हमारा भारत एक ग्रामीण परिवेश वाला देश माना जाता है, हमारे भारत को कृषि प्रधान देश कहा गया है। किसान अपने गांव में रहकर अपने खेतों पर खेती के कार्य करते है। अच्छी फसल होने पर किसानों द्वारा अतिरिक्त फसल को बाजार में बेच कर जीवन यापन किया जाता है। यह ग्रामीण जीवन ज्यादातर वर्षा के मोसम पर आधारित होते है, जिस से कई बार किसानों को बहुत ही ज्यादा नुक्सान का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्र में प्रशासनिक पहुंच बनाने और गांव के लोगो की इच्छाओं और जरूरियात के आधार पर संसाधन को पहुंचाने के लिए पंचायती राज की व्यवस्था की गयी है। भारत देश में 70% जनसंख्या गांव में निवास करती है, बहुत बड़ी संख्या को खुदा का प्रशासन निर्माण करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 243 में व्यवस्था का निर्माणकी गयी है। इसके अंदर पंचायती राज का प्रादेशिक किया गया है। इस संविधान में ग्राम सभा और ग्राम पंचायत का आयोजन किया जाता है, जो संपूर्ण ग्राम के विकास के लिए जिम्मेदार होती है | ग्राम पंचायत का मुख्य ग्राम प्रधान होता है।
ग्राम प्रधान क्या होता है?
ग्राम पंचायत एक गांव स्तर पर पंचायती राज पद्धति की आधारशिला होती है। पंचायती राज पद्धति के अनुसार, ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत, ब्लॉक स्तर पर पंचायत समिति और जिला स्तर पर जिला परिषद हैं। इस पद्धति को 1973 में 73वें संवैधानिक संशोधन द्वारा अधिनियमित किया गया था। एक निर्वाचित अध्यक्ष ग्राम प्रधान द्वारा संचालित होती है। इनका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। ग्राम पंचायत का काम गांव के लोगो की समस्याओं पर निर्भर करता हैं। न्यूनतम एक हजार की जनसंख्या पर एक ग्राम पंचायत होती है, और जिन ग्रामीण की जन सख्या एक हजार से कम होती है वहां आसपास के छोटे-छोटे गांव को मिलाकर एक ग्राम पंचायत बनाई जाती है। एक ग्राम पंचायत वे सभी गांव के लिए काम करती है, जिन गांवों को मिलाकर एकग्राम पंचायत बनाई जाती है।
ग्राम-प्रधान बनने के लिए योग्यता
ग्राम सभा का प्रमुख बनने के लिए आवेदक उसी गांव का निवासी होना बहुत ही आवश्यक होता है, कुछ राज्यों में ग्राम प्रधान का चुव लड़ने की योग्यता 8th क्लास या फिर 10th क्लास पास जरुरी होता है , राजस्थान में ग्राम प्रधान के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता कक्षा 8th क्लास पास होना जरुरी था लेकिन नयी सरकार आने के बाद इस नियम को खत्म कर दिया गया। इसी प्रकार हरियाणा में यह कक्षा 10th क्लास पास होना आवश्यक है तथा महिला आवेदक के लिए एवं अनुसूचित जाति के आवेदक के लिए 8th क्लास पास आवश्यक है। उत्तर प्रदेश में ग्राम प्रधान बनने के लिए कोई शैक्षिक योग्यता नही है।
ग्राम पंचायत का गठन और चुनाव शपथ
ग्रामीण विस्तार में वोटरों के द्वारा एक मुख्य सभ्य का चुनाव होता है जिसको गांव का मुख्या या सरपंच कहा जाता है। मुख्य का कार्यलय पाच साल का होता है। एवं कुछ और सभ्य का भी सिलेक्शन साथ में होता है जिनको ग्राम पंचाय का सभ्य कहा जाता है।
हर एक ग्राम सभा में प्रतेक 5 साल के पश्चाताप निवार्चन आयोग के द्वारा चुनाव कराया जाता है, उन्ह में निर्वाचन आयोग की प्रमुख भूमिका होती है और यह जानकारी जारी करने की बात हो या आचार संहिता को लागू करने का काम हो। जिसको भी सदस्य पद या ग्राम प्रधान पद पर चुनाव लड़ना होता है, उसको एक निर्धारित समय के अंदर आवेदन पत्र या पर्चा दाखिल करने का काम जिला-निर्वाचन ऑफिसर के पास जाकर करना होता है, उसके बाद निर्वाचन कार्यालय से चुनाव का चिन्ह हर आवेदक को दिया जाता है। चुनाव के बाद वोटों की गिनती की जाती है, इसमें जिस प्रत्याशी को सबसे ज्यादा वोट मिलते है, उस निर्वाचित सदस्य को ग्राम प्रधान पद के लिए निर्वाचन अधिकारी के द्वारा एक प्रमाण पत्र दिया जाता है। प्रमाण पत्र मिलने के बाद प्रधान और अन्य सभी चयनित सदस्यों को पीठासीन अधिकारी व ग्राम पंचायत सचिव के द्वारा शपथ दिलाई जाती है। इस प्रकार गांव के प्रधान पद व अन्य सदस्यों का चुनाव होता है।
ग्राम सभा का मुखिया बनने के लिए जरुरी डोक्युमेंट
- स्ब्याम साक्ष्यांकित शपथ पत्र
- एससी/एसटी/ओबीसी केटेगरी के आवेदक का जाति प्रमाण
- उम्र सर्टिफिकेट – कम से कम उम्र 21 वर्ष या उस से अधिक साबित करने के लिए
- ग्राम सभा की चुनाव की पत्रिका में नाम होना चाहिए
- आवक सर्टिफिकेट
- पैन-कार्ड
- आधार कार्ड
- चरित्र प्रमाण पत्र
- निवास प्रमाण पत्र
- पुलिस सत्यापन
पंचायत चुनाव के लिए कितनी राशि देनी होती है?
राज्य निर्वाचन आयोग उत्तर प्रदेश के अनुसार इस ग्राम मुख्य पद के लिए प्र्त्याशील को नियम मुजब राशि भी जमा करनी होगी। जमा शुल्क कुल वैध मिले चुनाव की संख्या होती है, अगर उससे कम मिला तो जो राशि जमानत के रूप में जमा की है। तो हारने पर उसे सरकार वापस नहीं करती है। चुनाव में कितना खर्च करना है, निर्वाचन आयोग तय करता है,उससे ज्यादा पैसा वोट प्रचार में नहीं खर्च किया जा सकता है।
ग्राम-प्रधान का कार्य क्षेत्र:
- ग्राम पंचायत के सारे विकास कामो के क्रियान्वय में ग्राम पंचायत की प्रमुख भूमिका होती है।
- सरकार की आवासीय योजना के तहत ग्रामीण लोगो के घरों के निर्माण कार्य की देखरेख
- कच्ची-पक्की सड़कों का निर्माण करवाना और उनकी मरमत करवाना।
- जमीन और तालाब के विस्तार जरुरत मंद को मिले इसकी जानकारी प्रशासन को देना
- युवा कल्याण संबंधी कार्य के देखरेख करना
- पंचायती राज्य संबंधी ग्राम स्तरीय कार्य
- चिकित्सा और स्वास्थ्य संबंधी कार्य व महिला एवं बच्चो विकास संबंधी कार्य करवाना
- पशु धन विकास संबंधी कार्य करवाना तथा पशुओं के पीने के पानी की व्यवस्था करने के कार्य
- राजकीय पानी के लाइन की मरम्मत व रख रखाव तथा पानी निकासी के ड्रेनेज की भी व्यवस्था जैसे कार्य करवाना।
- ग्रामीण विस्तार के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूल का निरीक्षण करना तथा जरुरी चीजों की पूर्ति के लिए प्रशासन अवगत कराना
- खेती से सबंधित काम की रूप रेखा तैयार करना और कृषि संबंधी समस्या को अपने स्तर दूर करवाना
- किसानों की फसलों की सिंचाई के लिए सरकारी ट्यूबवेल और कुए की व्यवस्था करवाना।
- नालियों की साफ-सफाई का काम करवाना।
- ग्राम पंचायत का कार्य सार्वजनिक स्थल जैसे मंदिर, मस्जिद आदि स्थानों पर लाइट की व्यवस्था करन।
- ग्राम पंचायत में जन्म मृत्यु विवाह आदि का रिकॉर्ड रखना, जनगणना में सहयोग करना।
- आरटीई एक्ट 2009 के तहत शिक्षा के अधिकार एक से लेकर आठवीं तक बच्चों की शिक्षा की मुफ्त व्यवस्था करना।
- ग्राम प्रधान का काम है की जो भी सरकारी संस्था गाव में कार्य कर रही है उसकी देख रेख करे।
- सरकारी की योजनाओ को गांव में लागु करवाना और ग्रामीण को उनकी माहिती देना।
ग्राम-प्रधान के अधिकार
हर ग्राम पंचायत में पंचायती राज मंत्रालय के तरत विकास का खांका तैयार करने के लिए 6 समितियों काआयोजन किया जाता है जिसके मॉनिटरिंग का काम ग्राम प्रधान ही करता है। ये 6 समितियां इस परकार हैं।
- प्रशासनिक कार्य समिति
- नियोजन कार्य समिति
- चिकित्सा स्वास्थ्य समिति
- निर्माण कार्य समिति
- शिक्षा समिति
- जल प्रबंधन समिति
और इसके साथ ही में ग्राम सभा में ग्राम पंचायत की बैठक कोसंचालन करना एवं उसकी कार्यवाही को नियंत्रित में रखना। ग्राम पंचायत की सभी योजनाओं को सुचारु रूप से लागू करवाना, पशुपालन, कृषि और ग़रीबी उन्मूलन कार्यक्रमों को संचालित करना। सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओ की जानकारी सम्बंधित अधिकारीयों हासिल करके गांव में बताना जिससे योजनाओ का लाभ ग्रामणी विस्तार के लोग प्राप्त कर सके और जागरूकता अभियान के तहत गांव के लोगो को जागरूक करना आदि कार्य सरपंच के अधिकार क्षत्र में आते हैं।
ग्राम प्रधान को कौन से पद से मुक्त किया जाता है?
इस जानकारी में ग्राम पंचायत के आधे सभ्य के हस्ताक्षर होने बहुत ज़रूरी होते हैं। इस सूचना में मुख्या को पद मुक्त करने के सभी कारणों का उल्लेख डिटेल्स में होना चाहिए। हस्ताक्षर करने वाले ग्राम पंचायत सभ्यों में से 3 सदस्यों का जिला पंचायती राज ऑफिसर के सामने उपस्थित होना आवश्यक होगा।
किसी भी सरपंच को समय से पहले पद मुक्त करने के लिए जिला पंचायत राज अधिकारी को एक लिखित सूचना पात्र दी जानी चाहिए। यदि ग्राम प्रधान या उप मुख्य ग्राम की प्रगति के लिए ठीक तरीके से कार्य नहीं कर रहे हैं तो उन्हें पद से हटाया भी जा सकता है।
जानकारी प्राप्त होने के 30 दिन के आसपास जिला पंचायत राज अधिकारी गाँव में एक बैठक आयोजित करेगा, इस बैठक की सूचना न्यूनतम 15 दिन पहले दी जाएगी। बैठक में उपस्थित तथा मत देने वाले सदस्य के दो या तिन बहुमत से गांव मुख्या एवं उप सरपंच को पद मुक्त किया जा सकता है।
ग्राम पंचायत समिति
गांव में रहने वाले लोगों के द्वारा ग्राम प्रधान समिति का सदस्य चुना जाता है। ग्राम प्रधान समिति के सभ्य की संख्या ग्राम की जनसंख्या पर निर्भर करती है. अठारह वर्ष की आयु के बाद सभी महिका और पुरुष अपने वोट का प्रयोग करके ग्राम पंचायत समिति के सभ्य का चुनाव कर सकते हैं।
पंचायत समिति के सदस्यों की संख्या नव से लेकर पंदरा तक हो सकती है, यह संख्या उसे ग्राम सभा की कुल जनसंख्या के आधार पर निर्धारित होती है इसके अतिरिक्त ग्राम प्रधान समिति का सदस्य होने के लिए सबसे महत्वपूर्ण योग्यता यह है कि वह व्यक्ति किसी भी न्यायालय द्वारा कोई सजा ना पाया हो, और साथ ही साथ वह व्यक्ति पागल या दिवालिया ना हो।
ग्राम पंचायत समिति का सभी बनने के लिए किसी व्यक्ति की कम से कम आयु 21 साल होनी बहुत आवश्यक होती है, इसके साथ में आवेदक उस गांव का निवासी होन जरुर है।
ग्राम प्रधान में मुख्या द्वारा किए गए कार्य की जानकारी कैसे प्राप्त करें?
- सबसे पहला स्टेप निचे दिए गए लिंक पर जाना है. उसके बाद Reporters पर जाना है।
- अब निचे फोटो जैसा पेज मिलेगा जिसमे आपको अपने ग्रामसभा की जानकारी का चायन करना है।
- वर्ष का चयन करना है, किस साल में किये गए कार्य की पत्रिका का चयन करना चाहते है।
- राज्य में आपको अपना राज्य सिलेक्शन कर लेना है।
- Pl यूनिटी केटेगरी प्लान केटेगरी में लोकल यूनिटी पैर टिक मार्क लगाये।
- प्लान यूनिटी टाईप्स में आपको कई विकल्प मिलेंगे जैसे जिला पंचायत, ग्राम पंचायत टाउन पंचायत, आदि ग्राम प्रधान कार्य की पत्रिका चेक करना है तो ग्राम पंचायत चयन कर ले।
- अब आपको जो सही है योजना प्रकार सिलेक्ट के बाद तिन विकल्प मिलेगा। जिला पंचायत में अपना जिले का चयन करें।
- क्षेत्र पंचायत में जिले का नाम सिलेक्ट कर ले।
- अब आखिर में आपके जिला में जितने भी गाँव है, सभी का आखिर मिल जायेगा और अपने ग्राम का नाम सेलेक्ट कर ले।
- अब अंत में सही टेक्स कोड दिया होगा कोड को निचे दिए गए ब्लैंक स्पेस में फिल करके गेट रिपोट पर क्लिक करना है।
- गेट रिपोट पर Click करें और नया पेज खुल जायेगा, जिसमे आपको आपके ग्राम प्रधान वर्क लिस्ट स्टेटस शो हो रहा होगा।
ग्राम प्रधान की सैलरी कितनी होती है?
दोस्तों अब बात करते है की ग्राम प्रधान की सैलरी कितनी होती है? तो उत्तर प्रदेश राज्य में ग्राम प्रधान की सैलरी 3500 रूपये है, इसके अतिरिक्त उन्हें यात्रा भत्ता एवं अन्य खर्चों के रूप में 15000 रूपये प्रति माह प्राप्त होते हैं। और ये हर राज्य में विभिन सैलरी हो सकती है। इसके लिए आप गूगल पर खोज कर सकते है।
Last Final Word
दोस्तों हमारे आज के इस आर्टिकल में हमने आपको ग्राम प्रधान कैसे बने की जानकारी दी जैसे की ग्राम प्रधान क्या होता है? ग्राम प्रधान बनने के लिए क्या योग्यता होती है? ग्राम पंचायत का गठन और चुनाव् शपथ, ग्राम प्रधान बनने के लिए जरुरी दस्तावेज, ग्राम पंचायत के चुनाव के राशी देनी होती है? ग्राम प्रधान के कार्य, ग्राम प्रधान के अधिकार, ग्राम प्रधान को किस पद से मुक्ति मिलती है? ग्राम पंचायत समिति,ग्राम पंचायत में प्रधान द्वारा किए गए कार्य की जानकारी कैसे प्राप्त करें? ग्राम प्रधान की सैलरी और करियर से जुडी सारी जानकारी से वाकिफ हो चुके होंगे।
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