DRDO और ISRO में क्या अंतर है?

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हमारे देश और भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन के लिए वैश्विक रूपसे प्रोधोगिकी आधार स्थापित करने और प्रतिस्पर्धी विज्ञान के लिए रक्षा अनुसंधान विकास संगठना कार्यरत है। ISRO भारत के अतंरिक्ष कार्यक्रम के लिए काम करता है। यह दोनो ही भारत के विकास और अनुसंधान के दो मुख्य क्षेत्र है। तो हमारे आज के इस आर्टिकल में हम आपको ISRO और DRDO में क्या अंतर है इसकी जानकारी देंगे।

DRDO और ISRO का अर्थ (Meaning of DRDO and ISRO)

DRDO का अर्थ Defense Research Development Organization होता है और इसे हिंदी में रक्षा अनुसंधान विकास संगठन भी कहते है। ISRO का अर्थ Indian Space Research Organization होता है और इसे हिंदी में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान भी कह सकते है। इसरो उपर अंतरिक्ष और टैकनोलजी के क्षेत्र में दुनिया में एक नइ पहचान बनाई है। वही DRDO की जिम्मेदारी भारतीय शास्त्र बालो के हथियारों और तोपखाने रक्षा करने की है। भारत देश के लाभ के लिए सर्वोत्तम उत्पाद प्रदान करने के लिए दोनों विभाग व्यापक शोध का उपयोग करते है।

DRDO के बारे में जानकारी (Information about DRDO)

भारत देश की रक्षा से जुडी अनुसंधान कार्यो के लिए देश की मुख्य संस्था है। यह संस्था भारतीय रक्षा मंत्रालय की एक यूनिट सहायक के रूप में काम करता है। इस की स्थापना 1958 की साल में भारतीय थल सेना और रक्षा विज्ञानं संस्थान के तकनिकी विभाग के स्वरूप में की गई है। वर्तमान समय में इस संस्था की अपनी 51 प्रोयागशाला है। जो रक्षा उपकरण इलेक्ट्रोनिक्स आदि के क्षेत्र में रिसर्च करने में कार्यरत है। DRDO में 25000 हजार से अधिक कर्मचारी और 5000 हजार से अधिक वैज्ञानिक काम करते है।

DRDO का इतिहास (History of DRDO)

प्रौद्योगिकी विकास और उत्पादन निदेशालय (DTDP) का गठन 1958 में तत्कालीन भारतीय सेना के प्रौद्योगिकी विकास प्रतिष्ठान (TDE) और रक्षा विज्ञान संस्थान (DSO) को मिलाकर रक्षा संगठन और अनुसंधान संगठन का गठन किया गया था। उस समय DRDO 10 प्रतिष्ठानों या प्रयोगशालाओं वाला एक छोटा संगठन था। इसके बाद इस संगठन ने कई सारी प्रयोगशाला का निर्माण किया था। आज इस संगठन की 40 से भी अधिक प्रोयाग्शाला उपलब्ध है। जो अलग अलग प्रकार के शिक्षण जैसे की वैमानिकी, आयुध, इलेक्ट्रॉनिक्स, लड़ाकू वाहन, इंजीनियरिंग सिस्टम, उपकरण, मिसाइल, उन्नत कंप्यूटिंग और सिमुलेशन, विशेष सामग्री, नौसेना प्रणाली, जीवन विज्ञान, प्रशिक्षण, सूचना प्रणाली और कृषि जैसे विषयों की रक्षा करने वाली रक्षा प्रौद्योगिकियों को तुरंत विकसित करने में संलग्न हैं।

DRDO का महत्व (Importance of DRDO)

DRDO का उद्देश्य आत्मनिर्भरता और सफल स्वदेशी विकास और रणनीतिक प्रणालियों और प्लेटफार्मों का उत्पादन करना है। जैसे की अग्नि और पृथ्वी मिसाइलों की श्रृंखला (Agni and Prithvi series of missiles), हल्के लड़ाकू विमान, तेजस (Light combat aircraft, Tejas), मल्टी बैरल रॉकेट लांचर, पिनाका (Multi-barrel rocket launcher, Pinaka), वायु रक्षा प्रणाली, आकाश (Air Defense System, Akash), रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली की एक विस्तृत श्रृंखला (A wide range of radars and electronic warfare systems)

DRDO का लक्ष्य (DRDO Target)

  • DRDO का कार्य देश की सुरक्षा सेवाओं के लिए अत्याधुनिक सेंसर, हथियार प्रणालियों, प्लेटफार्मों और संबद्ध उपकरणों का उत्पादन, डिजाइन, विकास और नेतृत्व करना।
  • मुख्य नियंत्रक और वैज्ञानिक सलाहकार से प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला निदेशालय और आरएम के बीच एक इंटरफेस के रूप में कार्य करते हैं।
  • अतिरिक्त वित्तीय सलाहकार संगठन को संगठन के उद्देश्यों के अनुसार धन के उचित उपयोग पर सलाह देता है।
  • बुनियादी ढांचे और प्रतिबद्ध गुणवत्ता जनशक्ति का विकास करना और स्वदेशी प्रौद्योगिकी आधार को मजबूत करना।

ISRO के बारे में जानकारी (Information About ISRO)

इसरो भारत की अंतरिक्ष संस्था है, जिसका मुख्य कार्यलय बेंगलौर में है। इस संस्था के अतिरिक्त करीबन 17 हजार से अधिक वैज्ञानिक और कर्मचारी काम करते है। इस संस्था का मुख्य काम भारत के लिए अंतरिक्ष सबंधित तकनीक उपलब्ध करवाना है। ISRO का मुख्य उद्देश्य उपग्रहों, प्रमोचक यानो, परिज्ञापि रोकेट एवं भू प्रणाली का विकास करना होता है। इसरो की स्थापना 15 अगस्त 1969 में की गई थी तब इस संस्था का नाम अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति’ (INCOSPAR) था।

ISRO का इतिहास (History of ISRO)

भारत देश में इसरो के कार्य की गतिविधि 1960 की साल में शुरू हुई थी। ISRO की स्थापना करने का विषार विक्रम साराभाई ने रखा था। ISRO के संस्थापक डॉ विक्रम साराभाई है इन्हे ISRO के पिता भी कहते है। इस संस्था की शरुआत डॉ रामनाथ और डॉ विक्रम साराभाई ने की थी। साल 1975 में सैटेलाईट इंस्ट्रक्शनल टेलीविज़न एक्सपेरिमेंट (Satellite Instructional Television Experiment, SITE) की लोंचिंग की गई थी। इस सेटेलाईट को विश्व में सबसे बड़े समाजशास्त्री प्रयोग के रूप में प्रतिष्ठित किया गया था। 1980 की साल में आर्यभट नाम का सर्वप्रथम अंतरिक्ष यान सोवियंत लॉन्चर द्वारा लोंच किया गया था। इस के बाद में भास्कर 1 और भास्कर 2, आईऍनएसएटी, पिएसएलवि, जीएसएलवि आदि को लोंच किया गया था।

ISRO का महत्व (Importance of ISRO)

  • इसरो द्वारा भारत में अंतरिक्ष तक जाने के लिए वाहनों और उसे सबंधित तकनीको को डिजाइन और ज्यादा विकसित करना है।
  • ISRO का कार्य संचार, नेविगेशन, हवामान विज्ञानं, पृथ्वी की निगरानी एवं अंतरिक्ष विज्ञानं के लिए उपग्रह से जुडी तकनिकी डिजाइन को और ज्यादा विकसित करना है।
  • ISRO द्वारा दूरसंचार टेलीविजन प्रसारण और विकासत्मक आवेदन की आवश्यकता को पूर्ण करने हेतु विकसित किया गया था।
  • इसरो के रिमोट सेसिग सेटेलाईट का प्रयोग से प्राकृतिक संसाधन के प्रबन्धन और अंतरिक्ष आधारित वनिकर्ण के माध्यम से पर्यावरण की देखभाल करने के लिए किया जाता है।

ISRO की उपलब्धिया (Achievements of ISRO)

INSAT की लॉन्चिंग:यह Asia-Pacific region के कुछ घरेलु संचार सैटेलाइट सिस्टम में से एक था। इसनकी शरुआत प्रसारण, दूरसंचार, मौसम पूर्वानुमान, खोज और बचाव अभियान, अंतरिक्ष विज्ञान और कुदरती आपत्ति की चेतावनी जैसी जरूरतों को पूरा करने के लिए की गई थी।

SRE-1 : इसकी लोंचिंग 10 जनवरी 2007 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया है। इस मिशन का उद्देश्य पृथ्वी की परिक्रमाकर रहे स्पेस कैप्सूल का सही हालत में आने की क्षमता को दर्शाना था। इसा दूसरा उद्देश्य मार्गदर्शन नियंत्रण, नेविगेशन, संचार प्रबंधन और कई अन्य projects शामिल थे।

RLV का विकास : RLV मशीन इसरो की चर्चित मशीन में से एक है। इस मशीन की उपलब्धी कम से कम लागत में अधिक आउटपुट ले सके, इस उद्देश के साथ विकास किया गया है। लेकिन इसे नमूने की तरह पेश किया गया था। यह ISRO को विज्ञानं अनुसंधान और अंतरिक्ष के रिसर्च मिशन में एक नइ दिशा देगा।

भारत का सर्वप्रथम सेटेलाईट आर्यभट्ट : इस सेटेलाईट का नाम महान खगोल शास्त्री आर्यभट्ट के नाम से रखा गया था। यह 19 अप्रैल 1975 कॉसमॉस 3M नामक के राशियाँ रॉकेट से लॉन्च किया गया था। यह 17 साल तक अंतरिक्ष में रहा था। इस सेटेलाईट को लॉन्च करने का मुख्य उद्देश एक्स-रे खगोल विज्ञान, एरोनोमिक्स और सौर भौतिकी में प्रयोगों का संचालन करना था।

चंद्रयान 1 : यह इसरो का एक ऐसा मशीन था, जिस्स्से भारत की अंतरिक्ष जांच पद्धति को पूरी तरह से बदल दिया था। यह च्नाद्र्यान कार्यक्रम के तहत देश का सर्वप्रथम चाँद से सबंधित अनुसंधान था। इसकी लॉन्चिंग अक्टूम्बर 2008 में हुई है। इस मशीन को लॉन्च करने का उद्देश्य चाँद के खनिज विज्ञानं, भू विज्ञान और स्थलाकृति की जांच करना था।

एक साथ 104 सेटेलाईट की लॉन्चिंग : इसरो ने 104 सेटेलाई को एक साथ प्रक्षेपित करके वोल्ड रिकॉर्ड बनाया है। इसकी लॉन्चिंग 2017 में हुई थी। इस में 101 विदेशी सेटेलाईट थे। और इसके बाद GSLVMK3 की लॉन्चिंग की गई थी।

ISRO और DRDO के बिच में क्या अंतर है? (What is the difference between ISRO and DRDO)

क्रमDRDO

रक्षा अनुसंधान विकास संगठन

ISRO 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान

मंत्रालयरक्षा मंत्रालय (Ministry of Defense)अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार (Department of Space, Govt of India)
उत्पत्ति1958साल 1960s
निर्माणकर्ताभारत सरकार (Govt of India)डॉ. विक्रम साराभाई (Dr Vikram Sarabhai_
कार्यभारतीय सशस्त्र बलों के लिए रक्षा हथियार, तोपखाने, मिसाइल आदि विकसित करता है।इसरो का मुख्य उद्देश्य उपग्रहों, प्रमोचक यानो, परिज्ञापि रोकेट एवं भू प्रणाली का विकास करना होता है।

 

उत्पादोंBrahMos, Prithvi, Agni, Trishul, AkashPSLV, GSLV, INSAT, MOM, Chandrayaan
उद्देश्यसामान्य आबादी को घरेलू क्षेत्र जैसे कृषि, संचार प्रणाली, मौसमी, हरित क्षेत्र में रहने में मदद करना।सामान्य आबादी को घरेलू क्षेत्र जैसे कृषि, संचार प्रणाली, मौसमी, हरित क्षेत्र में रहने में मदद करना।

 

Last Final Word

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