मुग़ल साम्राज्य की शुरुआत साल 1526 में अप्रैल में पानीपत की लड़ाई के बाद हुई थी। पानीपत की लड़ाई इब्राहिम लोदी और बाबर के बिच में हुई थी। पानीपत की लड़ाई में जित हांसिल कर लेने बाद हिन्दुस्तान में दिल्ली सल्तनत के साम्राज्य का अंत हुआ और मध्यकालीन हिंदुस्तान में मुग़ल वंश के साम्राज्य का उदय हुआ। बाद में 18वी शताब्दी में भारत के पहेले स्वतंत्र संग्राम के समय तक मुगलों ने हिंदुस्तान के उपमहाद्वीप पर शासन किया था। हिंदुस्तान में मुगलों ने अपने साम्राज्य पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के आ जाने तक शासन चलाया था।
मुग़ल साम्राज्य एक कुशल, समृध्ध, एवं ज्यादा विस्तार में फैला हुआ साम्राज्य था। मुग़ल साम्राज्य का शासन हिंदुस्तान के मध्यकालीन इतिहास में युग को बदलने वाले साम्राज्य के तौर पर देखा जाता है। भारत में कला और शिल्पकला का विकास मुगलों के द्वारा किया गया था। भारत में स्थापित खुबसूरत इमारतो में ज्यादातर इमारते मुगलों के द्वारा निर्मित की गई है। मुगलों के द्वारा बनाई गई इमारतों एवं ऐतिहासिक इमारतों में साँची में बने स्तूप, आगरा में आया हुआ दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल, दिल्ली में स्थापित लालकिला, अजंता-एलोरा की गुफाएं, उड़ीसा के जगविख्यात मंदिर, खजुराहो के मंदिर, तंजौर में आई हुई अद्भुत मूर्तिकला, शेरशाह सूरी के द्वारा बनाया गया ग्रैंड ट्रंक रोड और बीजापुर में स्थापित गोल गुंबद का समावेश होता है।
मुग़ल साम्राज्य के बारे में जानकारी (About Mughal Empire)
साम्राज्यवंश का नाम | मुग़ल वंश |
शासन काल | १५२६-१८५७ |
प्रमुख सत्ताकेंद्र स्थान |
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प्रमुख शक्तिशाली शासक |
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शासन काल मे कला से जुडी प्रमुख उपलब्धीया |
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प्रथम शासक | बाबर |
अंतिम शासक | बहादूर शाह जफर |
साम्राज्य का कुल शासनकाल | लगभग ३३१ साल |
मुग़ल साम्राज्य के शासक (Mughal Emperors in Hindi)
शासक का नाम | शासनकाल |
बाबर | (30 अप्रैल 1526-26 दिसम्बर 1530) |
हुमायूं | (26 दिसम्बर 1530 – 17 मई 1540) |
अकबर | (27 जनवरी 1556 – 27 अक्टूबर 1605) |
जहांगीर | (27 अक्टूबर 1605 – 8 नवम्बर 1627) |
शाहजहाँ | (8 नवम्बर 1627 – 31 जुलाई 1658) |
औरंगजेब | (31 जुलाई 1658 – 3 मार्च 1707) |
बहादुरशाह | (19 जून 1707 – 27 फ़रवरी 1712) |
जहांदार शाह | (27 फ़रवरी 1712 – 11 फ़रवरी 1713) |
फर्रुख्शियार | (11 जनवरी 1713 – 28 फ़रवरी 1719) |
मोहम्मद शाह | (27 सितम्बर 1719 – 26 अप्रैल 1748) |
अहमद शाह बहादुर | (26 अप्रैल 1748 – 2 जून 1754) |
आलमगीर द्वितीय | (2 जून 1754 – 29 नवम्बर 1759) |
शाह आलम द्वितीय | (24 दिसम्बर 1760 – 19 नवम्बर 1806) |
अकबर शाह द्वितीय | (19 नवम्बर 1806 – 28 सितम्बर 1837) |
बहादुर शाह द्वितीय | (28 सितम्बर 1837 – 14 सितम्बर 1857) |
मुग़ल साम्राज्य का इतिहास (History of the Mughal Empire):
दोस्तों यहाँ पर आपके लिए मुग़ल वंश के मुख्य शासको और उनके कार्यालय के बारे में आपके लिए जानकारी दी गे है जो कुछ इस प्रकार है।
मुग़ल साम्राज्य के स्थापक बाबर (30 अप्रैल 1526-26 दिसम्बर 1530)
भारत में वर्ष 1526 में जब पानीपत का युध्ध हुआ, तब से हिंदुस्तान में लोदी वंश और दिल्ली सल्तनत के साम्राज्य की समाप्ति हुई थी। जिसके बाद बाबर ने मुग़ल वंश के साम्राज्य की स्थापना की। बाबर के बारे कुछ जानकारी निचे बताई गई है।
पूरा नाम | जहीर-उद-दिन मुहम्मद बाबर |
जन्म | 14 फरवरी, 1483, अन्दिझान (उज्बेकिस्तान) |
पिता | उमर शेख मिर्जा (फरगना राज्य के शासक) |
माता | कुतलुग निगार खानुम |
पत्नियां |
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पुत्र / पुत्रियां | हुमायूँ, कामरान, अस्करी, हिन्दाल,गुलबदन बेगम |
शासन काल | सन 1526 से 1530 ई. |
निर्माण | क़ाबुली बाग़ मस्जिद, आगरा की मस्जिद, जामा मस्जिद, बाबरी मस्जिद,नूर अफ़ग़ान |
मृत्यु | 26 दिसम्बर 1530 |
बाबर मुग़ल साम्राज्य की स्थापना करके मुग़ल वंश का प्रथम राजा बन गया। भारत पर बाबर के द्वारा 5 हुमले करवाये गए थे। साल 1519 ईसवी में यूसुफजई जाति के विरुध्ध हिंदुस्तान में अपना प्रथम संघर्ष शरु किया था, इस अभियान के अंतर्गत बाबर ने बाजौर और भेरा पर अपना कब्ज़ा जमा लिया था।
मुग़ल साम्राज्य के सम्राट बाबर ने साल 1526 में पानीपत की प्रथम लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हरा कर दिल्ली और आगरा पर अपना अधिकार जमा लिया था। जिसके साथ ही दिल्ली सल्तनत की समाप्ति हुई और भारत में मुगल वंश के साम्राज्य की शरुआत हो गई। 17 मार्च के दिन साल 1527 में मुग़ल वंश के सम्राट बाबर ने खानवा के युध्ध में मेवाड़ के शासक राणा सांगा को हरा दिया था।
इस लड़ाई के पश्चात बाबर को गांजी की उपाधि देकर लोग उन्हें पहचानते है। साल 1659 ईसवी में बाबर ने घाघरा के युध्ध में अफगानी के सैन्य को दूसरी बार पराजित किया। मुग़ल वंश के शासक शक्तिशाली होने के साथ ही बहुत दयालु था, उसकी उदारता के लिए उसे कलंदर की उपाधि से सभी लोग बुलाते थे।
बाबर ने अपने जीवन की सारी प्रक्रिया को एक आत्मकथा के रूप में रचित की है। जिसका नाम बाबरनामा है। बाबर के बाद मुग़ल वंश के साम्राज्य को उनके बेटे हुमायु ने संभाला था।
मुग़ल सम्राट हुमायूं (Mughal Emperor Humayun)
पूरा नाम | नासीरुद्दीन मुहम्मद हुमायूं |
जन्म | 6 मार्च, सन् 1508 ई., क़ाबुल |
पिता | बाबर |
माता | माहम बेगम |
शासन काल | (26 दिसंबर, 1530 – 17 मई, 1540 ई. और 22 फ़रवरी, 1555 – 27 जनवरी, 1556 ई.) |
उत्तराधिकारी | अकबर |
मृत्यु | 27 जनवरी, सन् 1555 ई., दिल्ली |
हुमायु मुग़ल वंश का दूसरा सम्राट था। हुमायु जब मुग़ल की राज गद्दी पर बेठे तब उनकी उमर 23 वर्ष की थी। हूमायूं और शेरशाह के बिच में कन्नौज और चौसा जैसे युध्ध हुए, जिसमे शेरशाह ने हुमायूं को हरा दिया था। इस घटना के बाद हुमायूं को हिंदुस्तान को छोड़कर चला जाना पड़ा।
लगभग 15 साल तक निर्वासित रूप से जीवन पसार कर के हुमायूं ने साल 1555 में सिकंदर के साथ युध्ध किया और उसे युध्ध के मैदान में हरा दिया जिसके बाद उन्हों ने दिल्ली का सिंहासन संभाल कर अपने शासन की फिर से शरुआत की। मुगल वंश के सम्राट हुमायूं ने ही हफ्ते में सातों दिन सात भिन्न भिन्न रंग के कपड़े पहनने का कायदा बनाया था।
मुग़ल सम्राट अकबर (Mughal Emperor Akbar)
नाम | अबुल-फतह जलालउद्दीन मुहम्मद अकबर |
जन्म | 15 अक्टूबर, 1542, अमरकोट |
पिता | हुमांयू |
माता | नवाब हमीदा बानो बेगम साहिबा |
शासनकाल | 11 फरवरी 1556 से 27 अक्टूबर 1605 |
उत्तराधिकारी | जहांगीर |
मृत्यु | 27 अक्टूबर 1605 (फतेहपुर सीकरी, आगरा) |
मुग़ल सल्तनत में हुमायु के मृत्यु के बाद मुग़ल साम्राज्य के सिंहासन पर हुमायु के बेटे अकबर को बिठाया गया। अकबर की उम्र मुग़ल वंश के सम्राट के स्थान पर सिंहासन पर बिराज ने के समय पर 14 वर्षो की थी। उनकी छोटी उम्र के कारण उनके पिता हुमायु के मंत्री बैरम खान उनको संरकक्षित करते थे। मुग़ल बादशाह अकबर के शासनकाल को मुगल वंश की नई शुरुआत के रूप से जाना जाता है।
उसके समय में भारतीय उपमहाद्धीप के अधिकतर क्षेत्र पर मुग़ल सम्राज्य का शासन हुआ करता था। अकबर ने भारत के कई सारे राज्य जैसे की पंजाब, दिल्ली, आगरा, राजपूताना, गुजरात, बंगाल, काबुल और कंधार में अपने साम्राज्य को फैला लिया था।
मुग़ल बादशाह अकबर के शासनकाल के समय में कई सारी खुबसूरत और बेमिशाल इमारते बनाई गई थी, जिसमे आगरा का किला, बुलंद का दरवाजा, फतेहपुर सीकरी, हुमायूं का मकबरा, इलाहाबाद का किला, लाहौर का किला और सिकंदरा में उन्हों ने अपने लिए एक मकबरा का मिर्माण करवाया था। उन्हों ने अनेक वास्तुशिल्प कृतियों की स्थापन भी करवाई थी। अकबर ”दीन ए इलाही” धर्म का आचरण करता था और उसका प्रधान पुरोहित था।
अकबर के दरबार की एक खास विशेषता थी, उसके दरबार में नवरत्न को स्थान दिया गया था जिनके नाम निचे दिए गये है।
अकबर के दरबार के नवरत्न के नाम (Names of Navratnas of Akbar’s court)
- बीरबल,
- अबुल फजल,
- मानसिंह,
- भगवानदास,
- तानसेन,
- फैजी,
- अब्दुर्रहीम खानखाना,
- मुल्ला दो प्याजा,
- टोडरमल।
मुग़ल शासक जहांगीर – 1605 से 1627 तक (Mughal Emperor Jahangir)
पूरा नाम | मिर्ज़ा नूर-उद्दीन बेग़ मोहम्मद ख़ान सलीम जहाँगीर |
जन्म | 30 अगस्त, सन् 1569, फ़तेहपुर सीकरी |
पिता | अकबर |
माता | मरियम उज़-ज़मानी |
विवाह | नूरजहाँ, मानभवती, मानमती |
शासनकाल | सन 15 अक्टूबर, 1605-8 नवंबर, 1627 |
मुग़ल वंश के सम्राट अकबर की मृत्यु हो जाने के बाद उनके पुत्र सलीम और जहांगीर मुग़ल सम्राज्य के सिंहासन पर बिराज कर मुग़ल साम्राज्य के शासक बने। जहाँगीर शान-ओ-शौकत के लिए पुरे भारत में काफी जाने जाते थे। जहांगीर के विस्तार में मुग़ल सम्राज्य का किश्ववर और कांगड़ा के साथ साथ बंगाल के क्षेत्र पर उनका शासन था, परन्तु उसके शासनकाल में उन्होंने कोई बड़ा युध्ध और सिध्धि नहीं हांसिल की थी।
जहांगीर को राजसत्ता मिलते ही उनके ही बेटे खुसरो ने सिंहासन पाने की लालच में उनके विरुध्ध षडयंत्र रचकर उन पर आक्रमण कीया। जहांगीर और उसके पुत्र के बीच संघर्ष हो गया। इस संघर्ष में सिक्खों के 5वें गुरु अर्जुन देव जी जो खुसरों की मदद कर रहे थे, इसी वजह जहांगीर ने अपने लोगो की मदद से उनकी हत्या करवा दी थी।
जहांगीर को चित्रकला में बहुत रूचि थी। उन्हों ने अपने राजमहल में अनेक भिन्न भिन्न तरह के चित्र एकत्र किए थे। उनके इसी चित्रकला के प्रति लगाव को देख उस शासनकाल को चित्रकला का स्वर्णकाल माना जाता था । जहांगीर को आगरा में स्थापित “न्याय की जंजीर” के निर्माण के लिए भी याद किया जाता है।
मुग़ल शासक शाहजहां – 1628-1658 (Mughal Emperor Shah Jahan)
पूरा नाम | मिर्ज़ा साहब उद्दीन बेग़ मुहम्मद ख़ान ख़ुर्रम |
जन्म | 5 जनवरी, सन् 1592, लाहौर, पाकिस्तान |
पिता | जहांगीर |
माता | जगत गोसाई (जोधाबाई) |
विवाह | अर्जुमन्द बानो (मुमताज) |
शासनकाल | 8 नवम्बर 1627 से 2 अगस्त 1658 ई.तक |
निर्माण | ताजमहल, लाल क़िला दिल्ली, मोती मस्जिद आगरा, जामा मस्जिद दिल्ली |
उपाधि | अबुल मुज़फ़्फ़र शहाबुद्दीन मुहम्मद साहिब किरन-ए-सानी, शाहजहाँ (जहाँगीर के द्वारा प्रदत्त) |
मुग़ल वंश के सम्राट शाहजहां के द्वारा ताजमहल का निर्माण किया गया है। जो दुनिया के सात अजूबों में से एक है, जिसकी वजह से आज सभी लोग उन्हें याद करते है। ताजमहल का निर्माण शाहजहां ने अपनी प्रिय बेगम मुमताज की याद में खूबसूरत इमारत के तौर पर बनवाया था। शाहजहां, मुग़ल सम्राज्य के सभी सम्राटो में से सबसे बड़े और लोकप्रिय सम्राट थे।
शाहजहां ने अपने समय में मुग़ल कालीन कला और संस्कृति को बहुत प्रोत्साहित कीया था। जिसकी वजह से शाहजहां शासनकाल को स्थापत्यकला का सुवर्ण युग कहा जाता है, साथ साथ भारतीय सभ्यता का अब तक का सबसे बड़ा समृध्ध शासनकाल रहा है।
मुग़ल साम्राज्य के सम्राट शाहजहां को उनके जीवन के आखरी दिनों में उनके ही क्रूर बेटे औरंगजेब द्वारा आगरा के किले में कैदी बना कर रखा गया था। साल 1666 ईसवी में उनकी मृत्यु हुई थी।
मुग़ल शासक औरंगजेब (Mughal Ruler- Aurangzeb)
पूरा नाम | अब्दुल मुज़फ़्फ़र मुहीउद्दीन मुहम्मद औरंगज़ेब बहादुर आलमगीर पादशाह गाज़ी |
जन्म | 4 नवम्बर, सन् 1618 ई., दाहोद (गुजरात) |
पिता | शाहजहाँ |
माता | मुमताज महल |
शासनकाल | 31 जुलाई, सन् 1658 से 3 मार्च, सन् 1707 तक |
निर्माण | लाहौर की बादशाही मस्जिद 1674 ई. में, बीबी का मक़बरा, औरंगाबाद, मोती मस्जिद |
उपाधि | औरंगज़ेब आलमगीर |
मुगल वंश सम्राट औरंगजेब, जिन्हों ने अपने ही पिता जी शाहजहां को कई वर्षो तक कैदी बना कर रखा था। जिसके बाद वह मुग़ल साम्राज्य के सिंहासन पर बैठा था। औरंगजेब मुग़ल वंश का एक ऐसा सम्राट था, जिसने भारत पर वर्ष 1658 ईसवी से लेकर 1707 वर्ष तक लगभग आधी सदी (49 वर्ष) तक अपना शासन चलाया था।
औरंगजेब ने अपने शासनकाल में भारत के उपमहाद्धीप के कई क्षेत्र पर अपना शासन कर लिया था। औरंगजेब एक कट्टर मुस्लिम बादशाह था, जिसने सिक्खों के 9वे गुरु तेग बहादुर को इस्लाम धर्म का स्वीकार ना करने की वजह से उनकी मृत्यु करवा दी थी। औरंगेजेब ने अपने शासनकाल के समय में अनेक युध्ध में जित हांसिल की थी। मराठा सम्राज्य के महाराजा छत्रपति शिवाजी महाराज ने उनको युध्ध में हार दी थी। उसकी मृत्यु के बाद मुग़ल वंश के शासनकाल की नींव थोड़े ही समय में कमजोर पड़ने लगी थी।
बहादुर शाह प्रथम – 19 जून 1707-27 फ़रवरी 1712 (Bahadur Shah I)
पूरा नाम | कुतुब उद-दीन मुहम्मद मुअज्ज़म |
जन्म | 14 अक्टूबर, 1643 बुरहानपुर, मुगल साम्राज्य |
पिता | औरंगजे़ब |
माता | रहमतुन्निस बेगम (नवाब बाई) |
शासनकाल | 19 जून, 1707 से 27 फरवरी, 1712 तक |
मृत्यु | 20जनवरी, 1961 लाहौर, मुगल सम्राज्य |
महान मुगल वंश में 8वां मुगल शासक सम्राट बहादुर शाह प्रथम थे। जिन्होंने हिंदुस्तान पर केवल 5 वर्षो तक ही अपना शासन चलाया था।
बहादुर शाह प्रथम ने अपने शासनकाल में उनके सहयोगियों को अनेक नए खिताब एवं ऊंचे दर्जे दीए थे। बहादुर शाह के शासनकाल में उनके साम्राज्य के दरबार में होने वाले षडयंत्रों की वजह से दो दल बन हो गए थे। दोनों दल में से ईरानी दल ‘शिया मत’ को मानते थे और तुरानी दल ‘सुन्नी मत’ को मानने में विश्वास रखते थे।
बहादुर शाह प्रथम ने राजपूतों के साथ मिलकर समझौता करने की नीति का आचरण किया था। साथ ही साथ उन्होंने मुगल वंश के लिए बड़ा खतरा बनाने वाले मराठा साम्राज्य के राजा के साथ शांति को स्थापित करने का प्रयास भी किया था। बहादुर शाह की नीतियों की वजह से ही मुग़ल वंश का साम्राज्य समाप्त हो गया था।
जहांदार शाह – 1712 – 1713 (Jahandar Shah)
पूरा नाम | मिर्ज़ा मुइज़्ज़-उद-दीन बेग मोहम्मद ख़ान जहाँदार शाह बहादुर |
जन्म | 9 मई, 1661, दक्कन, मुग़ल साम्राज्य |
पिता | बहादुरशाह प्रथम |
मृत्यु | 1713, दिल्ली, मुग़ल साम्राज्य |
सम्राट बहादुरशाह प्रथम की मृत्यु के बाद सिंहासन का उत्तराधिकारी बनने के लिए उनके सभी पुत्रो के बिच में कठोर संघर्ष हुआ था। इस कठोर संघर्ष में उसके तीन पुत्र की जान चली गई थी, उसके पश्यात जहांदार शाह मुगल वंश की राज गद्दी पर बैठा था। जहांदारशाह का शासनकाल बहुत कम रहा है।
उनके बारे में कहा जाता है की वह अपने प्रधानमंत्री जुल्फिकार खान का कहा ही मानते थे यानि कि के वे उनके हाथ की कटपुतली थे। उनके साम्राज्य के सभी छोटे बड़े फैसले उनके प्रधानमंत्री ही लेते थे। उनकी निति की असफलता के कारण ही मुग़ल वंश के शासनकाल का अंत नजदीक आ गया था।
फर्रुख्शियार – 11 जनवरी 1713 – 28 फ़रवरी 1719 (Farrukhshiyar)
पूरा नाम | अब्बुल मुज़फ्फरुद्दीन मुहम्मद शाह फर्रुख़ सियर |
जन्म | 20 अगस्त, 1685,औरंगाबाद, महाराष्ट्र |
मृत्यु | 28 अप्रॅल, 1719, दिल्ली, मुग़ल साम्राज्य |
माता/पिता | साहिबा निस्वान/अजीमुश्शान |
साल 1713 में मुग़ल वंश के साम्राज्य के सिंहासन पर बैठाने के बाद फर्रुख्शियार ने जुल्फिकार खां की मृत्यु करवा दी थी। साथ ही साथ उन्हों ने अपने साम्राज्य में सिक्ख नेता बन्दा सिंह को उनके लगभग 740 साथी के साथ कैदी बना लिया गया था।
साल 1717 में फर्रुख्शियार ने British East India Company को बंगाल में मुफ्त व्यापार करने के लिए अनुमति दि थी। उनके इस फैसले के बाद से ही अंग्रेज हिंदुस्तान में अपना दब दबा जमाने लगे थे, और दूसरी तरफ मुगल वंश के साम्राज्य का पतन समीप ही खड़ा था।
मुहम्मद शाह – 27 सितम्बर 1719 – 26 अप्रैल 1748 (Muhammad Shah)
पूरा नाम | अबु अल-फतह रोशन अख्तर नसीरुद्दीन मुहम्मद शाह (हुमायूं ) |
माता/पिता | क़ुदसिया बेगम/खुजिस्ता अख्तर जहान शाह |
पत्नियां | बादशाह बेगम मल्लिका-उज़-ज़मानी,उधमबाई |
बच्चे | अहमद शाह बहादुर |
मोहम्मद शाह को नाच-गाने के काफी शौखिन थे, जिसकी वजह से मोहम्मद शाह रंगीला के नाम से भी पहचाना जाता था। मोहम्मद शाह के शासनकाल में वर्ष 1739 में नादिरशाह ने हिंदुस्तान पर आक्रमण कर के दिल्ली में लूटपाट करने लगे थे।
मोहम्मद शाह के शासनकल में कई सारे विदेशी लोगो ने हिंदुस्तान पर अपना दबदबा बना लिया था। मोहम्मद शाह एक कमजोर शासक थे, जिसकी वजह से मुग़ल वंश का पतन हो जाना निश्चित था।
अहमद शाह बहादुर – 26 अप्रैल 1748 – 2 जून 1754 (Ahmad Shah Bahadur)
मुग़ल वंश के सम्राट शासनकाल में अहमद शाह बहादुर ने लगभग 6 वर्षो तक शासन किया था। उनके साम्राज्य में होने वाले सभी कार्यो का नियमन महिलाओ और हिजड़ो की एक टोली के द्वारा किया जाता था।
अहमद शाह बहादुर एक अय्याश और शासन करने के लिए अयोग्य राजा था। उनमे प्रशासन करने की काबिलियत बिलकुल ही नहीं थी। उनके फैसले मूर्खतापूर्ण होते थे जिसकी वजह से मुगल साम्राज्य जी की अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर थी। साथ ही साथ हिंदुस्तान पर अफगान के आक्रमण का संकट भी ज्यादा हो गया था।
आलमगीर द्वितीय – 2 जून 1754 – 29 नवम्बर 1759 (Alamgir II)
- पूरा नाम – उनका पूरा नाम अज़ीज़ उद-दीन आलमगीर द्वितीय
- जन्म – 6 जून के दिन , साल 1699, मुल्तान में , मुग़ल साम्राज्य
- पिता का नाम – आलमगीर द्वितीय के पिता जहांदार शाह थे
- शासनकाल – साल 1754 से लेकर 1759 की साल तक
- मृत्यु – उनकी मृत्यु 29 नवम्बर में, साल 1759 में , कोटला फतेहशाह में, मुग़ल साम्राज्य में हुई थी।
बहादुर अहमदशाह को सत्ता से हटाने के बाद आलमगीर द्धितीय मुग़ल वंश की राज गद्दी के उत्तराधिकारी बने। बहादुर अहमदशाह एक दुर्बल प्रशासक था, जिसे साम्राज्य को कैसे चलाया जाए उसका कोई तजुर्बा नहीं था। वो अपने वजीर गाजीउद्दीन इमादुलमुल्क के हाथो की कटपुतली था, जबकि साल 1759 में उनके वजीर ने ही उसकी मृत्यु करवाने का षड्यंत्र रच कर हत्या करवा दी थी।
उनके साम्राज्य में उनके शासनकाल में ही वर्ष 1756 में अहमदशाह अब्दाली ने चौथी बार हिंदुस्तान पर चढाई कर दी थी, और दिल्ली में काफी मात्र में लूटपाट मचाई थी जिसके साथ ही सिंध पर अधिकार जमा लिया था।
वर्ष 1758 ईसवी में मेवाठो ने दिल्ली पर आक्रमण कर दिया था, उस वक्त आलमगीर द्धितीय सारी क्रिया को मूकदर्शक बनकर केवल देखता रहा था। जिसके प्रथम वर्ष 1757 में हुए प्लासी की लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की विजय होने के बाद हिंदुस्तान में अंग्रेजों ने अपने पैर मजबूती से जमा लिए थे, साथ ही मुग़ल वंश का पतन निकट आ गया था।
बादशाह शाहआलम द्वितीय – 24 दिसम्बर 1759– 19 नवम्बर 1806
- पूरा नाम – अब्दुल्लाह जलाल उद-दीन अब्दुल मुज़फ़्फ़र हम उद-दीन मुहम्मद अली गौहर शाह-ए-आलम द्वितीय
- जन्म – 25 जून के दिन, साल 1728 में , शाहजहाँनाबाद में, मुग़ल साम्राज्य
- पिता/माता – पिता का नाम जीनत महल और माता का नाम आलमगीर द्वितीय
- शासनकाल – साल 1759 से लेकर 1806 साल तक
- मृत्यु – 19 नवम्बर, साल 1806
साल 1759 में शाह आलम द्वितीय, आलमगीर द्धितीय के स्थान पर मुग़ल वंश की राज गद्दी पर बैठा था। बादशाह शाहआलम द्धितीय ने अपने शासन में British East India Company से इलाहाबाद से समझौता कर लिया था, और इस समझौते के अनुसार वह British East India Company से प्राप्त पेंशन पर अपना जीवन पसार कर रहा था।
उनके शासन समय में अहमद-शाह-अब्दाली ने लड़ाई के लिए चड़ाई कर दी थी। शाह आलम द्धितीय का शासनकाल भारत के इतिहास का सबसे ज्यादा संकटमय शासनकाल रहा है। उनके शासनकाल में British East India Company ने हिंदुस्तान के कई विस्तार जैसे की बंगाल, बिहार और उड़ीसा के साथ साथ अन्य कई राज्यों पर अपना अधिकार जमा लिया था और मुगलों की ताकत को सभी प्रकार से दुर्बल कर दी थी।
अकबर शाह द्वितीय – 19 नवम्बर 1806 – 28 सितम्बर 1837 (Akbar Shah II)
- नाम – अबु नासिर मुईन उद-दिन मुहम्मद अकबर शाह द्वितीय
- जन्म – उनका जन्म 22 अप्रैल के दिन, साल 1760में , मुकुंदपुर में, मुग़ल साम्राज्य में हुआ था
- मृत्यु तिथि –उनकी मृत्यु 28 सितम्बर के दिन, साल 1837में , दिल्लीमें , मुग़ल साम्राज्य में हुई थी
- माता/पिता – उनके माता का नाम क़दसियाबेगल और पिता का नाम शाहआलम द्वितीय था।
अकबर शाह द्धितीय मुग़ल साम्राज्य के 18वें बादशाह थे। उनका शासनकाल लगभग 31 वर्ष का था। अकबर शाह द्धितीय के शासन के समय में मुग़लकाल का सबसे मुश्किल समय चल रहा था। उस वक्त मुग़ल वंश पूर्ण रूप से निर्बल हो गया था, साथ ही उन्हें British East India Company के आधार पर अपना जीवन व्यतीत करना पड़ रहा था।
बहादुर शाह ज़फ़र – 28 सितम्बर 1837 – 14 सितम्बर 1857
- पूरा नाम – जिसका पूरा नाम अबु ज़फ़र सिराजुद्दीन महम्मद बहादुर शाह ज़फ़र था
- अन्य नाम – उनको बहादुरशाह द्वितीय के नाम से भी जाना जाता था
- जन्म – उनका जन्म 24 अक्तूबर के दिन, साल 1775में , दिल्ली में हुआ था
- मृत्यु तिथि – उनकी मृत्यु 7 नवंबर के दिन, वर्ष 1862 में , रंगून, बर्मा में हुआ था
- माता/पिता – माता का नाम लालबाई और पिता का नाम अकबर शाह द्वितीय था
- शासन काल – उन्होंने 28 सितंबर साल 1837 से लेकर 14 सितंबर 1857 के साल तक शासन किया है।
मुग़ल वंश के अंतिम शासक का नाम बहादुर शाह ज़फर मुग़ल था। उन्होंने भारत की आजादी के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के आन्दोलन तक शासन किया था।
बहादुर शाह जफर ने अंग्रेजों को हिंदुस्तान से निकल ने के लिए उनके खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया था। उनके शासनकाल में उनके पास इतनी शक्तियां नहीं होने के बावजूद भी विद्रोह किया था। वे अपने जीवनयापन के लिए अंग्रेजों का सहारा लेते थे। सन् 1857 में अंग्रेजों के सामने हार जाने के बाद उनको म्यांमार में भेज दिया गया था। म्यांमार में सन 1862 में उनकी मौत हुई, जिसके साथ ही कई सदियों तक हिंदुस्तान पर अपना शासन चलाने वाले मुग़ल वंश का अंत हो गया था।
मुग़ल साम्राज्य के राजवंश की वंशावली की माहिती (Mughal Empire Family Tree)
1. प्रथम मुगल शासक – झहीरुद्दिन बाबर
बाबर की संताने:
झहीरुद्दिन बाबर के पुत्र के नाम:
- अस्कारी मिर्झा
- कामरान मिर्झा
- हिंदाल मिर्झा
झहीरुद्दिन बाबर की पुत्रियो के नाम:
- फख्र उन्निसा बेगम
- मासुमा सुलताना बेगम
- गुलबदन बेगम
- मेहर जान बेगम
- ऐसान दौलत बेगम
- हुमायु (बाबर के बाद मुगल वंश का उत्तराधिकारी)
- बाबूल मिर्झा
2. द्वितीय मुगल शासक – हुमायु
हुमायु की संताने:
हुमायु के पुत्र:
- अल अमान
- अब्द अल फतह जलालुद्दिन मोहम्मद ‘अकबर’ (हुमायु के बाद का मुगल वंश का उत्तराधिकारी)
- मिर्झा मोहम्मद हकीम
हुमायु के पुत्रिया:
- बक्षी बानो बेगम
- अकीकाह बेगम
- बख्त अल निसा बेगम
3. तृतीय मुगल सम्राट – जलालुद्दिन मोहम्मद अकबर
अकबर की संताने:
अकबर के पुत्र के नाम:
- हसन
- हुसैन
- सुलतान सलीम नूर अलदिन ‘जहांगीर’- (अकबर के बाद का मुगल वंश का उत्तराधिकारी)
- शाह मुराद
- दानियाल
अकबर की पुत्री के नाम:
- शहझादा खानम
- आरम बानू बेगम
- शक्र अलनिस्सा बेगम
4.मुगल साम्राज्य का चतुर्थ शासक – जहांगीर
जहांगीर की संताने:
जहांगीर के पुत्र के नाम:
- परवेझ
- खुसरौ
- खुर्रम शिहाब अल दिन ‘शाहजहान’- (जहांगीर के बाद का मुगलवंश का उत्तराधिकारी)
- शहर्रीयार
- जाहंदर
जहांगीर की पुत्री के नाम:
- बहार बानो बेगम
- सुलतान अल निस्सा बेगम
5. मुगल साम्राज्य का पांचवा शासक – शाहजहान
शाहजहान की संताने:
शाहजहान के पुत्र के नाम:
- दारा शिकोह
- मुह्यी अल दिन मोहम्मद आलमगीर ‘औरंगजेब’ – (शाहजहान के बाद का मुगल वंश का उत्तराधिकारी)
- मुराद बक्ष
- कुद्दैय्याह
- शाह सुजा
शाहजहान के पुत्री के नाम:
- जहा आरा बेगम
- रौशन आरा बेगम
- गौहर आरा बेगम
6. मुगल साम्राज्य का छठा सुलतान – आलमगीर ‘औरंगजेब’
औरंगजेब की संताने :
औरंगजेब के पुत्र के नाम:
- मोहम्मद अकबर
- मोहम्मद आझम शाह
- मोहम्मद मुअझ्झम बहादूर शाह आलम -(औरंगजेब के बाद का मुगल वंश न उत्तराधिकारी)
- मोहम्मद कामबक्ष
- मोहम्मद सुलतान
औरंगजेब के पुत्री के नाम:
- झेबुन्निसा
- झीनत उन्निसा
- बद्र उन्निसा बेगम
- जुबादत उन्निसा बेगम
- मिहीर उन्निसा
7. मुगल साम्राज्य का सातवा शासक – बहादूर शाह आलम/बहादूर शाह प्रथम
बहादूर शाह आलम की संताने:
बहादूर शाह आलम के पुत्र के नाम:
- जाहंदर शाह – (बहादूर शाह प्रथम के बाद का मुगल वंश का उत्तराधिकरी)
- अझ्झ अल दिन
- मोहम्मद अझीम
- दौलत अफ्झा
- रफी अल शन/रफी अल कद्र
- जहान शाह
- मोहम्मद हुमायु
8. मुग़ल साम्राज्य का आठवा सम्राट – फर्रुख्शीयार (मोहम्मद अझीम के पुत्र थे)
फर्रुख्शीयार का पुत्र: आलमगीर द्वितीय – पुत्र
9. मुग़ल साम्राज्य का नववा सम्राट– मोहम्मद शाह (जहान शाह के पुत्र थे)
मोहम्मद शाह का पुत्र: हमद शाह बहादूर ( मोहम्मद शाह के बाद का मुगल वंश का उत्तरार्धिकारी)
- 10. मुगल साम्राज्य का दसवा बादशाह : अहमद शाह बहादूर (मोहम्मद शाह के पुत्र थे)
- 11. मुगल साम्राज्य का ग्यारवः शासक: आलमगीर द्वितीय( फर्रुख्शीयार के पुत्र थे)
- 12. मुगल शासन का बारवा शासक: शाह आलम द्वितीय ( आलमगीर द्वितीय के पुत्र थे)
- 13. मुगल साम्राज्य का तेरहवा शासक: अकबर शाह द्वितीय (शाह आलम द्वितीय के पुत्र थे)
- 14. मुगल साम्राज्य का चौदहवा शासक – बहादूर शाह जफर (अकबर शाह द्वितीय के पुत्र एवं अंतिम मुगल शासक थे)
मुगल साम्राज्य के बारे मे महत्वपूर्ण माहिती (Mughal Empire Facts)
1. मुग़ल के सम्राट शाहजहा जिनको दुनियाभर में कलाप्रेमी के रूप में इतिहास से आज दिन तक सभी उनको जानते है। उनको शिल्पकला और भव्य इमारते के निर्माण के लिए और साथ ही साथ उनके समय में अनमोल हीरे और रत्न से बने सुन्दर सिंहासन के लिए निर्माण के लिए जाने जाता है। उन्हों ने यह सिंहासन अपने लिए बनवाया था। यहाँ तक की उन्हों ने सिंहासन का नाम भी रखा था, जो इस प्रकार है तख्त-ए-ताउस। उसके नाम में आना वाला शब्द ताउस एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ मोर या मयूर होता है। शाहजहा इस सिंहासन को मयूर सिंहासन के नाम से संबोधित कराते था। लेकिन जब दिल्ही पर क्रूर आक्रांता नादिर शाह ने आक्रमण करके लुटा तब मयूर सिंहासन को दिल्ली से निकालकर इरान ले गया था। नादिर शाह की इरान में मृत्यु के बाद मयूर सिंहासन अभी तक एक उलज़न के रूप में बना हुआ है, और अभी तक कोई ये नहीं जान पाया है की उसके बाद से मयूर सिंहासन किसके पास है।
2. हिंदुस्तान के इतिहास में अकबर के शासनकाल को सराहा जाता है। अकबर को उनके कुशलता और भाईचारे को बनाये रख कर शांति की स्थापना करने वाले सम्राट के रूप में जाना जाता है। आप यह नहीं जानते होगे की अकबर एक अलग तरह की बीमारी से पीड़ित था। इस बीमारी की वजह से उनको पढ़ने और लिखने में कई सारी परेशानी होती थी। अगर दुसरे शब्द में कहे तो इतिहासकार के मत से एवं ऐतिहासिक प्रमाणभूतो से ये जानने मिला है की अकबर अनपढ़ थे, क्योकि उन्हें डिस्लेक्सिया यानी पढने लिखने मे होने वाली परेशानी की बिमारी थी। अबुल फजल के आईन-ए-अकबरी मे इस घटना का उल्लेख किया गया है।
3. अनमोल कोहिनूर हिरा मुग़ल वंश के शासनकाल में उनके अधिकार में आता था। उसका उपयोग मुग़ल शासक अपने सर के ताज के लिए करते थे। नादिर शाह की दिल्ही में की गई लुट के दौरान इस बेशकिमती और अनमोल हिरे को भी हिंदुस्तान से लुटकर इरान चला गया था। उसके बाद इरान के महाराजा से ये अनमोल हिरा अंग्रेजो को मिला, जिनका अधिकार अभी तक उनके ही अधीन है।
4. हुमायु मुग़ल वंश का दुसरा सम्राट बना, परन्तु उसको अफीन और नशेबाजी की बहुत आदत थी। जिसकी वजह से हुमायु को शेरशाह सूरी से हारा गया तथा शक्तिशाली राजा शेरशाह सुरी के वर्चस्व में जीवन के काफी वर्ष अज्ञातवास में गुजारने पडे थे।जबकि शेरशाह सुरी की मौत हो जाने के बाद दिल्ली पर फिर से मुगल वंश के शासक हुमायु का राज स्थापित हो गया था।
5.मुगल वंश में सबसे ज्यादा सम्राट औरंगजेब ने शासन किया था, जिसने सिंहासन को प्राप्त करने के लिए खुद के तीन भाईयो का वध कर दिया था। औरंगजेब को सबसे कठोर प्रतिकार मराठो के द्वारा मिला था। उसमे मराठा के शासन को सम्पूर्ण ख़त्म करने के इरादे से औरंगजेब ने मुगल वंश की राजधानी को दिल्ली से बदलकर महाराष्ट्र के मराठावाडा मे स्थापित कर दी थी। औरंगजेब ने राजधानी के लिए जिस शहर को चुना था उसे आज उनके नाम के आधार पर औरंगाबाद कहा जाता है।
6. मुगल वंश के सम्राट अकबर के कालखंड मे सबसे ज्यादा सैनिक दल, प्रदेश का बंधारण तथा प्रचार मे अनेक बदलाव देखने को मिलते है। अगर इतिहास की नज़र से देखे तो अकबर दूर की नज़र रखने वाला राजा था। अकबर के सशंकल में धर्म में होने वाले भेद और धार्मिक कलह आदि बाते देखने को नही मिलती है, उन्हों ने हिंदूओ को तीर्थयात्रा पर लगाये गये कर को भी रद कर दिया था। महान संत तुलसीदास और भक्ती पंथ के साथ जुड़े महान साधु संत भी उनके शासनकाल में हो गए है। हम सब जानते है की अकबर के दरबार को नव रत्नो से भरा दरबार कहा जाता था, क्योकि उसके दरबार में बिरबल, टोडरमल, तानसेन आदि जैसे रत्न को स्थान मिला था।
7. हिंदुस्तान के इतिहास मे गुप्त साम्राज्य और मुगल वंश के सम्राट शाहजहान के साम्राज्य को सुवर्ण युग कहा गया है। उन्होंने काफी सारे सुंदर चीजो का और साथ ही साथ कला के सभी नमुने को स्थापित किए थे। जिसे देखकर आज भी उस समय की कारीगिरी की प्रत्यक्ष रूप से अनुभती कर सकते है।
8. करीब 331 वर्षो तक हिंदुस्तान पर अपना हुकुम चलानेवाले मुगल वंश का सबसे ज्यादा विस्तार अकबर और औरंगजेब के शासनकाल मे हुआ था, लेकिन अगर तात्विक नज़र से देखे तो इन दोनो सम्राट की सोच ने की रीत एक दुसरे से ज्यादा हद तक भिन्न भिन्न दिखाई पडती है। एक तरफ औरंगजेब जो एक कट्टर धार्मिक शासक था तो दूसरी तरफ अकबर सहिष्णुता से साथ शासन करनेवाला सम्राट के रूप में सिध्ध हुआ था।
मुग़ल साम्राज्य के बारे में अधिकतर पुछे जाने वाले सवाल के जवाब (Quiz Questions on Mughal Empire)
1.मुगल वंश से संबंधित माहिती हेतू कौनसी किताबे में प्राप्त होगी ?(Books related to Mughal empire history)
जवाब : मुगल वंश से संबंधित इतिहास के जानकारी निचे बताई गई किताब में से मिल जाएँगी:
- द मुगल एम्पायर – जॉन रिचर्ड
- द ग्रेट मुगल एंड देअर इंडिया जो डर्क कोलायर ने लिखा है।
- आईन ए अकबरी – अबुल फजल
- द लास्ट मुगल – विलिंअम डेर्लेअमप्ल
- द मुगल स्टेट 1526 – 1750
- अ शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ द मुगल एम्पायर जो मायकेल फिशर ने लिखा है।
2. मुगल वंश का कुल समय कितना था? भारत मे मुग़ल वंश कबसे कब तक था? ( Mughal empire timeline)
जवाब : साल 1526 से लेकर साल 1857 तक हिंदुस्तान पर मुग़ल वंश शासनकाल रहा है, जिसका कुल समय 331 वर्षो तक का है।
3. साहित्य के किन उपलब्ध स्त्रोतो से हमे मुगल साम्राज्य के बारे मे माहिती मिल सकती है?(Literary sources of Mughal empire)
जवाब : बाबर का जीवनकाल ‘तुझुक-इ- बाबरी’में, अकबर का जीवनकाल ‘आईन-इ-अकबरी’ में जिसकी रचना अबुल फजल के द्वारा की गई थी, मुल्ला दौड द्वारा रचित ‘तारिख-इ- अल्फी’ में, अबुल फजल द्वारा रचित किये गये ‘अकबरनामा’ में, अब्दुल कादिर बदायुनी द्वारा रचना किये गये ‘मुंतखब- उल-तवारीख’ में, ‘पादशाहनामा’ जिसकी रचना अब्दुल हामिद लाहोरी के द्वारा हुइ है और मिर्झा मोहम्मद काझीम के द्वारा रचित ‘आलमगीरनामा’ में, तथा इनायत खान द्वारा लिखा गया ‘शाहजहाननामा’ आदि साहित्य स्त्रोतो में तत्कालीन मुग़ल वंश के बारे मे माहिती प्राप्त होती है।
4. पुरातत्व संशोधन के उपलब्ध किन स्त्रोतो से हमे तत्कालीन मुगल वंश के बारे मे माहिती मिल पाती है?(Archaeological sources of Mughal empire)
जवाब : मुगल वंश के शासनकाल मे वास्तुकला और चित्रकला तथा साहित्यकला आदि पर ज्यादा काम किया गया था। उन्हों ने कुछ चीजो को सफेद रंग के संगेमरमर के पत्थर से तो कई स्थान पर लाल रंग का बलुआ पत्थर का इस्तेमाल कर के बनवाई गइ है। जिसमे आग्रा में स्थित ताजमहाल, दिल्ली में आया हुआ लाल किला और इसके अलावा जामा की मस्जिद, मोती मस्जिद, लाहोर का किला, बिबी का मकबरा, जहांगीर का सिंहासन, और मुगल शासको के भिन्न भिन्न मकबरे इत्यादि से तत्कालीन समय के शासन की ज्यादा माहिती मिलती है। मुगल वंश के शासनकाल के समय पर इस्तेमाल किये गए शस्त्र और चलन रूढ़ि से हमे मुग़ल वंश की माहिती प्राप्त हो जाती है। जिसकी पूर्वता तत्कालीन साहित्यकारो द्वारा रचित ग्रंथो और रचनाओ से की जाती है। तत्कालीन चित्रकला और वास्तुकला तथा साहित्य के स्त्रोत पूर्ति के वो मुख्य स्त्रोत है, जिनसे आज के समय में भी हम उस दौर की बहुत अधिक माहिती को हांसिल कर सकते है।
5. मुगलकालीन वास्तुरचना और मुर्तीरचना पद्धती किस प्रकार की होती थी? इसमे किस तत्कालीन समय के कला की पध्धति की असर दिखती है? (Sculpture of Mughal period)
जवाब : आदि हिंदुस्तान मे गुप्त साम्राज्य और उससे भी आगे मंदिर और मूर्ती की रचना मे सबसे अधिक दक्षिण भारत में प्रचलित द्रविड शैली के मंदिर की पध्धति की एक झलक और प्रभाव प्रचलित थी। उस वक्त के बुध्द और दुसरे धार्मिक मुर्तियो मे उनका प्रभाव था, पर मुगल शासन के बनाये वास्तू और मूर्ती रचना मे इंडो इस्लामिक तथा पर्सिंयन कला के निर्माण का प्रभाव साफ दीखता है, जैसे की भव्य ऊचे स्तंभ, मिनार, भव्य प्रवेशद्वार और मकबरे इत्यादि का समावेश हुआ था। खुबसूरत नकाशी और चित्र कला भी इसमे ज्यादातर शामिल होने लगी थी। स्मारक या मकबरो का बांधकाम भी बेहतरीन गुणवत्ता के पत्थर और दूसरी चीज वस्तु से बने हुये मालूम पड़ते है।
Last Final Word:
दोस्तों हमने इस आर्टिकल में आपको मुग़ल साम्राज्य का रोचक इतिहास, मुग़ल साम्राज्य के वंश के नाम, मुग़ल साम्राज्य का इतिहास से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी को दर्शाया है, तो हम यह आशा करते है की आपको इस आर्टिकल के जरिये मुग़ल साम्राज्य का रोचक इतिहास से जुडी सभी महत्वपूर्ण जानकारी मिल गयी होगी।
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