नमस्कार दोस्तों! भगवान् कृष्ण जिनकी लीला अपरमपार है। जो हम सभी को प्रिय है और हम सब उनकी पूजा अर्चना करते है। भगवान् कृष्ण यदुवंशी थे। श्रीकृष्ण ने माता देवकी के पुत्र और राजा कंस के भानजे थे। देवकी और वासुदेव के विवाह के बाद एक भविष्वाणी हुई की देवकी का 8 माँ पुत्र ही कंस के विनाश का करान बनेगा। इस लिए कंस ने अपनी बहन और बहनोई को बंदी बना लिए श्री कृष्ण का जन्म जेल में ही हुआ था। वासुदेव ने अपने पुत्र को बचाने के लिए अपने मित्र नंदराजा के यह छोड़ आये। मथुरा में श्री कृष्ण का बचपन बिता था। श्री कृष्ण ने कंस का विनाश किया और वे द्वारका लोट गए थे।
कौरव और पांडव का युद्ध
वाही इस तरफ श्री कृष्ण बुआ कुंती के 5 पुत्र और कौरव के पुत्र के बिच अन्बनाव था। श्रीकृष्ण जब कौरव के राज महल में पहुचे तो उनका अपमान किया गया। वे चाहते तो उनका वध तभी कर सकते थे। लेकिन माता गांधारी वचन खातिर उन्होंने कुछ नही क्या था। एक बार भरी सभा में द्रोपदी के कैश को खीच कर उनके वस्त्र को उतार ने की कोशिश की थी। इस बात से क्रोधित हो कर पांड्वो ने युद्ध करने का फेसला किया था। पांडवो और कौरव की सेना तैयार की गई भीष्मपिता गुरु द्रोणचर्या पांडवो के पक्ष में थे। कौरव ने श्रीकृष्ण की सेना मांगी और पांडव ने श्री कृष्ण को अपना सारथि बनाया। एक भयानक युद्ध हुआ था कौरव और पांडव के बिच जिसमे भीष्मपिता और गुरु द्रोणचार से लेकर कौरव की पूरी सेना खत्म हो गई थी और एक एक कर के सभी कौरव मारे गई थे और इस तरह पांड्वो की जित हुई थी।
माता गांधारी का श्री कृष्ण को श्राप
यह युद्ध 18 दिन चला था उसके बाद पांडव और उनकी सेना वापस महल आ गई इस तरफ युधिष्ठिर का राज तिलक हो रहा था। तो इस तरफ महाभारत के युद्ध के बाद सांत्वना देने के लिए श्री कृष्ण गांधारी के पास गये। गांधारी अपने पुत्रो की मृत्यु के बाद बहुत दु:खी हो गई थी। भगावन श्री कृष्ण को देखती ही गांधारी बहुत क्रोधित हो गई और उन्हे श्राप दिया की जैसे ही कौरव का विनाश हुआ है। इस तरह तम्हारा और पुरे यदुवंश का विनाश होगा।
यदुवंश का विनाश
माता गांधारी के इस श्राप को पूर्ण करने के लिए भगावन ने यदुवंशी की मति को फेर दिया था। श्री कृष्ण ने द्वारका को छोड़ दिया और यदुवंशी को लेकर प्रयास के क्षत्र में आ पहुचे थे। अहंकार के कारण यदुवंश के कुछ बालको ने दुर्वासा ऋषि का अपमान किया था। इस बात से क्रोधित होकर दुर्वासा ऋषि ने शाप दे दिया कि यादव वंश का नाश होगा। उनके इस श्राप के प्रभाव से यदुवंशी पर्व के दिन प्रभास क्षेत्र में आये पर्व के हर्ष में सभी ने अति नशीली मन्दिर पि राखी थी। उस वक्त महाभारत के युद्ध की चर्चा हो रही थी, इस चर्चा में उन सभी के बिच आपसमे में युद्ध छिड गया वह सभी एक दुसरे को मारने लगे थे। इस युद्ध में श्रीकृष्ण के पुत्र और उनके मित्र भी मारे गये थे। पूरा यदुवंश खत्म हो गया था, श्री कृष्ण ही बचे थे।
श्री कृष्ण की मृत्यु
इस घटान के बाद श्री कृष्ण सोमनाथ के पास वन में पीपल के पेड़ के निचे ध्यान अवस्था में बेठे थे। तभी जरा नाम के एक बहेलिया ने उन्हे हिरन समझ कर बाण चला दिया था, वह बाण श्रीकृष्ण के पेरो के तलुवे में लगा था, भगवान् श्रीकृष्ण की मृत्य पैर के तलुवे से ही हो सकती थी। जरा ने पास जाकर देखा तो श्री कृष्ण थे। जरा ने श्रीकृष्ण से शमा मांगी तभी श्रीकृष्ण ने बहेलिया से कहा की तुम भयभीत नहो तुमने ने तो मेरे मन का काम कर दिया है। तुम्हे स्वर्ग की प्राप्ति होगी और इस तरह जरा वहा से चला गया तभी श्रीकृष्ण के सारथि दारुक वहा पहुच गये थे। श्री कृष्ण ने दारुक को द्वारका जाकर यह बताने के लिए कहा की पूरा यदुवंश नष्ट हो चुका है एवं कृष्ण और बलराम भी स्वधाम पधार गए है। सभी लोग द्वारका को छोड़ के इंद्रप्रस्थान के लिए निकल जाये, क्योकि पूरी द्वारका नगरी समुद्र में डूबने वाली है। दारुक द्वारका जाने के लिए निकल गया तभी वहा पे सभी देवी देवता और गंधार पधारे और उन्हों ने श्रीकृष्ण की आराधना की और श्रीकृष्ण के नेत्र बंध हो गये श्रीकृष्ण शरीर को त्याग स्वधाम लोट गये थे। श्रीकृष्ण के जेष्ठ भाई बलराम समुद्र के किनारे एकाग्रचित्त होकर बैठ गए बलराम शेष नाग के अवतार थे इस लिए अपने शरीर का त्याग कर स्वधाम पधार गये थे।
श्री कृष्ण और उनके परिवार की मृत्यु का कारण
भगवत गीता के मुताबिक जब यह बात श्री कृष्ण के परिवार को पता चली तो वह सभी बहुत दुखी हुए थे। माता देवकी वासुदेव बलराम की पत्निया और श्रीकृष्ण की पटरानीओ ने भी अपने शरीर का त्याग कर दिया था। उसके बाद अर्जुन ने श्रीकृष्ण के परिवार का पिंड दान और अग्नि संस्कार किया यह सब हो जाने के बाद अर्जुन और सभी लोग इंद्रप्रस्थान वापस आ गये थे। अर्जुन के जाने के बाद सपूर्ण द्वारका पानी में डूब गई थी। श्रीकृष्ण के स्वधाम लोट ने की सुचना पाकर पांडव दुखी हो गई और उन्हों ने भी हिमालय की यात्रा की शरुआत कर दी थी इस यात्रा में अर्जुन, द्रोपदी, नकुल, सहदेव सभी की मृत्य हो गई युधिष्ठिर ही शरीर के साथ स्वधाम लोटा था।
श्री कृष्ण की मृत्यु का कारण
पुरानो में लिखा है, की श्री कृष्ण ने राम का अवतार ले कर त्रेता में बाली को छुप कर तीर मारा था इस लिए भगवान् ने भी अपने लिए ऐसी ही मृत्य चुनी और बलिको जरा नामका बहेलिया बनाया था।
Last Final Word
दोस्तों हमारे आज के इस अर्टिकल में हमने आपको भगवान श्री कृष्ण और यदुवंश के विनाश के बारे मे बताया जैसे की कौरव और पांडव का युद्ध,माता गांधारी का श्रीकृष्ण को श्राप, यदुवंश का विनाश , श्री कृष्ण की मृत्यु ,श्रीकृष्ण और उनके परिवार की मृत्यु का कारण,श्री कृष्ण की मृत्यु का कारण और यदुवंश के विनाश से जुडी सभी जानकारी से आप वाकिफ हो चुके होंगे।
दोस्तों आपके लिए Studyhotspot.com पे ढेर सारी Career & रोजगार और सामान्य ज्ञान से जुडी जानकारीयाँ एवं eBooks, e-Magazine, Class Notes हर तरह के Most Important Study Materials हर रोज Upload किये जाते है जिससे आपको आसानी होगी सरल तरीके से Competitive Exam की तैयारी करने में।
आपको यह जानकारिया अच्छी लगी हो तो अवस्य WhatsApp, Facebook, Twitter के जरिये SHARE भी कर सकते है ताकि और भी Students को उपयोगी हो पाए और आपके मन में कोई सवाल & सुजाव हो तो Comments Box में आप पोस्ट करके हमे बता सकते है, धन्यवाद्।