जानें सोने पर लगा हॉलमार्क क्या दर्शाता है?

10 Min Read

नमस्कार दोस्तों! आज हम इस आर्टिकल में बात करेंगे सोने के आभूषण पर हॉलमार्क क्या दर्शाता हे और हॉलमार्क क्यों जरुरी हे। तो आगे पढ़ते हे और जानते हे की सोने में हॉलमार्क क्यों दर्शाया जाता हे।

भारत में सोने के आभूषणों पर हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी हे और एसी घोषणा भारत सरकार ने 16 जून, 2021 को की हे। तब से भारत में सोने मे हॉलमार्किंग अनिवार्य हे। स्वैच्छिक रूप से भारत में हॉलमार्किंग की शुरुआत दो दशक बाद हुई हे।

पहले चरण में मात्र 256 जिल्लो में ही हॉलमार्किंग की उपलब्धी की गयी थी और भारत सरकार ने कहा की 40 लाख रुपये से ज्यादा हर साल टर्नओवर वाले ज्वैलर्स ही इसके दायरे में आयेंगे। हॉलमार्किंग के दायरे में 5 लाख ज्वैलर्स के आने की उम्मीद हे।

भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards, BIS)

हॉलमार्क सरकारी गारंटी हे। सोने के आभूषणों पर हॉलमार्क लगाने की सत्ता ‘भारतीय मानक ब्यूरो’ के पास हे। भारत में BIS(भारतीय मानक ब्यूरो) एक एसी संस्था हे, जो उपभोक्ताओ को उपलब्ध कराये जा रहे गुणवत्ता स्तर की जांच करती हे।

सोने पर लगा हॉलमार्क क्या दर्शाता हे?(What does the hallmark on gold represent?)

सोने पर लगा हॉलमार्क ‘भारतीय मानक ब्यूरो’ द्वारा जारी किया गया हे। यह सोने की गुणवत्ता दर्शाता एक प्रमाणपत्र हे और यह आभूषण में सोने की शुद्धता की गारंटी देता हे। यह प्रमाणपत्र नक्की किए गए ज्वैलर्स को प्रमाणित किए हुए स्थलों पर शुद्धता का परिक्षण करके जारी किया जायेगा।

सोने के सिक्के या गहने कोई भी सोने के आभूषण जो BIS द्वारा हॉलमार्क किया गया हे, उस पर BIS का लोगो लगाना आवश्यक हे। इससे पता चलता हे की BIS की लाइसेंस प्राप्त प्रयोगशालाओ में इसकी शुद्धता की जाँच की गई हे।

आप जानकर हेरान होगे की सभी कैरेट के सोने पर हॉलमार्किंग की अनुमति नहीं दी गई। सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट के सोने पर ही हॉलमार्किंग करने की अनुमति दी गई हे और 20, 23 और 24 कैरेट के सोने के आभूषणों पर नियत किए गए समय पर हॉलमार्किंग की अनुमति दी जाएगी।

हॉलमार्क से सोने की शुद्धता की पहचान

भारत में आमतौर पर 22 कैरेट सोने के आभूषण का इस्तेमाल होता हे। 22 कैरेट सोने के आभूषण पर 916 अंक अंकित होता हे और इसमें 91.6 प्रतिशत सोना होता हे। इसी तरह सोने के आभूषण पर अन्य अंको का अर्थ लगाया जा सकता हे।

  • 375 का अर्थ 37.5 % शुद्ध सोना
  • 585 का अर्थ 58.5 % शुद्ध सोना
  • 750 का अर्थ 75.0 % शुद्ध सोना
  • 916 का अर्थ 91.6 % शुद्ध सोना
  • 990 का अर्थ 99.0 % शुद्ध सोना
  • 999 का अर्थ 99.9 % शुद्ध सोना

कितने जिलो में हॉलमार्किंग अनिवार्य की गई हे? (In how many districts hallmarking has been made mandatory?)

जब हॉलमार्किंग की अनुमति दी गई तब मंत्रालय के अनुसार “हिस्सेदारों के साथ विचार-विमर्श करके” यह फेसला लिया की हॉलमार्किंग शुरू में भारत के 256 जिलो में ही शुरू किया जायेगा और उनके पास परिक्षण केंद्र होना आवश्यक हे।

तबसे प्रारंभिक मुद्दे शामिल हे यह कहना गलत नहीं होगा दोस्तों! इसी वजह से भारत में अब चरणबद्ध तरीके से हॉलमार्किंग अनिवार्य लागु किया गया हे। शुरुआत में जहा पर परिक्षण केंद्र हो वेसे जिल्लो में यानि की 256 जिलो में हॉलमार्किंग लागु किया गया हे।

वो 256 जिले जहा पर हॉलमार्किंग की अनुमति दी गई हे उसके आलावा जहा पर हॉलमार्किंग की अनुमति नहीं दी गई वेसे जिलो में अगला चरण कब शुरू होगा वो नहीं कहा जा सकता क्योकि हाल में मंत्रालय ने कोई निश्चित समय या तारीख नहीं दी हे।

ज्वेलर को हॉलमार्क वाले आभूषण को बेचने के लिए रजिस्टर करना आवश्यक हे, एसा भारतीय मानक ब्यूरो की हॉलमार्किंग योजना के तहत लागु किया गया हे। एक मात्र भारत देश ही एसा हे जहा सोने की महत्वपूर्ण खपत होती हे और जहा सोने की अनिवार्य हॉलमार्किंग भी नहीं थी, पर अब भारत में भी हॉलमार्किंग अनिवार्य हो गई हे।

भारत में हॉलमार्किंग के लिए किन धातु को कवर किया गया हे और किन्हें छुट दी गई हे?

  • 14 जून, 2018 को भारत सरकार ने एक फरमान जारी किया और उस फरमान के जरिये कहा की हॉलमार्किंग के दायरे में दो श्रेणियों को अधिसूचित किया जायेगा: सोने के आभूषण और सोने की कलाकृतियां; और चांदी के आभूषण और चांदी की कलाकृतियां।
  • 40 लाख रुपये के वार्षिक टर्नओवर रखने वाले ज्वैलर्स को अनिवार्य हॉलमार्किंग से छुट दी गई हे।
  • उपभोक्ता मामलो से जानकारी प्राप्त करके उसके अनुसार कहा गया हे की ” भारत सरकार की व्यापार निति के अनुसार सोने के आभूषणों का निर्यात और फिर से आयात- आंतरराष्ट्रीय स्टार की प्रदर्शनियों के लिए आभूषण, सरकार द्वारा मान्य किया हुआ Business 2 Business (B2B) घरेलु प्रदर्शनियों के लिए आभूषणों को निश्चित रूप से हॉलमार्किंग से छुट दे दी जाएगी।
  • “घडिया, फाउंटेन पेन और विशेष प्रकार के आभूषण जैसे की कुंदन, पोलकी और जडाऊ को हॉलमार्किंग से छुट दी जाएगी” एसा उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अनुसार कहा गया हे।

हॉलमार्किंग क्यों अनिवार्य हे?

  • उपभोक्ताओ को नकली उत्पादों से बचने और कारोबार की निगरानी के लिए हॉलमार्किंग बेहद जरुरी हे।
  • हाल में, भारत में भारतीय सोने के आभूषण पर मात्र 30% हॉलमार्क हे, जिसकी कीमत लगभग रु 50,000 प्रति 10 ग्राम हे, यह उस वस्तु में विश्वास लाता हे।
  • हॉलमार्किंग में उत्पाद कई चरणों में गुजरता हे। एसे में गुणवत्ता में किसी तरह की गड़बड़ी की गुंजाईश नहीं रहती हे, बाजार में सोने की खरीद-बिक्री पर नजर रखने में मददगार होता हे और साथ-साथ हॉलमार्किंग से ग्राहक की संतुष्टि भी बढ़ती हे।
  • जरुरत पड़ने पर जाँच एजेंसिया कई संस्थानों के आंकड़ो का मिलन कर गड़बड़ी का पता लगा सकती हे।
  • हॉलमार्किंग का फायदा यह हे की जब आप इसे बेचने जाएँगे तो किसी तरह की डेप्रिसिएशन कोस्ट नहीं काटी जाएगी यानि आपको सोने का वाजिम दाम मिलेगा।
  • उपभोक्ता संरक्षण एक अन्य प्रमुख प्राथमिकता हे जिसे इस प्रक्रिया में पूरा किया जायेगा। सरकार का कहना हे की इस प्रक्रिया से दुनिया में एक सोने का बाजार केंद्र के रूप में भारत को विकसित करने में मदद मिलेगी।

क्या हॉलमार्किंग सभी ज्वैलर्स के लिए अनिवार्य हे?

भारत सरकार ने गोल्ड हॉलमार्किंग के कार्यान्वयन में फैसला किया की अगस्त 2021 तक ज्वैलर्स पर कोई जुरमाना नहीं लगाया जायेगा ताकि पुराने आभूषण या कोई सोने का स्टोक पड़ा हो जिस पर हॉलमार्क न हो उससे परेशान ज्वैलर्स और रोकिस्टों को थोडा समय मिल सके। नवम्बर 2019 में, भारत सरकार ने सोने के आभूषणों पर 15 जनवरी, 2021 से हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी थी। लेकिन बाद में समय को बढाकर 1 जून और बाद में 15 जून, 2021 तक बढ़ा दिया गया हे।

क्या इसके लिए कोई इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध हे या नहीं?

भारत में परिक्षण और हॉलमार्किंग केन्द्रों (A&H centres) की संख्या में पिछले पांच सालो में 25% की वृद्धि हुई हे। 454 से 945 तक एसे केन्द्रों की संख्या बढ़ गई हे। हाल में 940 परख और हॉलमार्किंग केंद्र चालू हे और इसमें से 84 केंद्र सरकारी सबसिडी योजना के तहत अलग-अलग जिलो में स्थापित किए गए हे। एक दिन में ये केंद्र 1,500 चीजो की हॉलमार्किंग कर सकते हे और इन केन्द्रों की हॉलमार्किंग क्षमता अनुमान से लगभग प्रति वर्ष 14 करोड़ चीजो की हे।

साथ में आपको यह भी बता दे की “भारत में लगभग 4 लाख ज्वैलर्स हे, जिनमे से 35,879 मात्र को ही BIS-सर्टिफाइड दिया गया हे” एसा वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक कहा गया हे।

निष्कर्ष :

तो दोस्तों आप अब जान गए होंगे की गोल्ड हॉलमार्किंग और उसकी क्यों जरुरत हे। साथ ही साथ आपको यह भी पता चला होगा की भारत में हॉलमार्किंग के लिए किन धातु को कवर किया गया और किन्हें छुट दी गई हे और इसे किन-किन जिलो में अनिवार्य किया गया हे, आदि। अगर आपको इस आर्टिकल जुड़ा कोई प्रश्न हो, आप कमेंट बोक्स में पूछ सकते है।

दोस्तों आपके लिए Studyhotspot.com पे ढेर सारी Career & रोजगार और सामान्य ज्ञान से जुडी जानकारीयाँ एवं eBooks, e-Magazine, Class Notes हर तरह के Most Important Study Materials हर रोज Upload किये जाते है जिससे आपको आसानी होगी सरल तरीके से Competitive Exam की तैयारी करने में।

आपको यह जानकारिया अच्छी लगी हो तो अवस्य WhatsApp, Facebook, Twitter के जरिये SHARE भी कर सकते है ताकि और भी Students को उपयोगी हो पाए और आपके मन में कोई सवाल & सुजाव हो तो Comments Box में आप पोस्ट करके हमे बता सकते है, धन्यवाद्।

Share This Article
Leave a comment