महाजनपद

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दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम भारत के महाजनपद के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। आप इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ना ताकी इस विषय से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी आपको मिल सके।

छठी शताब्दी ईसा पूर्व में कुछ साम्राज्य ने विकास करके वृद्धि की थी। जिसके कारण वह राज्य प्रमुख साम्राज्य बन गए थे। प्रमुख साम्राज्य को महाजनपद अथवा महान देश के नाम से जाना जाता था। उस समय आर्यन सबसे प्रभावशाली जनजाती थी और उनको जन कहा जाता था। जिसके कारण जनपद शब्द का निर्माण हुआ था। जनपद शब्द मे रहे जन का अर्थ लोग और पद का मतलब पैर होता है। वैदिक भारत के प्रमुख साम्राज्य में जनपद का समावेश होता था। महाजनपदों में अलग प्रकार से सामाजिक और राजनीतिक विकास देखने को मिलता था। महाजनपद विशिष्ट प्रकार के भौगोलिक विस्तारो में आए हुए थे। 600 ईसा पूर्व से लेकर 300 ईसा पूर्व तक 16 प्रकार के महाजनपद देखने को मिलते थे। जो नीचे बताए गए हैं।

  • अंग
  • अश्मक
  • अवंती
  • छेदी
  • गांधार
  • कम्बोज
  • काशी
  • कौशल
  • कुरु
  • मगध
  • मल्ल
  • मत्स्य
  • पांचाल
  • सुरसेन
  • वज्जि
  • वत्स

अंग:

अंग का आधुनिक भागलपुर और मुंगेर जिले में अवस्थित था। जिसकी राजधानी चंपा थी। चंपा को पुराणों में मालिनी के नाम से उल्लेखित किया गया है। अंग और मगध साम्राज्य की सीमा रेखा चंपा नदी से निर्धारित की गई थी। बुद्ध के समय में चंपा की गिनती भारत के 6 महानगरों में करने में आती थी। अंग का शासक दधीवाहन महावीर स्वामी का अनुयाई था।

अश्मक:

दक्षिण के विस्तार में एकमात्र महाजनपद अश्मक था। जो गोदावरी नदी के किनारे पर आया हुआ था। इस महाजनपद पर ईच्क्षवाकु वंश के शासकों ने शासन किया था। इसकी राजधानी पोटिल थी।

अवंती:

अवंती महाजनपद का शासक चंडप्रद्योत महासेन था। अवंतिका साम्राज्य दो हिस्सो में विभक्त था। उत्तरी अवंति साम्राज्य की राजधानी उज्जैन और दक्षिणी अवंती साम्राज्य की राजधानी महिष्मति थी। दोनों राजधानियों के बीच में वेत्रवती नदी आई हुई थी। मगध के अतिरिक्त यही साम्राज्य था जिसमें लोहे की खानें आई हुई थी।

छेदी:

यह महाजनपद का वर्तमान समय के बुंदेलखंड में अवस्थित था। इस महाजनपद की राजधानी शक्तिमति थी।

गांधार:

गांधार वर्तमान समय के काबुल की घाटी में अवस्थित था। पुष्कलावती गांधार का दूसरा मुख्य नगर था। उसकी राजधानी तक्षशिला थी।

कम्बोज:

कम्बोज का साम्राज्य अपने घोड़ों के लिए प्रसिद्ध था। यह अफगानिस्तान के विस्तार में आया हुआ और गांधार का पड़ोसी राज्य था। कौटिल्य ने इसे वार्ताशास्त्रोंजीवी संघ की उपाधि दी थी। इसकी राजधानी राजपूर थी।

काशी:

काशी की राजधानी वाराणसी थी। वाराणसी वरुणा और अस्सी नदी के बीच में स्थित थी। काशी का सबसे ज्यादा शक्तिमान शासक ब्रह्मदत्त रहा था। शुरुआती समय में सबसे शक्तिशाली महाजनपद काशी था। इसका अधिकार कौशल और अंग साम्राज्य पर भी था। परंतु समय रहते कोसल की शक्ति के आगे इसने ने आत्मसमर्पण कर दिया था। अथर्ववेद में काशी के निवासियों के बारे में सबसे पहले उल्लेख मिलता है।

कौशल:

आधुनिक काल में अवध का विस्तार इसके अंतर्गत आता था। कौशल की राजधानी श्रावस्ती थी। जो अचिरावती नदी के किनारे आई हुई थी। यह साम्राज्य चंद्राकार रूप में आया हुआ था। इस पर सबसे ज्यादा शासन प्रसिद्ध शासक प्रसेनजीत ने किया था। जो इच्छावाकु कूल का शासक था।

कुरु:

वर्तमान समय के दिल्ही, मेरठ और थानेश्वर के विस्तार में अवस्थित था।  महात्मा बुद्ध के समय में यहां का शासक कोरव्य था। इस महाजनपद के लोग उनकी बल बुद्धि के लिए प्रख्यात थे। हस्तिनापुर इसके विस्तार में आता था।

मगध साम्राज्य:

भारत में मगध साम्राज्य का शासन काल 684 ईसा पूर्व से लेकर 320 ईसा पूर्व तक रहा था। मगध साम्राज्य के शासन के बारे में महाभारत और रामायण में भी बताया गया है। 16 महाजनपदों में सबसे शक्तिशाली साम्राज्य मगध का साम्राज्य था। मगध साम्राज्य की स्थापना राजा बृहदरथ ने की थी। मगध की राजधानी राजगढ थी। परंतु चौथी सदी ईसा पूर्व में पाटलिपुत्र को राजधानी बनाई गई। साम्राज्य में उपकरणों और हथियारों बनाने के लिए लोहे का उपयोग किया जाता था। सेना के लिए जंगल के हाथी का इस्तेमाल किया जाता था। संचार के लिए गंगा नदी और सहायक नदियों के मार्गो का इस्तेमाल किया जाता था। बिम्बिसार, अजातशत्रु और महापदम नंद जैसे क्रूर और महत्वाकांक्षी राजाओं की नौकरशाही नीतियों की वजह से मगध साम्राज्य का विकास हुआ था। मगध साम्राज्य का पहला राजा बिम्बिसार था। बिम्बिसार हर्यंक वंश का राजा था। मगध का मुख्य प्रतिद्वंदी अवंती था। प्राकृतिक गठबंधनो के निर्माण में शादियों में महत्वपूर्ण हिस्सा दिया था। बिम्बिसार ने पड़ोसी राज्यों की अनेक राजकुमारियों के साथ विवाह किया था।

हर्यंक राजवंश:

मगध साम्राज्य पर बृहदरथ राजवंश के बाद हर्यंक राजवंश ने शासन किया था। हर्यंक राजवंश का उत्तराधिकारी शिशुनाग था। बिम्बिसार के पिता राजा भाट्य ने हर्यंक राजवंश की स्थापना की थी। हर्यंक राजवंश ने छठी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 413 ईसा पूर्व तक मगध के साम्राज्य पर शासन किया था। हर्यंक राजवंश के राजाओं में भाट्य, बिम्बिसार, अजातशत्रु, उदयभद्र, अनुरूद्ध, मुंडा और नागदशक का समावेश होता है।

बिम्बिसार:

बिम्बिसार ने 544 ईसा पूर्व से लेकर 492 ईसा पूर्व तक मगध साम्राज्य पर शासन किया था। इस प्रकार बिम्बिसार ने 52 वर्षों तक मगध के साम्राज्य पर शासन किया था। बिंबिसार ने आक्रमक नीतियों का इस्तेमाल करके पड़ोसी राज्य काशी, कौशल और अंग पर आक्रमण करके युद्ध किया था। गौतम बुद्ध और वर्द्धमान महावीर बिम्बिसार के समय में हो गए थे। बौद्ध ग्रंथों में बिम्बिसार को बुद्ध के शिष्य के रूप में उल्लेखित किया गया है। परंतु जैन शास्त्रों में महावीर स्वामी के अनुयायी के रूप में दर्शाया गया है। बिम्बिसार को उसके पुत्र अजातशत्रु ने कौदी बना लिया था। इसके बाद से मगज के साम्राज्य पर अजातशत्रु का आधिपत्य स्थापित हो गया। अजातशत्रु की कैद मे बिम्बिसार की मृत्यु हो गई।

अजातशत्रु:

अजातशत्रु ने मगध के साम्राज्य पर 492 से लेकर 460 ईशा पुर्व तक शासन किया था। अजातशत्रु ने काशी और वैशाली पर आधिपत्य स्थापित करने के बाद मगध के साम्राज्य पर अपना शासन स्थापित किया था। अजातशत्रु ने मगध की राजधानी राजगीर को मजबूत बनाया था। राजधानी पांच पहाड़ियों के बीच घिरी हुई थी के कारण वह लगभग अभेद्य हो गई थी।

नंद राजवंश:

नंद राजवंश का शासन काल 345 ईसा पूर्व से लेकर 321 ईसा पूर्व तक का था। नंद राजवंश का प्रथम राजा महापदम नंद था। उसने कलिंग का विलय मगध साम्राज्य में किया था। महापदम नंद को सबसे शक्तिशाली और क्रूर राजा माना जाता था। उसके खिलाफ सिकंदर भी युद्ध लड़ना नहीं चाहता था। नंद वंश बहुत ज्यादा अमीर बन चुका था। उन्होंने अपने संपूर्ण साम्राज्य में सिंचाई परियोजना और मानकीकृत व्यापारिक उपायों का प्रारंभ किया था। नंद वंश के अंतिम राजा घानानंद को चंद्रगुप्त मौर्य ने पराजित कर दिया था।

मल्ल:

मल्ल वर्तमान समय के उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में अवस्थित था। मल्ल साम्राज्य दो हिस्सों में विभक्त था। उत्तरी मल्ल की राजधानी कुशीनगर और दक्षिणी मल्ल की राजधानी पावा थी।

मत्स्य:

यह वर्तमान समय के जयपुर के निकट के विस्तार में अवस्थित था। इसकी राजधानी विराटनगर थी।

पांचाल:

यह वर्तमान समय के रुहेलखणड के बरेली, बदायुं, फर्रुखाबाद के विस्तार में अवस्थित था। पांचाल का साम्राज्य दो हिस्सों में विभक्त था। उत्तरी भाग की राजधानी अहिच्छत्र और दक्षिण भाग की राजधानी काम्पिल्य थी।

सुरसेन:

सुरसेन का राजा पवन पुत्र था। यह महात्मा बुद्ध का अनुयायी था।

वज्जि:

वज्जि 8 जनों का संघ था। जिसमे सबसे प्रमुख लिच्छवि थे। वज्जि और मगध के बीच में गंगा नदी आई हुई थी। लिच्छवि गणराज्य को विश्व का पहेला गणतंत्र कहा गया है।

वत्स:

यहा का शासक उदयन था। उदयन पौरवंशीय था। यहा की राजधानी कौशाम्बी थी।

Last Final Word

यह थी महाजनपद के बारे में जानकारी। हम उम्मीद करते हैं कि हमारे जानकारी आपको फायदेमंद रही होगी। यदि अभी भी आपके मन में हैं इस विषय से संबंधित कोई सवाल हो गया तो हमें कमेंट के माध्यम से बताइए।

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