दोस्तों आज के इस महत्वपूर्ण आर्टिकल में हम जानकारी प्राप्त करेंगे की कालापानी की सजा क्या होती है, और जानिये इसका संपूर्ण इतिहास तो चलिए जानते है, की आखिर में क्या होती हे कालापानी की सजा। अगर आपको पूरी जिंदगी में एक ही जगह में और ऐक अधेरे कमरे में बंद करके कैद रखा जाये और क्या आप ऐसी जगह पर पूरी लाइफ तक रह सकते है? ऐसी जगह से आपको छुटने का कोई निश्चित समय ना दिया जाए, और आपको जिन्दा घर लौट ने की कोई उम्मीद ही ना बची हो। काला पानी की सजा बीते जमाने की ऐसी सजा थी, जिसके नाम से कैदी कांप उठते थे। दरअसल, यह एक जेल थी, जिसे सेल्युलर जेल के नाम से जाना जाता था। काला पानी का अर्थ सांस्कृतिक शब्द काल से लिया गया माना जाता है जिसका अर्थ है समय या मृत्यु। यानी काला पानी शब्द का अर्थ है मृत्यु का स्थान, जहां से कोई वापस नहीं आता। आज हम आपसे ऐसी ही एक जगह के बारे में बताने वाले है, हा वो जगह अद्भुत बिलकुल है परंतु उस जगह की प्रशंसा बिलकुल ही करने लायक नहीं है।
क्या होती है कालापानी की सजा? (What is the punishment of Kalapani?)
‘Cellular Jail‘ (सेलुलर जेल) इस जेल का नाम आपने शायद बहुत ही कम सुना होगा हा परंतु इसका नाम कोसो दूर तक आपको बहुत ही चर्चित तरीके से सुनने को मिलेगा “कालापानी“।
कालापानी की जेल आपको भारत के एक ही जगह में देख ने मिलेगी अंडमान और निकोबार द्विप पर। इस जेल का इस्तेमाल अंग्रेजों ने स्वतंत्रता सेनानियों को कैद करने के लिए किया था। 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ पहली क्रांति ने अंग्रेजों को डरा दिया। इसी कारण ब्रिटिश सरकार ने ईस्ट इंडिया कंपनी से भारत की बागडोर अपने हाथ में ले ली और उन्होंने भारत के स्वतंत्रता सेनानियों को अंडमान और निकोबार भेजने की प्रथा शुरू कर दी थी।
ऐसे ही हमारे भारत देश के स्वतंत्रता सेनानियों को 10 मार्च 1858 में करीबन 200 सेनानियों को कालापानी की जेल में ले जाया गया था। यह 200 सेनानियों को जिस जगह पर भेजा गया था उसका नाम “सेमिरामिस” था, और आपको बता दे के उस समय में वहा पर कोई जेल नहीं थी उसके कुची समय के दौरान वहा पर “वाईपर” नाम एक द्व्रिप है, जहा पर अंग्रेज सराकर द्वारा जेल और फांसी घर का निर्माण किया गया था।
19 वीं सदी में हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा हुई क्रांति और देश के प्रति आजादी की मांग बढ़ ने लगी, सब जगह आजादी आजादी के नारे होने लगे थे। पुरे भारत देश में गिनती ना की जाये इतने लोग आंदोलन में जुड़ ने लगे थे, तो दूसरी तरफ ब्रिटिश सरकार पर और उनके ऑफिसर पर चारो तरफ से हमले होने शुरू हो गये। इन स्वतंत्रता सेनानियों को कड़ी सजा देने के लिए अंडमान में एक जेल बनाने का निर्णय लिया गया। ये वो समय हैं जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत में अपना पहला कदम उठा रही थी। गांधी जी अभी अफ्रीका से लौटे थे। जैसा कि अंग्रेजों को पता था कि भारत में आजादी की आंधी आ रही है। हामारे देश प्रति ईसी जज्बा और प्रेम की रक्षा करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों इससे बचने के लिए उन्होंने यह जगह बनाई थी।
1890 में एक जेल समिति नियुक्त की गई थी। उस समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अंडमान में एक आम राय थी कि अंडमान में बहुत आजादी है। क्योंकि उस समय अंडमान एक खुली जेल थी और वाइपर की जेल की हालत खराब हो चुकी थी। समिति की रिपोर्ट में यह भी लिखा गया था कि सेनानियों पर अत्याचार और दुराचार को बढ़ाने के लिए एक बंद और कठोर जेल होनी चाहिए।
इस जेल में हर एक कैदी के लिए छोटे छोटे कमरे बनाये गये है और वह कमरे को ब्रिटन सरकार द्वारा ऐसे निर्मित किये गये हे की सूरज की किरणों को भी अन्दर आने का मार्ग नहीं होता पूरी तरह से बंद और अंधेरो से घिरे इस छोटे से कमरे को दिया गया था। जहां उन्हें कैद करके रखा गया था और शौचालय भी मोजूद नहीं थे। कैदियों को आपस में बात करने की बिल्कुल भी अनुमति नहीं थी। इस वजह से ऐसे कैद भोजन को साइलेंट सिस्टम कहा जाता था। इन मूक प्रणालियों को जेनेरी बेंथम द्वारा डिजाइन किया गया था। इस जेल का निर्माण वर्ष 1896 में शुरू किया गया था। जिन ईंटों से इस जेल का निर्माण किया गया था, वह ईटों को बर्मा से लाई गई थी। इसका निर्माण 1906 में पूरा हुआ था। इस नई जेल में 698 बैरक (सैनिक निवास) और 7 सेक्शन (खंड) थे। जो सात दिशाओं में फैलता है और पंखुड़ी वाले फूल के आकार जैसा दिखता है। यहां की दीवारों पर वीर शहीदों के नाम लिखे हुए हैं। यहां एक संग्रहालय भी है, जिसमें वे हथियार रखे गए हैं, जिनसे कैदियों को प्रताड़ित (कष्ट पहुंचाना) किया जाता था। इन कैदियों में विनायक दामोदर सावरकर, बटुकेश्वर दत्त और नंद गोपाल आदि शामिल थे। सावरकर भाइयों को 2 साल तक पता चला कि वे एक ही जेल में हैं।
कालापानी जेल में कैदियों से क्या क्या कराया जाता था? (What were the prisoners made to do in Kalapani Jail?)
ऐक बात बता दे की कालापानि की जेल में हमारे देश के क्रांतिकारियो को ब्रिटन सैनिक दल बहोत ही बुरी तरह से टॉर्चर यानि कष्ट पहुंचाते थे। उन सभी जेल में बंध क्रांतिकारियों को हथकड़ी और बेड़ियों से बांधकर रख ते थे। उन सभी को नारियल और सरसों से 30 पाउंड हर रोज तेल पेरने का काम दिया जाता था। अगर कोई भी क्रांतिकारी उस सभी काम को करने से मना कर ते या फिर उस काम करने का विरोध करते थे तो उनको ब्रिटन सिपाही बुरी तरह से पिटते थे और उनके हाथ, पैर पे बंधी बेड़ियों से जकड दिया जाता था।
कालापानी जेल को सेल्युलर जेल क्यों कहा गया था? (Why Kalapani Jail Was Called Cellular Jail?)
इस जेल को सेल्युलर जेल इसलिए कहा जाता था की, यह पर हर ऐक केदी को अलग अलग कोठरी में रखा जाता था। यह जेल का आकार बिलकुल एक ऑक्टोपस की तरह सात शाखाओ में फैला हुआ है। सभी कैदियों को अलग अलग रख ने का उसका ऐक ही मकसद था की वह भारत देश की आज़ादी को लेकर किसी भी तरह की कोई भी योजना को बना ना सके, और कोई भी ब्रिटन के खिलाफ साज़िश ना रच सकें। कालापानी की जेल में कैदियों को अकेले और अलग रखने का सिर्फ एक ही मकसद था की वह कैदी अकेले रहते रहते अपने अकेलेपन से इतना ज़खमी हो जाए की किसी भी तरह की बगावत की बात उनके दिमाग में ना आए।
क्या कालापानी की जेल अभी भी है? (Kalapani Jail Still There?)
जी हा कालापानी की जेल आज भी अंडमान निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में मौजूद है।
Last Final Word:
तो दोस्तों ये थी काले पानी की सजा से जुड़ी सारी जानकारी। कालापानी की सजा की जानकारी जैसे काला पानी क्या है, किसे सजा दी गई, क्यों दी गई ऐसी सभी तरह की जानकारी आपको दी है। आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई होगी और आपके सभी सवालों का जवाब मिल गया होगा। इसके बावजूद अगर आपके मन में कोई शंका है तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके उसे दूर कर सकते है।
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