भारतीय प्रेस का विकास

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भारत में प्रेस का विकास १६वीं शताब्दी के उत्तरार्ध का है। भारत में प्रेस मशीन की स्थापना करने वाले पहले पुर्तगाली थे। उसके बाद अंग्रेजों ने 1684 में भारत में प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना की। जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने 29 जनवरी 1980 को “द बंगाल गजट” नाम से भारत का पहला अखबार शुरू किया। इसने भारत के पहले गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स की नीतियों की कड़ी आलोचना की। इस वजह से इसे सिर्फ 2 साल में ही मार गिराया गया। लेकिन इसके बाद नवंबर 1780 में ‘इंडियन गजट’, 1784 में कलकत्ता गजट, 1785 में द बंगाल जर्नल और कई अन्य अखबारों की शुरुआत हुई।

एक समाचार पत्र प्रकाशित करने वाले पहले भारतीय गंगाधर भट्टाचार्य थे जिन्होंने अंग्रेजी में ‘बंगाल गजट’ लाया। भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में प्रेस की स्वतंत्रता पर कई नियम और प्रतिबंध लगाए गए

प्रेस अधिनियम की सेंसरशिप साल 1799

यह अधिनियम लार्ड वेलेजली द्वारा १७९९ में बनाया गया था ताकि फ्रांसीसियों को भारत में कुछ भी प्रकाशित करने से रोका जा सके जो कंपनी के हितों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसने प्रेस प्रतिबंध और पूर्व सेंसरशिप लगा दी। हेस्टिंग्स ने 1818 में इन प्रतिबंधों को हटा लिया था।

लाइसेंसिंग विनियम साल 1823

यह अधिनियम गवर्नर जनरल जॉन एडम्स द्वारा अधिनियमित किया गया था। इस अधिनियम के अनुसार बिना लाइसेंस के समाचार पत्र शुरू करना एक दंडनीय अपराध था।

प्रेस अधिनियम 1835

यह अधिनियम लॉर्ड मेटकाफ द्वारा अधिनियमित किया गया था। उन्हें भारतीय प्रेस के मुक्तिदाता के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने लाइसेंसिंग विनियम अधिनियम, 1823 द्वारा लगाए गए पहले के प्रतिबंधों को समाप्त कर दिया था। बॉम्बे टाइम्स जो द टाइम्स ऑफ इंडिया बन गया, की शुरुआत 1838 में रॉबर्ट नाइट और थॉमस बेनेट ने की थी।

लाइसेंसिंग अधिनियम, 1857

1857 के विद्रोह के बाद प्रेस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए। इसने मेटकाफ अधिनियम, 1835 के मौजूदा प्रावधानों के साथ लाइसेंसिंग प्रतिबंध लगाए। सरकार को किसी भी पुस्तक, पत्रिका या किसी भी मुद्रित सामग्री के प्रकाशन और प्रसार को रोकने का अधिकार मिला।

वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट, 1878

19वीं सदी के उत्तरार्ध में कई भारतीय वर्नाक्युलर अखबारों का विकास हुआ। इस समय के दौरान वर्नाक्युलर समाचार पत्रों की संख्या अंग्रेजी समाचार पत्रों की तुलना में लगभग 10 गुना अधिक थी। 1976-77 के भीषण अकाल के शिकार लोगों के साथ हुए अमानवीय व्यवहार के कारण विभिन्न स्थानीय समाचार पत्रों के माध्यम से लॉर्ड लिटन की नीतियों की कड़ी आलोचना हुई। वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट, 1878 को स्थानीय प्रेस को नियंत्रित करने और समाचार पत्रों के आलोचनात्मक लेखन को दंडित करने के लिए अधिनियमित किया गया था। इस अधिनियम के मुख्य प्रावधान थे:

  • जिला मजिस्ट्रेट को किसी भी स्थानीय समाचार पत्र के प्रकाशक और मुद्रक को सरकार के साथ एक बंधन में प्रवेश करने के लिए बुलाने का अधिकार था, जिसके तहत प्रकाशक को ऐसी कोई भी सामग्री प्रकाशित करने की अनुमति नहीं थी जो सरकार के लिए महत्वपूर्ण हो।
  • प्रकाशक और मुद्रक को एक सुरक्षा जमा करने के लिए भी बनाया गया था। इस अधिनियम के तहत यदि इस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया तो जमानत जब्त कर ली जाएगी।
  • इस मामले में जिलाधिकारी का निर्णय अंतिम एवं निर्णायक होगा।
  • इन प्रतिबंधों के कारण इस अधिनियम को ‘गैगिंग एक्ट’ के रूप में भी जाना जाता था। अंग्रेजी और वर्नाक्युलर अखबारों के बीच स्पष्ट भेदभाव था।
  • बाद में पूर्व सेंसरशिप को निरस्त कर दिया गया और एक प्रेस आयुक्त नियुक्त किया गया।

समाचार पत्र (अपराधों को प्रोत्साहन) अधिनियम 1908

  • यह अधिनियम लार्ड कर्जन द्वारा उग्रवादी राष्ट्रवादी की गतिविधियों को दबाने के लिए पारित किया गया था।
  • इस अधिनियम ने जिला मजिस्ट्रेट को यह अधिकार दिया कि यदि वह सरकार की नीतियों के खिलाफ कोई आपत्तिजनक सामग्री प्रकाशित करता है तो वह प्रेस संपत्ति को जब्त कर सकता है।
  • संपत्ति की जब्ती के खिलाफ 15 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।

भारतीय प्रेस अधिनियम 1910

  • इस अधिनियम ने वर्नाक्यूलर प्रेस, अधिनियम 1878 की गैगिंग विशेषता को फिर से लागू किया। इस अधिनियम के मुख्य प्रावधान थे:
  • स्थानीय सरकार को समाचार पत्र के पंजीकरण के समय प्रकाशक और मुद्रक से सुरक्षा की मांग करने का अधिकार था।
  • समाचार पत्र के मुद्रक को प्रत्येक अंक की दो प्रतियां स्थानीय सरकार को निःशुल्क जमा करनी होती हैं।
  • 1921 में तेज बहादुर सप्रू की अध्यक्षता वाली प्रेस समिति की सिफारिशों पर 1908 और 1910 के प्रेस अधिनियमों को निरस्त कर दिया गया।
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दोस्तों हमारे आज के इस आर्टिकल में हमने आपको भारतीय प्रेस का विकास के बारे में बताया जैसे की प्रेस अधिनियम की सेंसरशिप साल 1799, लाइसेंसिंग विनियम साल 1823, प्रेस अधिनियम 1835, लाइसेंसिंग अधिनियम, 1857, वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट, 1878, समाचार पत्र (अपराधों को प्रोत्साहन) अधिनियम 1908, भारतीय प्रेस अधिनियम 1910 और सामान्य ज्ञान से जुडी सभी जानकारी से आप वाकिफ हो चुके होंगे।

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