भारतीय रेलवे का 168 साल पुराना इतिहास

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भारतीय रेलवे का 168 साल पुराना इतिहास : जानिए राष्ट्र की जीवन रेखा के बारे में : भारतीय रेलवे की शरुआत 168 साल पहले अंग्रेजो ने की थी। इस भारतीय रेलवे को राष्ट्र की जीवन रेखा भी कही जा सकता हे। हाल के समय का यह रेल नेटवर्क एशिया का सबसे बड़ा और पूरी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क कहा जाता हे। तो आइये इस आर्टिकल को पढ़ते हे और भारतीय रेलवे के बारे में जानते हे।

जेसे हमने पहले कहा वेसे की भारतीय रेलवे को अक्सर राष्ट्र की जीवन रेखा कहा जाता हे। और यह इसलिए कहा जाता हे क्योकि भारतीय रेलवे न सिर्फ यात्रा करने वाले को और सामानों का परिवहन करता हे साथ में पुरे देश को भी एक सूत्र में जोड़ता हे। रेल मंत्रालय द्वारा भारतीय रेलवे का संचालन किया जाता हे। हाल के समय में भाप से लेकर रेल का इतिहास काफी शानदार हे। तो आगे पढ़ते हे इस आर्टिकल को और भारतीय रेलवे के बारे में और उसके इतिहास के बारे में जानते हे।

भारतीय रेल सेवाओं की शुरुआत

168 साल पहले भारतीय रेलवे की शुरुआत हुई थी, जो अंग्रेजो द्वारा की गयी थी। भारत की पहली यात्री ट्रेन 16 अप्रेल 1853 को दोपहर में 3:30 बजे हुई थी। यह ट्रेन बोरी बंदर से 34 किलोमीटर दूर ठाणे के बिच चली थी। यह ट्रेन में काफी भीड़ हुई थी, जिसने जोरदार तालियों और 21 तोपों की सलामी के साथ इस ट्रेन को रवाना किया था। यह ट्रेन का संचालन तिन इंजनो द्वारा किया गया था, जिसका नाम साहिब, सुल्तान और सिंध था। यह ट्रेन में 14 बोगियां थी जिसमे 400 यात्रियों ने सफर किया था।

पहली यात्री ट्रेन 15 अगस्त 1854 में चली थी, जो हावड़ा स्टेशन से 24 मील की दुरी पर हुगली के लिए रवाना हुई थी। इस प्रकार ईस्ट इंडियन रेलवे के पहले खंड को सार्वजनिक यातायात(परिवहन) के लिए खोल दिया गया था, जिससे पूर्व तरफ के हिस्से में रेलवे परिवहन की शुरुआत की गयी थी।

पहली ट्रेन चलने के कुछ ही साल में भारतीय रेलवे के इंजीनियरों ने भोरे घाट पर एक ट्रैक बनाने का बड़ा काम संभाला था। बोम्बे को पुणे से जोड़ने के लिए 2000 फिट की ऊंचाई पर ट्रैक को बनाया, जिसको बनने में नौ साल की अवधि लगी और यह बड़ी मानवीय खर्च पर बनाया गया था।

बोम्बे को ठाणे, कल्याण और थाल और भोरे घाटों के साथ जोड़ने का पहली बार रेलवे को 1843 में विचार आया था। यह विचार भांडुप की यात्रा दौरान बोम्बे सरकार के मुख्य इंजीनियर जोर्ज क्लार्क को हुआ था।

दक्षिण में पहली रेलवे लाइन 1 जुलाई 1856 को मद्रास रेलवे कंपनी द्वारा शुरू हुई थी। यह ट्रेन व्यासपदी जीव निलयम(व्यासरपंडी) और वालाजाह रोड (आरकोट) के बिच 63 मील की दुरी पर चलती थी। उत्तर की तरफ पहली रेलवे लाइन 3 मार्च 1859 को शरु हुई थी, जो इलाहाबाद से कानपूर तक 119 मील लंबी लाइन बिछाई गयी थी। 19 अक्टूबर 1875 को हाथरस रोड से मथुरा छावनी तक का पहला खंड यातायात के लिए शुरू कर दिया गया था।

उत्तर रेलवे को अपना पहला स्टेशन सन 1864 में मिला। यह स्टेशन दिल्ली जंक्शन था जिसे उस समय चांदनी चौक के पास स्थापित किया गया था, जब बंगाल से ट्रेनों का संचालन दिल्ली तक शुरू हुआ था।

इस तरह भारतीय रेलवे नेटवर्क पुरे देश में विकसित हो गया। सन 1880 तक भारतीय रेल सिस्टम का रूट माइलेज लगभग 9000 मील के करीब था। हाल के समय में भारतीय रेलवे एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क हे और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क हे।

पहली रेलवे कार्यशाला

1862 में बिहार के मुंगेर के पास जमालपुर में भारत की पहली रेलवे कार्यशाला स्थापित की गयी थी। धीरे-धीरे यह भारत की प्रमुख औद्योगिक एकमो में से एक बन गयी।

विश्व विरासत का दर्जा

1880 में दार्जिलिंग स्टीम ट्रामवे (दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे) ने अपना पहला खंड सिलीगुड और कुर्सेओंग के बिच शुरू किया था। इस लाइन को सन 1881 में दार्जिलिंग तक बढ़ा दिया गया था। सन 1999 में नैरो गेज पर संचालित होने वाली इस लाइन को विश्व विरासत का दर्जा (World Heritage Status) दिया गया था। इस तरह का दर्जा पाने वाला यह रेलवे एशिया का पहला रेलवे था।

निलगिरी माउंटेन रेलवे हिल पेसेंजर रेलवे का पहला और अभी तक का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण हे। इसका संचालन 1899 में किया गया था, जिसको 1903 में ऊटी तक बढ़ा दिया गया था। इसे 2005 में विश्व विरासत का दर्जा दिया गया था।

2276 मीटर की ऊंचाई पर कालका शिमला रेलवे स्थित हे और कालका शिमला से जोडती हे। 9 नवम्बर 1903 में 96.54 किमी लम्बी इस नैरो गेज रेलवे को यातायात के लिए खोल दिया गया था और इसे विश्व विरासत का दर्जा 2008 में दिया गया था।

लोकोमोटिव डिजाइन में प्रगति

फेयरी क्वीन (EIR-22) का सन 1855 में निर्माण किया गया था। और यह दुनिया का सबसे पुराना भाप इंजन हे। यह इंजन इंग्लैंड में निर्मित किया गया था और इस इंजन को पश्चिम बंगाल में लाईट मेल ट्रेनों को चलने के लिए भारत लाया गया था। दो सिलिंडरो द्वारा इसका संचालन किया जाता हे।

गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकोर्ड्स में फेयरी क्वीन का नाम दर्ज हे। मार्च 2000 में इसे इंटर्नेशनल टूरिस्ट ब्यूरो और बर्लिन में इसे हेरिटेज अवार्ड मिला। स्टेशन ऑफ़ वर्ल्ड रिकोर्ड्स में दिल्ली का मुख्य स्टेशन दर्ज हे। यह दुनिया का सबसे बड़ा रूट रिले इंटरलोकिंग सिस्टम हे।

भारत में पहली स्टीम लोकोमोटिव का निर्माण

अजमेर वर्कशॉप सन 1895 में भारत का पहला स्टीम लोकोमोटिव पूरी तरह से निर्मित किया गया था। एफ-734 लोकोमोटिव राजपुताना मालवा रेलवे का हिस्सा बन गया था और इसका मध्य भारत के साथ यात्री और मालगाड़ी दोनों में उपयोग किया जाता था। यह लोकोमोटिव 63 वर्षो तक सेवा में रहा और देश में लोकोमोटिव निर्माण की इस तरह शुरुआत हुई थी।

भारत का पहला समुद्री पुल

भारत का पहला समुद्री पुल 24 फरवरी 1914 में बनाया गया था, जिसका नाम पंबन ब्रिज था। रामेश्वरम को मुख्यभूमि भारत से जोड़ने वाला यह पंबन द्वीप पर एक रेलवे सेतु हे। इसमें एक डबल-लीफ बेसक्यूल सेक्शन हे और इसे जहाजो और बार्ज को गुजरने के लिए उठाया जा सकता हे।

भारत का पहला रेल संग्रहालय

1977 में नई दिल्ली में भारत का पहला रेल संग्रहालय, राष्ट्रिय रेल संग्रहालय स्थापित किया गया था। पुरे देश में फैले 33 संग्रहालय, विरासत पार्क और गैलरी भारतीय रेलवे के पास हे। भारतीय रेलवे के इतिहास पर सबसे व्यापक संग्रहों में से एक राष्ट्रिय रेल संग्रहालय भी हे। भारत रेलवे का पूर्ण इतिहास यहाँ पर मौजूद हे, जेसे की सदियों पुराने लोकोमोटिव से लेकर मोडल और सूचनात्मक पैनल और गेम तक इसमें शामिल हे।

यात्रियों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम

भारतीय रेलवे से लगभग 13 मिलियन यात्री हल के समय में सफर करते हे। इन यात्रियों की सुरक्षा प्रणाली रेलवे के लिए सर्वोपरि हे। रेलवे अनुभागो के बेहतर मेनेजमेंट के लिए और यात्री सुरक्षा की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हे, जिसमे कई उपकरणों का विकास, नियमित सुरक्षा मानदंडो का पालन और प्रौद्योगिकी के नविन उपयोग का समावेश होता हे।

आने वाले वर्षो में रेलवे की पुरानी संपत्तियों को बदला जायेगा, जेसे की ख़राब पड़े पुल, पुराने ट्रैक, सिग्नलिंग सिस्टम और अन्य सुरक्षा बढाने वाले उपकरणों। स्वदेशी रूप से विकसित एंटी-कोलिजन डिवाइस (एसीडी) का परिक्षण कोंकण रेलवे द्वारा चल रहा हे। ट्रेनों के बिच टक्कर से होनेवाली दुर्घटनाओ को कम करने में यह तकनीक मदद करती हे।

वर्त्तमान समय में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और सरकारी रिजर्व पुलिस (जीआरपी) की साझा जिम्मेदारी हे की वह रेल यात्रियों को सुरक्षा का ध्यान रखे। ट्रेनों में और रेलवे परिसर के भीतर यात्रियों की सुरक्षा करने के लिए आरपीएफ को ज्यादा अधिकार देने के लिए रेलवे अधिनियम में संशोधन के प्रयास शुरू हे। महिला पुलिस बल की तैनाती की गई हे, ताकि वह महिला यात्रियों की सुरक्षा और सहायता कर सके।

अब तक कई गुना वृद्धि और विस्तार भारतीय रेलवे ने अपने संचालन के समय किया हे, लेकिन फिर भी कई सारी जगहों पर इसका विस्तार होना बाकि हे जिससे पुरे देश में हर भारतीय तक ये सुविधा पहुँच सके।

Last Final Word

तो दोस्तों यह था भारतीय रेलवे का 168 साल पुराना इतिहास के बारे में सम्पूर्ण जानकारी। अगर आपको इस आर्टिकल से जुड़े कोई भी सवाल या सुजाव है तो हमें कमेंट के माध्यम से आप बता सकते है।

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