँ पर पेट्रोलियम के भंडार बन रहा है और क्यों बना रहा है? (Friends, Now We Will Know Where India is Making Petroleum Reserves And Why?)
मनुष्य द्वारा पत्थर की गुफाए बनाई जाती है और एसी गुफाओ को हाइड्रोकार्बन जमा करने के लिए सबसे सुरक्षित माना जाता है। क्रूड ऑयल स्टोरेज को जमीन के निचे एसी गुफाओ में बनाया जाता है।
भारत में पेट्रोलियम भंडारों की शुरुआत कब हुई? (When did Petroleum Reserves Start in India?)
1990 में खाड़ी देशो में युद्ध के दौरान भारत ने आर्थिक संकट का सामना किया था। अपने खनिज तेल की जरुरत का बहुत बड़ा भाग इराक और कुवैत से भारत आयात करता था लेकिन 1990 के इराक-कुवैत युद्ध से भारत को तेल आयात संकट का सामना करना पड़ा। उस युद्ध की वजह से तेल की कीमतों में ज्यादा ही उछाल दिखाई दिया और भारत भी इसकी चपेट से नहीं बच पाया। अन्य देशो के मुकाबले भारत में ऊँचे कीमतों पर आयात करने की वजह से विदेशी मुद्रा कोष में बहुत जड़पी तरीके से कमी हो रही थी, एसी परिस्थिति में देश की जनता को बहुत ज्यादा महंगाई का सामना करना पड़ा। भारत के पास उस समय सिर्फ 3 हफ्तों के आयात का पैसा बचा था। इन वर्षो में भारत 1947 के बाद पहली बार चुकवनी संतुलन संकट से जूझ रहा था।
देश में सुरक्षित तेल भंडार की योजना पहली बार 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने बनाई थी। उस वक्त राम नाइक केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस के मंत्री थे।
भारत में पेट्रोलियम भंडार कहाँ पर है? (Where are the Petroleum Reserves in India?)
भारतीय सामरिक पट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड (Indian Strategic Petroleum Reserve Limited) को रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (Strategic Petroleum Reserves) के शुरू होने की और रखरखाव (Maintenance) की जिम्मेदारी दी है। सामरिक पेट्रोलियम भंडार कच्चे तेल से संबंधित किसी भी संकट जैसे प्राकृतिक आपत्तिओ, युद्ध या अन्य आपत्तिओ के दौरान उन आपत्तिओ से निपटने के लिए कच्चे तेल के विशाल भंडार होते है। एसा कह सकते है की जमीन के निचे बनी हुई गुफाओ में कच्चे तेल का भंडार सबसे सुरक्षित रखा जा सकता है।
भारत में सामरिक कच्चे तेल के भंडार वर्तमान में एक विशाखापत्तनम (आंध्रप्रदेश) में है जिसमे 1.33 MMT ऑयल रखा गया है, दूसरा 1.5 MMT की क्षमता वाला मंगलौर (कर्नाटक) है और तीसरा पाडुर (कर्नाटक) में स्थित है जिसकी क्षमता 2.5 MMT है। इनके अलावा सरकार ने इस योजना के दुसरे चरण में 12.5 मिलियन मेट्रिक टन क्षमता के साथ स्टोर बनाने का निर्णय किया और चंदिखोल (ओडिशा) और पादुर (कर्नाटक) में दो अतिरिक्त सुविधाए स्थापित करने की घोषणा की थी और साथ ही बीकानेर (राजस्थान) और राजकोट (गुजरात) को भी इस तरह के भंडार बनाने की सरकार की योजना तैयार की है।
भारत में पेट्रोलियम भंडारों की जरुरत क्यों? (Why the need for Petroleum Reserves in India?)
दोस्तों 83% पेट्रोलियम भारत अपनी जरूरियातो के लिए दुसरे देशो से आयात करता है। आंतरराष्ट्रिय स्तर पर कच्चे तेल के दाम पर उतार-चढाव होता रहता है। भारत में ज्यादातर पेट्रोलियम की खपत होती रहती है और इसके कारण भारत खाड़ी देशो पर ज्यादा निर्भर रहता है।
एसी जानकारी है की खाड़ी देशो में राजनितिक उठा-पठक होती ही रहती है इसकी वजह से भारत सरकार देश में पेट्रोलियम की निरंतर आपूर्ति करने के लिए रणनीतिक पेट्रोलियम (Strategic Petroleum Reserves) को बना रहा है।
साथ में यह भी जानकारी है की हाल में जो तिन भंडार उपस्थित है उनसे भारत में पेट्रोलियम की 13 दिन की जरुरत को पूरा किया जा सकता है। लेकिन सभी भंडारों में से 13 भंडार एसे है जो भारत को ज्यादा ऊर्जा सुरक्षा प्रदान नहीं करते। भारत को 90 दिनों की ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए ज्यादा से ज्यादा 13.32 MMT क्षमता वाले भंडारो की आवश्यकता है जो की दुसरे चरण के भंडारों की मदद से हासिल कर ली जाएगी।
आखिर में हम यह कह सकते है की भारत के द्वारा बनाये गए रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (Strategic Petroleum Reserves) को शुरू करना देश की सुरक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण उपाय है। खाड़ी देशो में युद्ध के दरमियान जिस परिस्थितियो का निर्माण होता है उसमे यह उपाय भारत के लिए ऊर्जा की गुल्लक की तरह काम करेगा।
Last Final Word
हमने इस आर्टिकल में “भारत में पेट्रोलियम भंडार कहाँ और क्यों बन रहा है” इस से जुडी सारी जानकारी हमने आपको दे दी है। अगर आपको इस आर्टिकल से जुड़ा कोई भी प्रश्न हो, आप कमेंट बॉक्स में बता सकते है।
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