शक और कुषाण शासन काल के दौरान मध्य एशियाई संपर्कों

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शक और कुषाण शासन काल के समय पर घुड़सवार सेना का बेहतरीन इस्तेमाल देखने को मिलता था। सेना के घोड़ों पर लगाम और पीठ पर सीट का इस्तेमाल सबसे पहले शक और कुशाल के शासनकाल के दौरान शुरू हुआ था। इनके साथ साथ अंगरखा, पगड़ी और पतलून तथा भारी भरकम लंबे कोर्ट, कैप और हेलमेट का इस्तेमाल करना शुरू किया था। इसके अलावा उनके शासनकाल में जूतों की शुरुआत की गई थी। जिसके कारण युद्ध को जीतने में मदद मिलती थी। समुद्र तथा घाटियों के रास्तो का उपयोग करके व्यापार करने के लिए केंद्रीय क्षेत्रों को खोल दिया गया था। इन सभी मार्गो में से एक पुराने रेशम के मार्ग के लिए प्रख्यात हो गया था।

मिट्टी के बर्तन और संरचना

शक और कुषाण शासन काल के दौरान मिट्टी के बर्तन लाल रंग के देखने को मिलते थे। जो साधारण और पॉलिश दोनों प्रकार के  बनाए जाते थे। यह बर्तन मध्य एशिया में कुषाण साम्राज्य के खोजे गए पतले कपड़े और लाल मिट्टी के बर्तनों के साथ साम्यता रखते है।

शक और कुषाण शासन काल के दौरान ईटों से बनी दीवार का निर्माण करने में आता था। फर्श और छत दोनों के लिए टाइल्स के रूप में जली हुई ईटों का इस्तेमाल करते थे।

शक और कुषाण शासन काल के दौरान बेहतर घुड़सवार सेना का प्रारंभ कीया:

शक और कुषाण साम्राज्य के शासनकाल के दौरान घुड़सवार सेना का इस्तेमाल बेहतरीन तरीके से देखने को मिलता था।  सेना के घोड़ों पर लगाम और पीठ पर सीट का इस्तेमाल सबसे पहले शक और कुशाल के शासनकाल के दौरान शुरू हुआ था। इनके साथ साथ अंगरखा, पगड़ी और पतलून तथा भारी भरकम लंबे कोर्ट, कैप और हेलमेट का इस्तेमाल करना शुरू किया था। इसके अलावा उनके शासनकाल में जूतों की शुरुआत की गई थी जिसके कारण युद्ध को जीतने में मदद मिलती थी।

कृषि और व्यापार:

कुषाण राजवंश कृषि को प्रोत्साहित करते थे। उन्होंने अफगानिस्तान, पाकिस्तान और पश्चिमी एशिया के कुछ क्षेत्र में सिंचाई सुविधा को विकसित किया था। इसके पुरातात्विक निशान अभी भी प्राप्त होते हैं।

शक और कुषाण शासन काल के दौरान भारत और मध्य एशिया के बीच सीधे संपर्क का प्रारंभ हुआ। कुषाण द्वारा नियंत्रित रेशम मार्ग जिसका प्रारंभ चीन से होता था और यह मध्य एशिया और अफगानिस्तान के माध्यम से ईरान और पश्चिम एशिया तक जाता था। भारत ने मध्य एशिया के अल्ताई पहाड़ों के माध्यम से रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार शुरू करके ज्यादा मात्रा में स्वर्ण प्राप्त किया था।

राजनीति पर प्रभाव:

  • शक और कुषाण ने साम्राज्य प्रशासन के दिव्य मूल के विचारों को प्रचारित किया था। कुषाण साम्राज्य के राजाओं को ईश्वर के पुत्र कहा जाता था।
  • कुषाणो के द्वारा भारत में सरकार की तानाशाही कार्य प्रणाली को प्रारंभीत किया गया था। पूरे साम्राज्य में कई प्रकार की तानाशाही देखने को मिलती थी। प्रत्येक तानाशाही का नियंत्रण करने के लिए एक तानाशाह रखा गया था।
  • गवर्नर के पद की प्रथा इसी शासनकाल के दौरान यूनानीयों के द्वारा शुरू की गई थी। उनके द्वारा नियुक्त राज्यपालों को स्ट्राटेगोस कहा जाता था। इसका कार्य विजय प्राप्त किए थे क्षेत्रोंं पर नियंत्ररण बनाए रखना।

धर्म पर प्रभाव:

  • कुषाण साम्राज्य के राजा बुद्ध और शिव भगवान की पूजा करते थे। दोनों राजाओं के द्वारा निर्मित किए गए सिक्कों पर बुद्ध और शिव दोनों देवताओं के चित्र बनाए गए थे। प्रख्यात यूनानी शासक महेंद्र ने बौद्ध धर्म को अपना कर उसका अनुसरण किया था।

कला:

  • शक और कुषाण के शासनकाल के दौरान उनकी राजकुमारीयो ने काफी हद तक भारतीय कला को प्रोत्साहित किया था। जिसकी वजह से गांधार, मथुरा और मध्य एशिया में कई सारी कला से जुड़ी स्कूलों का निर्माण किया गया था। जिसके कारण भारतीय कलाकार यूनानी रोमन और मध्य एशियाई कारीगरों के साथ संपर्क में आए थे।
  • गांधार कला का प्रभाव मथुरा तक फैला हुआ था। ईसाई युग के शुरुआत में मथुरा कला स्कूलों को बनाया गया था। और इनमें लाल बलुआ पत्थर का इस्तेमाल उत्पादन के लिए किया जाता था।

साहित्य:

  • संस्कृत साहित्य को विदेशी शासकों के द्वारा संरक्षण मिल रहा था। कुषाण साम्राज्य को  अश्वघोष जैसे महान लेखकों का संरक्षण मिल रहा था। अश्वघोष ने बुद्ध चरीत और सौदारनंद का निर्माण किया था।

विज्ञान और प्रौद्योगिक:

  • भारत की ज्योतिष विद्या ग्रीक के विचारों से प्रभावित थी। जिसके कारण होरोस्कोप यानी की जन्म कुंडली शब्द से होराशास्त्र का निर्माण हुआ। 5 चिन्ह वाले सिक्कों की तुलना मैं यूनानी सिक्कों का आकार बेहतरीन अच्छा और मुद्रांकीत था। यूनानी सिक्का भारत में काफी मशहूर था। ड्रामा शब्द का निर्माण भी यूनानी शब्द ड्राचेमा से हुआ था।
  • शक और कुषाण के शासनकाल के दौरान चमड़े के जूते बनाने की कला सिखाई जाती थी।
Last Final Word

इस तरह आक्रमण और मध्य एशियाई शासक के साथ संपर्क में आने से इसका प्रभाव भारत के कई सारे विस्तारो पर, मिट्टी के बर्तन, घुड़सवार सेना, साहित्य, विज्ञान और प्रौद्योगिक, धर्म तथा राजनीति में देखने को मिलता है।

यह थी शक और कुषाण शासन काल के दौरान मध्य एशियाई संपर्क को से होने वाले प्रभाव के बारे में जानकारी। हम उम्मीद करते हैं हमारी जानकारी आपको फायदेमंद रही होगी। यदि अभी भी आपके मन में कोई सवाल रह गया हो तो हमें कमेंट के माध्यम से बताइए।

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