भारतीय राष्ट्रीय ध्वज

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हर देश का अपना एक ध्वज होता है जो उस देश के स्वतंत्र देश होने का संदेश देता है, भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है। और इस तिरंगे के अभिकल्पना पिंगली वेंकैया ने कि थी, जो एक सचे देश भक्त थे। इस तिरंगे को 15 अगस्त 1948 को अंग्रेजो से भारत की स्वतंत्रता से तात्पर्य ब्रिटिश सरकार द्वारा उस दिन भारत अत्ता का हस्त्नातरण भारत की जनता के प्रतिनिधियों नि किया था। 15 अगस्त 1947 के दिन दिल्ली के लाल किले पर भारत के पहले प्रधानमंत्री ने राष्ट ध्वज लहराया था। और इसका आयोजन 22 जुलाई 1947 में, भारतीय सविधान की बैठक में किया गया था।

भारतीय राष्ट्रिय ध्वज की जानकारी 

भारतीय का राष्टीय ध्वज जिसे तिरंगा भी कहा जाता है। तिन रंग के क्षैतिज पट्टियो के बिच नील कलर के एक चक्र द्वारा सुशोभित ध्वज है। जिसमे सबसे पहले उपर केसरिया रंग की पट्टी है जो देश की ताकत और साहस को दर्शाती है, तिरंगे के बिचमे सफेद रंग धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का संकेत देते है और आखिर में गहरे हरे रंग की पट्टी देश के शुभ विकास और उर्वरता को दर्शाती है। ध्वज की लंबाई एवं चौड़ाई का अनुपात 3 :2 है। श्वेत पट्टी के मध्य में गहरे नील रंग का एक चक्र है जिसमे 24 आरे होते है, यह  इस बात  का प्रतीक है की भारत निरंतर प्रगतिशील है। इस चक्र का व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है व इसका रूप सारनाथ में स्थित अशोक स्तंभ के शेर के शीर्षफलक के चक्र में दिखने वाले की तरह होता है। भारतीय राष्ट्रध्वज स्वयं ही भारत की एकता, शांति, समृद्धि और विकास को दर्शाता हुआ दिखाई देता है।

राष्ट्रीय झंडा निर्दिष्टीकरण के अनुसार झंडा खादी में ही बनना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज एक अलग प्रकार से हाथ से काटे गए कपड़े से बनता है, जो गांधीजी द्वारा लोकप्रिय बना गया था। इन सभी विशिष्टताओं को विस्तुरुत रूप से भारत मे सम्मान दिया जाता है।भारतीय ध्वज संहिता के द्वारा इसके प्रकाशित और प्रयोग पर विशेष नियंत्रण है।

आधिकारिक नामतिरंगा
रंगकेसरिया, सफेद और हरा.
मध्य में नीले रंग का अशोक चक्र
आयाम अनुपात2: 3
कपडे का प्रकारखादी कपास या रेशम
आधिकारिक मान्यता22 जुलाई 1947 को
किसने बनायापिंगली वेंकय्या द्वारा डिज़ाइन
ध्वज निर्माताखादी विकास और ग्रामोद्योग आयोग (2009 से)

भारतीय अशोक चक्र

भारत के राष्ट्रीय ध्वज के माध्यम में स्थित अशोक चक्र को कर्तव्य का पहिया माना जाता है। पहिये की हर तीली का एक महत्व और मतलब होता है। इस कारण भारत के राष्ट्रीय ध्वज निर्माताओ ने अतिम दौर में चरखे को हटाकर अशोक चक्र को जगह दी थी।

  1.  संयम (विनम्र जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है)
  2.  आरोग्य (स्वस्थ जीवन जीने के सुझाव देती है)
  3.  शांति (देश में शांति व्यवस्था बनाए रखने की सलाह देती है)
  4.  त्याग (देश और समाज के लिए बलिदान की भावना का विकास करना)
  5.  शील (व्यक्तिगत स्वभाव में नम्रता की शिक्षा)
  6.  सेवा (देश और समाज की सेवा की शिक्षा)
  7.  क्षमा (मनुष्य एवं प्राणियों के प्रति क्षमा की भावना)
  8.  प्रेम (देश एवं समाज के प्रति प्रेम की भावना)
  9.  मैत्री (देश और समाज में मित्रता की भावना)
  10.  बन्धुत्व (देश प्रेम एवं भाईचारे को बढ़ावा देना)
  11. संगठन (राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत बनाए रखना)
  12.  कल्याण (देश और समाज के लिये कल्याणकारी कामो में भाग लेना)
  13.  समृद्धि (देश और समाज की समृद्धि में अपना योगदान देना)
  14.  उद्योग (देश की औद्योगिक उन्ती में सहायता करना)
  15.  सुरक्षा (देश की रक्षा के लिए सदैव तैयार रहना)
  16.  नियम (अपने निजी जिंदगी में नियम संयम से बर्ताव करना)
  17.  समता (समता मूलक समाज की निर्माण करना)
  18.  अर्थ (संपति का सही उपयोग  करना)
  19.  नीति (देश की नीति के प्रति वफादारी रखना)
  20.  न्याय (सभी के लिए न्याय की बात करना)
  21.  सहकार्य (आपस में सहयोग से कार्य करना)
  22.  कर्तव्य (अपने कर्तव्यों का प्रमाणिकता से पालन करना)
  23.  अधिकार (अधिकारों का सदउपयोग करना)
  24.  बुद्धिमत्ता (देश की समृधि के लिए खुद का बौद्धिक विकास करना)

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का परिचय 

महात्मा गाँधीजी ने सर्व प्रथम 1921 में कोंग्रेस के अपने झंडे की बात की थी।इ इस झंडे को पिंगली वेकैया ने डिजाइन किया था इस में दो रंग थे जिनमे से एक रंग हिन्दूओ के लिए एक रंग मुस्लिम के लिए और बिच में एक चक्र था। बाद में इसमें अन्य धर्मो के लिए श्वेत रंग जोड़ा गया था। स्वतंत्रता प्राप्त से कुछ दिन पहले संविधान सभा मे राष्ट्रीय ध्वज को घोषित किया, चरखे की जगह अशोक चक्र ने ली थी जो भारत के संविधान निर्माता डॉ बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने लगवाया था। इस राष्ट्रीय ध्वज को देश के दुसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्ण फिर से व्याख्या किया गया था।

21 फिट लंबा और 14 फिट चौड़ाई के राष्ट्रीय ध्वज को पुरे देश में केवल तिन किलो के ऊपर फहराए जाते है। एक मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में स्थित किला उनमे से एक है। इसके पास ही में कर्नाटक का नारगुंड का किला और महाराष्ट का पन्हाला किले पर भी सबसे लम्बे तिरंगे को फहराया जाता है।

1951 में प्रथम बार भारतीय मानक ब्योरो BIS ने प्रथम बार राष्ट्रिय ध्वज के लिए कुछ नियम तय किए गए। 1968 की साल में राष्ट्रीय ध्वज के निर्माण के मापदंड तय किए गए, यह नियम बहुत ही कठिन है। मात्र खादी या फिर हाथ से कटा गया कपड़ा ही ध्वज बनाने के लिए उपयोग में लिया जाता है। कपड़ा बुनने से लेकर ध्वज बनाने तक की प्रक्रिया में बहुत बार इसकी टेस्टिंग भी होती है। राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए दो तरह के तिरंगे का उपयोग किया जाता है, एक वे कड़ी जिसे कपड़ा बनता है और दूसरी खाड़ी टाट खाड़ी के मात्र कपास रेशम और ऊँन का प्रयोग किया जाता है। यहाँ तक की इसकी बुने भी अलग अलग होती है।

राष्ट्रीय ध्वज की यह बुनाई बहुत दुर्लभ होती है। खादी के कपड़े की बुनदाई बहुत ही दुर्लभ होती हे, इस भारत देश में 1000 में से 100 लोग ही जानते होंगे हुबली एक मात्र ऐसी संस्था है जिनको राष्ट्रीय ध्वज बनाने का लाइसेंस प्राप्त है। यहाँ पर उनकी बुनाई से लेकर बाजार में पहुचने तक कई बार बी आई एस प्रयोगशालाओ में इसकी जांच होती है। बुने के बाद सामग्री को परिक्षण के लिए भेजा जाता है। कठिन गुणवता परिक्षण के बाद उसे फिरसे कारखाने में भेजा जाता है, उसके बाद तिन रंग में रंगा जाता है। केंद्र में अशोक चक्र को काढ़ा जाता है। उसके बाद इसे फिर से परीक्षण के लिए भेजा जाता है। बी आई एस राष्ट्रीय ध्वज की जांच करता है और इसके बाद ही इसे फहराया जा सकता है।

भारतीय तिरंगे का विकास 

साल 1847 में स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम के समय भारत राष्ट्र का ध्वज बनाने की योजना बनी थी, परन्तु वह आंदोलन असमी ही समाप्त हो गया था, और उसके साथ ही वह योजना भी बिच में ही अटक गई थी, वर्तमान रूप में पहुचने ने से पहले भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को कई दौर से गुजरना पड़ता है।

प्रथम चित्र ध्वज 1908 में स्वामी विवेकानंद की शिष्य भगिनी निवेदिता द्वारा बनाया गया था। 7 अगस्त 1903 को बागान चौक कलकत्ता में इसे कोंग्रेस के अधिवेशन में फहराया गया था। इस ध्वज को लाल, पीले और हरे रंग की अनुपस्थ पट्टियों से बनाया गया था और उपर की और हरी पट्टी में आठ कमल थे और निचे की लाल पट्टी में सूरज और चाँद बनाए गये थे, बिच की पिली पट्टी पर वन्देमातरम लिखा गया था।

द्वितीय ध्वज  को पेरिस में मेडम कामा और 1907 में उनके निर्वासित किए गए कुछ क्रान्तिकारियो द्वारा फहराया गया था। कुछ लोग की मान्यता के अनुसार यह 1904 में हुआ था। यह ध्वज भी पहले ध्वज के समान ही था। यह ध्वज को बलिं में हुई समाजवादी सम्मेलन में भी प्रदशित किया गया था। इस ध्वज के उपर की पट्टी में एक कलम था लेकिन सात तारे सप्तऋषियोंको दर्शाता था।

1917 की साल में भारतीय राजनैतिक संघर्ष ने एक निश्चित मोड़ लिया डॉ॰ एनी बीसेंट और लोकमान्य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के समय तृतीय चित्रित ध्वज को फहराया था। इस ध्वज में पाच लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियाँ और सप्तऋषि के अभिविन्यास में झंडे पर सात तारे बने थे। ऊपरी किनारे पर बायीं ओर यूनियन जैक था। एक कोने में सफेद अर्ध चाँद और सितारा भी था।

चोथा ध्वज कोंग्रेस के क्षेत्र  विजयवाड़ा में किया गया था, यहाँ आंध्र प्रदेश के क्षेत्र में पिंगली वेकैया नामक एक युवक द्वारा ध्वज बनाया गया और गाँधीजी को दिया गया था। ध्वज दो रंग का बना था, लाल और हरा रंग जो दो मुख्य समुदाय एक हिन्दू और दूसरा मुस्लिम का प्रतिनिधत्व करता है। गांधीजी ने सुझाव दिया की भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए इस ध्वज में एक सफ़ेद पट्टी और राष्ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना आवश्यक है।

साल 1931 ध्वज के इतिहास में एक स्मरणीय साल है। ध्वज को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में तिरंगे को अपनाने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया और इसे राष्ट्र ध्वज के रूप में मान्यता मिली थी। यह ध्वज वर्तमान स्वरूप का एक पूर्वज माना जाता है। यह ध्वज केसरिया, श्वेत और हरे रंग का था और उसकी बिच में महात्मा गाँधीजी का चरखा था। यह भी स्पष्ट रूप से बताया गया था की इसका कोई विशेष सबंधित महत्व नही था।

22 जुलाई 1947 की साल में संविधान सभा ने वर्तमान ध्वज को भारतीय राष्ट्रीय धवज के रूप में घोषित किया गया स्वंतत्रता मिलने के पश्चाताप ध्वज का रंग और उनका महत्व बना रहा मात्र ध्वज में चलते हुए चरखे का स्थान सम्राट अशोक के धर्म चक्र ने लिया और इस प्रकार कोंग्रेस पार्टी का तिरंगा ध्वज भारत का राष्ट्रीय ध्वज बना।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की विनिर्माण प्रक्रिया 

साल 1940 में भारत के गणतंत्र बनने के उपरांत, भारतीय मानक ब्यूरो (बी॰आई॰एस॰) ने 1941 में सर्व प्रथम बार ध्वज की कुछ विशिष्टताएँ बताईं। राष्ट्रीय ध्वज को 1964 की साल में परिवर्तित किया गया, जो भारत में मीट्रिक पद्धति  के अनुरूप थीं। इन निर्देशों को आगे चलकर 17 अगस्त 1968 में परिवर्तित किया गया। ये दिशा निर्देश अत्यंत कठिन है और राष्ट्रीय ध्वज के निर्माण में कोई खामी हो तो एक गंभीर अपराध समझा जाता है, जिसके कारण जुर्माना या जेल या दोनों सजाएं भी हो सकती हैं।

बी आई एस द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को तैयार करने के तीन डोक्युमेंट जारी किए गए हैं। इस दस्तावेज में कहा गया है, कि सभी तिरंगे खादी के सिल्क या कॉटन के कापड के ही होंगे। राष्ट्रीय ध्वज  बनाने का मापदंड 1968 में तय किया गया जिसे 2008 में फिर से संशोधित किया गया। राष्ट्रीय ध्वज के लिए नौ स्टैंडर्ड मापदंड साइज तय किए गए हैं। सबसे बड़ा राष्ट्रीय ध्वज 21 फीट लंबा और 14 फीट चौड़ा होता है।

सबसे पहले बैंगलुरू से लगभग 550 किमी दूर स्थित बगालकोट जिले के खादी ग्रामोद्योग सयुक्त संघ में खाड़ी के  कपड़े को बहुत ध्यान से काता और बुना जाता है। इसके बाद कपड़े को तीन अलग-अलग लॉट बनाए जाते हैं। इन को तिरंगे के तीन विभिन रंगो में रंगा जाता है। रंग किए हुए कपड़े बैंगलुरू से 420 किमी में  स्थित हुबली इकाई में भेज दिए जाते हैं। राष्ट्रीय ध्वज को विभिन्न साइज के अनुसार काटा जाता है। कटे हुए कपड़े को हुबली में ही सिलाई बुनादाई की जाती है।  कटे हुए सफेद कपड़े पर चक्र प्रिंट किया जाता है। इसके बाद तिरंगे की तीनों रंग के कपड़े की सिलाई की जाती है। सिलाई के बाद कपड़े को प्रेस किया जाता है।

आकारमिमी
16300 × 4200
23600 × 2400
32700 × 1800
41800 × 1200
51350 × 900
6900 × 600
7450 × 300
8225 × 150
9150 × 100
Last Final Word:

दोस्तों हमारे आज के इस आर्टिकल में हमने आपको भारतीय राष्ट्रिय ध्वज की जानकारी जैसे की भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की जानकारी, अशोक चक्र, भारतीय ध्वज का परिचय, भारतीय तिरंगे का विकास, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की विनिर्माण प्रक्रिया और भारतीय राष्ट्रिय ध्वज से जुडी सारी जानकारी से वाकिफ हो चुके होंगे।

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