मगध साम्राज्य

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दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम भारत के प्राचीन समय के मगध साम्राज्य के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। आप इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ना ताकि इस विषय से संबंधित सभी तरह की जानकारी आपको मिल सके।

भारत पर मगध के साम्राज्य का शासन 684 ईसा पुर्व से लेकर 320 ईसा पुर्व तक का रहा है। मगध साम्राज्य का उल्लेख महाभारत और रामायण में देखने को मिलता है। मगध के साम्राज्य पर 544 ईसा पूर्व से लेकर 322 ईसा पुर्व तक तीन राजवंश ने शासन किया था। पहला राजवंश हर्यंक राजवंश था। हर्यंक राजवंश ने 544 ईसा पुर्व से लेकर 412 ईसा पुर्व तक शासन किया था। दूसरा राजवंश शिशुनाग राजवंश था। जिसने 412 ईसा पूर्व से लेकर 344 ईसा पुर्व तक शासन किया था। नंदा राजवंश तिसरा था जिसने 344 ईसा पूर्व से लेकर 322 ईसा पुर्व तक शासन किया था।

मगध का साम्राज्य पुराणों के अंतर्गत छठी शताब्दी ईसा पुर्व में वृहद्रथ के द्वारा स्थापना करने में आई थी। जिसकी राजधानी गिरीव्रज रखी गई थी। समय चलते वृहद्रथ एक पुत्र हुआ, जिसका नाम जरासंध था। जरासंध एक प्रतापी राजा था, जिसका उल्लेख महाभारत में भी किया गया है।

मगध का वंश प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था। मगध का साम्राज्य वर्तमान समय के बिहार राज्य के पटना और गया जिले के विस्तार मे अवस्थित था। भारत के महाजनपदों में से मगध साम्राज्य, कौशल, वत्स और अवंती सबसे अधिक शक्तिशाली राज्य थे। समय रहते मगध ने दूसरे तिनो महाजनपदों को पराजित करके अपने साम्राज्य में शामिल किया था। मगध की राजधानी राजगीरी थी। मगध वंश के उत्थान के मुख्य कारण नीचे बताए गए है।

  • मगध साम्राज्य के पास विस्तृत उपजाऊ मैदान थे।
  • राज्य में प्रकृति सुरक्षा का इंतजाम किया गया था।
  • साम्राज्य में खनिज संसाधन की उपलब्धता बड़ी मात्रा में थी।
  • मगध साम्राज्य दिन प्रतिदिन व्यापार में वृद्धि कर रहा था।
  • वन क्षेत्रों तथा हाथियों की उपलब्धता ज्यादा थी।
  • कृषि क्षेत्र में लोहे से बने साधनों का उपयोग करने मे आता था।
  • सामाजिक खुलापन और प्रगतिशील दृष्टिकोण का प्रचलन था।
  • नवीन धर्मों का आचरण करने में आया था।

मगध साम्राज्य के शासनकाल में कृषि क्षेत्र में लोहे से बने साधनों का उपयोग करने की वजह से उत्पादन में काफी वृद्धि हुई थी। जिसके साथ कई सारी कृषि क्षेत्र में पद्धतियों का विकास भी हुआ था। मगध के साम्राज्य में शिल्प और उद्योग धंधों का विकास दुगनी तेजी से हो रहा था। साथ ही साथ वाणिज्य व्यापार और मुद्रा अर्थव्यवस्था का विकास भी देखने को मिलता था। उनके शासनकाल के बर्तनों से मालूम पड़ता है, कि उस वक्त नगर व्यवस्था अस्तित्व में रही होगी। मिट्टी के बर्तनों को उत्तरी काले चमकीले मृदभांड के नाम से पहचाना जाता है। अथर्ववेद में सबसे पहले मगध साम्राज्य का उल्लेख देखने को मिलता है।

साम्राज्य में उपकरणों और हथियारों बनाने के लिए लोहे का उपयोग किया जाता था। सेना के लिए जंगल के हाथी का इस्तेमाल किया जाता था। संचार के लिए गंगा नदी और सहायक नदियों के मार्गो का इस्तेमाल किया जाता था। बिम्बिसार, अजातशत्रु और महापदम नंद जैसे क्रूर और महत्वाकांक्षी राजाओं की नौकरशाही नीतियों की वजह से मगध साम्राज्य का विकास हुआ था। मगध साम्राज्य का पहला राजा बिम्बिसार था। बिम्बिसार हर्यंक वंश का राजा था। मगध का मुख्य प्रतिद्वंदी अवंती था। प्राकृतिक गठबंधनो के निर्माण में शादियों में महत्वपूर्ण हिस्सा दिया था। बिम्बिसार ने पड़ोसी राज्यों की अनेक राजकुमारियों के साथ विवाह किया था।

हर्यंक राजवंश

मगध साम्राज्य पर बृहदरथ राजवंश के बाद हर्यंक राजवंश ने शासन किया था। हर्यंक राजवंश का उत्तराधिकारी शिशुनाग था। बिम्बिसार के पिता राजा भाट्य ने हर्यंक राजवंश की स्थापना की थी। हर्यंक राजवंश ने छठी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 413 ईसा पूर्व तक मगध के साम्राज्य पर शासन किया था। हर्यंक राजवंश के राजाओं में भाट्य, बिम्बिसार, अजातशत्रु, उदयभद्र, अनुरूद्ध, मुंडा और नागदशक का समावेश होता है।

बिम्बिसार

बिम्बिसार ने 544 ईसा पूर्व से लेकर 492 ईसा पूर्व तक मगध साम्राज्य पर शासन किया था। इस प्रकार बिम्बिसार ने 52 वर्षों तक मगध के साम्राज्य पर शासन किया था। बिंबिसार ने आक्रमक नीतियों का इस्तेमाल करके पड़ोसी राज्य काशी, कौशल और अंग पर आक्रमण करके युद्ध किया था। गौतम बुद्ध और वर्द्धमान महावीर बिम्बिसार के समय में हो गए थे। बौद्ध ग्रंथों में बिम्बिसार को बुद्ध के शिष्य के रूप में उल्लेखित किया गया है। परंतु जैन शास्त्रों में महावीर स्वामी के अनुयायी के रूप में दर्शाया गया है। बिम्बिसार को उसके पुत्र अजातशत्रु ने 492 ईसा पुर्व से 460 ईसा पुर्व तक कौदी बना लिया था। इसके बाद से मगज के साम्राज्य पर अजातशत्रु का आधिपत्य स्थापित हो गया। अजातशत्रु की कैद मे बिम्बिसार की मृत्यु हो गई।

अजातशत्रु

अजातशत्रु ने मगध के साम्राज्य पर 492 से लेकर 460 ईशा पुर्व तक शासन किया था। अजातशत्रु ने काशी और वैशाली पर आधिपत्य स्थापित करने के बाद मगध के साम्राज्य पर अपना शासन स्थापित किया था। अजातशत्रु ने मगध की राजधानी राजगीर को मजबूत बनाया था। राजधानी पांच पहाड़ियों के बीच घिरी हुई थी के कारण वह लगभग अभेद्य हो गई थी।

अजातशत्रु की आक्रमक नीतियों की वजह से मगध वंश और कौशल के बीच में अशांति फैल चुकी थी। अजातशत्रु ने वैशाली के लिच्छवीयो के विरुद्ध में युद्ध की घोषणा कर दी। और वैशाली पर अपना शासन स्थापित किया। यह युद्ध 16 साल तक चला था।

प्रारंभिक समय में अजातशत्रु जैन धर्म का आचरण करता था परंतु बाद में उसने बौद्ध धर्म को अपनाया था। उसने कहा था कि वह गौतम बुद्ध से मिला था। उसने कई सारे चैत्यों और विहारों को बनवाया था।

उदायिन

उसने 460 ईसा पुर्व से लेकर 440 ईसा पुर्व तक शासन किया था। अजातशत्रु के बाद उनका पुत्र उदायिन शासक बना। उसने पाटलिपुत्र को अपने साम्राज्य की राजधानी बनाई। जिसके लिए उसने पाटलिपुत्र नगर का निर्माण करवाया था। उदायिन जैन धर्म का आचरण करता था।

अन्य शासक

उदायिन के बाद अनिरुद्ध मुंड और दर्शक जैसे शासक ने शासन कीया था। परंतु वह सब ज्यादा समय तक अपना शासन नहीं रख पाए थे।

शिशुनाग वंश

मगध साम्राज्य का दूसरा राजवंश शिशुनाग वंश था। जिसकी स्थापना शिशुनाग ने की थी। वह आखरी हर्यंक राजवंश के शासक नागदशक का अमात्य था। बौद्ध साहित्य में बताया गया है कि राजा नागदशक को साम्राज्य की जनता ने निष्काषित करके शिशुनाग को राजा बनाया था। शिशुनाग ने अवंती को मगध के साम्राज्य से जोड़ दिया था। शिशुनाग का उत्तराधिकारी कालाशोक था। बौद्ध साहित्य मे दूसरी राजधानी के रूप में वज्जि का उल्लेख किया गया है।

नंद राजवंश

नंद राजवंश का शासन काल 345 ईसा पूर्व से लेकर 321 ईसा पूर्व तक का था। नंद राजवंश का प्रथम राजा महापदम नंद था। उसने कलिंग का विलय मगध साम्राज्य में किया था। महापदम नंद को सबसे शक्तिशाली और क्रूर राजा माना जाता था। उसके खिलाफ सिकंदर भी युद्ध लड़ना नहीं चाहता था। नंद वंश बहुत ज्यादा अमीर बन चुका था। उन्होंने अपने संपूर्ण साम्राज्य में सिंचाई परियोजना और मानकीकृत व्यापारिक उपायों का प्रारंभ किया था। नंद वंश के अंतिम राजा घानानंद को चंद्रगुप्त मौर्य ने पराजित कर दिया था।

Last Final Word

यह थी मगध साम्राज्य के बारे में जानकारी। हम उम्मीद करते हैं कि हमारे जानकारी आपको फायदेमंद रहे होगी। यदि अभी भी आपके मन में हैं इस विषय से संबंधित कोई सवाल हो गया तो हमें कमेंट के माध्यम से बताइए।

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