उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 – इसको हम समजेंगे। 20 जुलाई 2020 को यह संशोधित अधिनियम पुरे भारत में लागु किया गया है। आइये इस आर्टिकल को पूरा पढ़ते है और इसके बारे में पुरे विस्तार से जानते है।
उपभोक्ता की क्या परिभाषा है? (What is the definition of consumer?)
उपभोक्ता वह व्यक्ति है जो अपने इस्तेमाल के लिए कोई वस्तु खरीदता है या सेवा करता है। इसमें वह व्यक्ति शामिल नहीं है जो दोबारा बेचने के लिए किसी वस्तु को हासिल करता है या कमर्शियल उद्देश्य के लिए किसी वस्तु या सेवा को प्राप्त करता है।
इसके अंतर्गत इसमें इलेक्ट्रोनिक तरीके, टेलीशोपिंग, मल्टी लेवल मार्केटिंग या सीधे खरीद के किए जाने वाले सभी तरह के ऑफलाइन या ऑनलाइन लेनदेन शामिल है।
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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 (Consumer Protection Act, 1986)
20 जुलाई 2020 से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (Consumer Protection Act, 2019) पुरे भारत देश में लागु किया गया है। यह तो सब जानते है की इस अधिनियम ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को विस्थापित किया है।
अनेक राज्यों में उपभोक्ता कल्याण हेतु संस्थाओ का गठन हुआ। 24 दिसंबर, 1986 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की पहल पर उपभोक्ता संरक्षण विधेयक को संसद ने पारित किया। इस अधिनियम में बाद में 1993 और 2002 में महत्वपूर्ण संशोधन किए गए।
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नए कानून के तहत क्या-क्या मुख्य बाते है? (What are the Main Features under the New Law?)
- यह उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 1986 का स्थान लेगा।
- यह विधेयक उपभोक्ता के अधिकारों को सुरक्षा प्रदान करता है एवं दोषपूर्ण सामान या सेवाओ में कमी के मामले में शिकायतों के निवारण के लिए एक तंत्र भी प्रदान करता है।
- भ्रामक विज्ञापनों पर जुरमाना एवं जेल जैसे प्रावधान भी इसमें जोड़े गए है।
- पहली बार ऑनलाइन कारोबार को भी इसके अंतर्गत लाया गया है।
- उपभोक्ता उन मामलो को वहां दर्ज कर सकते है जहां वे रहते है।
- न्यायालय अब 10 करोड़ रूपये से अधिक मूल्य वाले मामले सुन सकते है।
अगस्त 2019 में राष्ट्रपति की मंजूरी के बावजूद नए अधिसूचित होने में लगभग एक वर्ष का समय लगा है। अब तक उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1987 लागु था। नए अधिनियम के अनुसार, जिला फोरम (District Forum) का नाम बदलकर जिला आयोग (District Commission) कर दिया गया है।
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राष्ट्रिय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (Consumer Disputes Redressal Commission)
इसके अंतर्गत अधिक मूल्य वसूलना या अस्पष्ट किंमत वसूलना, अनुचित या प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार, जीवन के लिए खतरनाक वस्तुओ और सेवाओ की बिक्री शामिल है।
उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग क्षेत्राधिकार के अंतर्गत
‘जिला’ CDRC उन शिकायतों के मामलो की सुनवाई करेगा जिनमे वस्तुओ और सेवाओ की किंमत एक करोड़ रूपये से अधिक न हो। ‘राज्य’ CDRC उन शिकायतों के मामले में सुनवाई करेगा, जिनमे वस्तुओ और सेवाओ की किंमत एक करोड़ रूपये से अधिक हो, लेकिन 10 करोड़ रुपये से अधिक न हो।
केंद्र सरकार उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देने, संरक्षण करने और उन्हें लागु करने के लिए केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (Central Consumer Protection Authority-CCPA) का गठन करेगी। यह अर्थोरीटी उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन, अनुचित व्यापार और भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामलो के लिए एसी व्यवस्था करना है, जिससे काम ठीक ढंग से और नियमित रूप से चलती रहे। महानिदेशक की अध्यक्षता में CCPA की एक अन्वेषण शाखा (Investigation Branch) होगी, जो एसे उल्लंघनो की जाँच कर सकती है।
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CCPA क्या कार्य करेगी? (What will the CCPA do?)
- झूठे या भ्रामक विज्ञापन को बंद करने या उसे सुधारने का आदेश जारी करना।
- जुरमाना लगाना
- खतरनाक और असुरक्षित वस्तुओ तथा सेवाओ के प्रति उपभोक्ताओ को सुरक्षा नोटिस जारी करना।
- जोखिमपूर्ण वस्तुओ को याद करने या सेवाओ का निकाल करने का आदेश जारी करना।
- चुकाई गई किंमत की भरपाई करना और अनुचित व्यापार को बंद कराना।
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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की अधिसूचना (Consumer Protection Act 2019 in Hindi)
विपरीत पक्ष को अब राज्य आयोग के समक्ष अपील दायर करने से पहले जिला आयोग द्वारा राशी आदेश का 50% जमा करना होगा। 25000 रुपये की पूर्व सीलिंग को हटा दिया गया है। नए अधिनियम की एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता यह है की एक उपभोक्ता वहां मामला दर्ज कर सकता है जहां वह रहता है, बजाय की विपरीत पार्टी के स्थान पर।
नए अधिनियम की धारा 49 (2) और 59 (2) राज्य आयोग और एनसीडीआरसी (NCDRC) को क्रमशः अनुबंध की कथित अनुचित शर्तो को शून्य घोषित करने की शक्ति देती है। जिला, राज्य और राष्ट्रिय स्तर पर उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों (Consumer Disputes Redressal Commissions-CDRCs) का गठन किया जायेगा। जिसके अंतर्गत अनुचित और प्रतिबंधित तरीके का व्यापार, दोषपूर्ण वस्तु या सेवाएँ, अधिक किंमत वसूलना या गलत तरीके से किंमत वसूलना।
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उत्पाद की जिम्मेदारी क्या होती है? (What is the responsibility of the product?)
यह उसकी जिम्मेदारी है की वह किसी ख़राब वस्तु या सेवा के कारण होने वाले नुकसान या क्षति के लिए उपभोक्ता को मुआवज़ा दे। मुआवज़े का दावा करने के लिए उपभोक्ता को विधेयक में उल्लेखित खराबी या दोष से जुडी कम-से-कम एक शर्त को साबित करना होगा।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के मुख्य प्रावधान (Key Provisions of Consumer Protection Act)
- पीआईएल या जनहित याचिका अब कंज्यूमर फोरम में दायर की जा सकेगी। पहले के कानून में एसा नहीं था।
- नए कानून में ऑनलाइन और टेलीशोपिंग कंपनियों को भी शामिल किया गया है।
- खाने-पिने की चीजो में मिलावट करने वाली कंपनी पर जुर्माने और जेल का प्रावधान।
- उपभोक्ता मध्यस्थता सेल का गठन। दोनों पक्ष की आपसी सहमती से मध्यस्थता का विकल्प चुन सकेंगे।
- सिनेमा होल में खाने-पिने की वस्तुओं पर ज्यादा पैसे लेने की शिकायत पर होगी कार्रवाई।
- कैरी बैग के पैसे वसूलना कानूनन गलत।
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विधेयक से उपभोक्ताओं को लाभ (Consumers Benefit from the Bill)
देश भर में उपभोक्ता अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित उपभोक्ता शिकायतों को हल करने के लिए यह अधिनियम बहुत जरुरी है। वर्तमान में शिकायतों के निवारण के लिए उपभोक्ताओ के पास एक ही विकल्प है, जिसमे अधिक समय लगता है। केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) के माध्यम से विधेयक में शीघ्र ही न्याय की व्यवस्था की गई है। भ्रामक विज्ञापन और मिलावट के लिए कठोर सजा का प्रावधान है जिससे इस तरह के मामलो में कमी आए। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, अधिक समय और कठोर होने के साथ-साथ सरलीकृत विवाद समाधान प्रक्रिया और शिकायतों के ई-फाइलिंग का प्रावधान भी लाया है। अब उपभोक्ता अपनी शिकायत, अपने निकटतम न्यायालय में दर्ज करा सकेगा।
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Last Final Word
दोस्तों! इस आर्टिकल में हमने “उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019” और उससे जुडी पूरी जानकारी आपको दे दी है। इस आर्टिकल से जुड़ा कोई भी प्रश्न हो, आप कोमेंट बोक्स में पूछ सकते है।
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