नाथूराम गोडसे भारतवर्ष के एक क्रांतिकारी विचारक पत्रकार और सामजिक कार्यकर्त्ता होने के साथ-साथ एक हिन्दू महासभा के अद्यक्ष और “राष्ट्रिय स्वंसेवक संघ(RSS)” के सदस्य भी थे। एक समय एसा भी था की, जब स्वयं नाथूराम गोडसेने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी के साथ मिल कर स्वतंत्रता के संग्राम में उनका सहयोग किया करते थे।
नाथूराम गोडसे पूजनीय राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी को बहुत सम्मान दे ते थे, साथ में उनका समर्थन भी प्रदान करते थे, लेकिन नाथूराम के मत से कुछ कार्य एसे थे जिसने नाथूराम को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी की हत्या करने पर मजबूर कर दिया। इस के चलते नाथूराम ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी की हत्या करदी थी।
आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको बतायेगे की, आखिर क्यों नाथूराम ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी की हत्या की और देश की स्वतंत्रता में किस तरह नाथूराम ने अपना योगदान दिया था। नाथूराम के जीवन के बारे में जानने के लिए आप इस महत्वपूर्ण आर्टिकल “नाथूराम गोडसे का जीवन परिचय (Nathuram Godse Biography)” को अंत तक अवश्य पूरा पढ़े।
नाथूराम गोडसे का जीवन परिचय (Biography of Nathuram Godse In Hindi)
क्र. म. | जीवन परिचय बिंदु | परिचय |
1. | पूरा नाम (Full Name) | नाथूराम विनायक राव गोडसे |
2. | अन्य नाम (Other Name) | रामचंद्र एवं नाथूराम गोडसे |
3. | जन्म (Birth) | 19 मई, 1910 |
4. | जन्म स्थान (Birth Place) | बारामती, जिला पुणे, बॉम्बे प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत |
5. | मृत्यु (Death) | 15 नवंबर, 1949 |
6. | मृत्यु स्थान (Death Place) | अंबाला जेल, उत्तर पंजाब, भारत |
7. | मृत्यु का कारण (Death Cause) | फांसी की सजा |
8. | सजा का कारण (Criminal Charge) | महात्मा गाँधी की हत्या |
9. | उम्र (Age) | 39 वर्ष |
10. | राष्ट्रीयता (Nationality) | भारतीय |
11. | गृहनगर (Home Town) | बारामती, पुणे |
12. | धर्म (Religion) | हिन्दू |
13. | जाति (Caste) | ब्राह्मण |
14. | पेशा (Profession) | सामाजिक कार्यकर्ता |
15. | समूह (Organization Group) | राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एवं हिन्दू महासभा |
16. | राशि (Zodiac Sign) | वृषभ |
17. | प्रसिद्ध किताब (Famous Book) | ‘व्हाय आई किल्ड गाँधी’ |
नाथूराम गोडसे का जन्म और पारिवारिक परिचय (Birth and family introduction of Nathuram Godse)
देशभक्ति की भावना रखने वाले नाथूराम गोडसे का जन्म 19 मई 1910 में महाराष्ट्र के पुणे जिले के एक छोटे से बारामती गाँव में हुवा था। जिस परिवार में नाथूराम ने जन्म लिया मराठी हिन्दू परिवार था। जन्म के दोरान उनका नाम नाथूराम नहीं था, बल्कि “रामचंद्र” रखा गया था।
नाथूराम गोडसे के पिता का नाम विनायक वामनराव गोडसे था, जो की एक पोस्ट ऑफिसर थे। जब नाथूराम के माता का विवाह उनके पिता के साथ नहीं हुवा था, तब उनका नाम गोदावरी था, और शादी के बाद उनकी माँ का नाम लक्ष्मी रख दिया गया था। नाथूराम के जन्म के पहले उनकी माँ के तीन बेटे और एक बेटी थी। नाथूराम गोडसे के माता के उन तीनो बेटो के जन्म के दोरान हु दुर्भाग्य से मृत्यु हो चुकी थी। नाथूराम की बड़ी बहन सौभाग्य से जीवित रह गई थी।
उस समय उनकी माँ को लगा कि एक पुत्र की आवश्यकता है, लेकिन वह बीते हुए समय को याद करके डरा भी करती थी। कुछ समय बीतने के बाद लक्ष्मीजी को नाथूराम के स्वरूप में एक पुत्र की प्राप्ति हुई। उनको डर था की, कही उनके पिछले तीन बेटो के साथ जो हुआ वो कही इस नन्हे बेटे के साथ ना हो। बस यही सोचते हुए इनकी माँ ने नाथूराम का जन्म होने के बाद इनका पालन-पोषण लडकियों की तरह करना शुरू कर दिया। इनके जन्म के दोरान नाथूराम नहीं बल्कि रामचंद्र नाम रखा गया था। जेसा की नाथूराम गोडसे को उनकी माता ने लडकियों की तरह पाला था, इस लिए उनकी नाक भी छेदवा दी थी। नाथूराम की नाक छेदवा कर इनकी माँ ने उनके नाक मे एक छल्ला भी डाल दिया था।
इनकी नाक छेदी हुई थी, इस लिए नाथू और उनके पहले नाम से राम को मिला कर उनका नाम नाथूराम रखा गया, और उसी नाम से प्रचलित हुए। नाथूराम के बड़े होजाने के बाद उनकी माँ को एक और पुत्र प्राप्त हुवा, उनका नाम गोपाल रखा था। नाथूराम गोडसे के माता ने गोपाल को एक लड़के की तरह पालन-पोषण किया।
नाथूराम गोडसे का परिवार
1. | पिता का नाम (Father’s Name) | विनायक वामनराव गोडसे |
2. | माता का नाम (Mother’s Name) | लक्ष्मी गोडसे |
3. | भाई का नाम (Brother’s Name) | गोपाल गोडसे (छोटा भाई) |
4. | बहन का नाम (Sister’s Name) | 1 बड़ी बहन (नाम नहीं पता) |
5. | भतीजी का नाम (Niece Name) | हिमानी सावरकर |
नाथूराम गोडसे की शिक्षा, दीक्षा और उनका प्रारंभिक जीवन (Nathuram Godse’s education initiation and his early life)
जैसा की हम जानते है की, नाथूराम गोडसे के पिता एक पोस्ट ऑफिसर थे, और उनकी माता एक गृहिणी थी। इस लिए इन्होने अपनी प्रारंभिक शिक्षा को अपने जन्म स्थली बारामती गाव में ही पूरी की थी। नाथूराम की प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त होने के बाद उन्हें हिंदी के साथ-साथ अंग्रजी भाषा का भी अच्छा ज्ञान प्राप्त हो ये सोच कर नाथूराम के माता-पिता ने उन्हें पुणे शहर भेजा।
नाथूराम जब अपनी शिक्षा प्राप्त कर रहे थे, तभी गाँधीजी के विचार सुनकर नाथूराम काफी प्रभावित हुवा करते थे। नाथूराम का स्वभाव बहुत ही सच्चा, शांत, इमानदार, आगे बढ़ने वाला और बुद्धिमता वाला था।
वर्ष 1930 में नाथूराम जब अपनी आगे की पढाई कर रहे थे, उस समय उनके पिता का ट्रांसफर महाराष्ट्र के रत्नागिरी शहर में हुवा था। उसके बाद से नाथूराम अपने माता-पीता के साथ रहने लगे थे। इस समय के दोरान नाथूराम गोडसे की मुलाकात एक कट्टर हिंदुत्व रखने वाले व्यक्ति वीर सावरकर (Veer Savarkar) से हुई। तभी से नाथूराम ने अपना संपूर्ण जीवन को राजनितिक क्षेत्र में न्योछावर करने का विचार किया था।
नाथूराम गोडसे का राजनीतिक करियर (Nathuram Godse’s Political Career)
नाथूराम गोडसे का मन पहले से ही राजनीतिक क्षेत्र में था। इस वजह से नाथूराम ने दसवी की पढाई छोड़कर सामाजिक कार्यो में अपना योगदान देने आगे आए। उस के बाद नाथूराम ने हिन्दू महासभा और राष्ट्रिय सवयंसेवक संघ (आज इसे आरएसएस कहते है) के कार्यकर्त्ता के रूप में अपना राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी।
शुरुआत से ही नाथूराम नाथूराम मुस्लिम लीग को अलग करने वाली राजनीति के खिलाफ थे। हिन्दू समूह के साथ जुड़ने के बाद ही उनमे नया परिवर्तन आया, उन्होंने हिन्दू समूह के लिए एक समाचार पत्र का प्रकाशन किया था। उस समाचार पत्र का नाम “अग्रिणी” था और यह समाचार पत्र मराठी भाषा में प्रकाशित हुआ था।
यह समाचार पत्र आगे चलकर “हिन्दू राष्ट्र” के नाम से विश्वविख्यात हो गया। ब्रिटिश सरकार ने खिलाफ एक बार राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी ने आंदोलन शुरू किया, इस आंदोलन में हिन्दू महासभा के समूह ने भी गाँधी जी का संपूर्ण रूप से समर्थन भी किया था, यह आंदोलन एक अहिंसक और प्रतिरोधी के रूप में था।
आगे चलकर यह हिन्दू समूह गाँधीजी के खिलाफ में खड़ा भी हो गया, क्युकी हिन्दू समूह के लोगो का कहना था की, गांधीजी हिन्दूओ और अल्पसंख्यक दोनों में भेदभाव कर रहे है। अल्पसंख्यक समूह को खुश करने के चकर में गांधीजी हिन्दूओ के हित को नजरअंदाज करते हुए चल रहे थे। हिन्दू समूह का कहना था की “भारत एवं पाकिस्तान के विभाजन का मुख्य कारण स्वयं राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी है।” उस विभाजन (भारत और पाकिस्तान) में कई आम लोगो को बिना वजह मार दिया था। यह कारणों से विवश हो कर नाथूराम गोडसे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के खिलाफ जाना पड़ा था।
नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी की मृत्यु कैसे की थी? (How did Nathuram Godse kill the Father of the Nation Mahatma Gandhi)
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी प्रतिदिन की तरह संध्या के समय इश्वर से प्राथना कर रहे थे। उस समय नाथूराम गोडसे गांधीजी के पास जाते है, और उनको बियरटा एम 1934 सेमी-ओटोमेटिक नामक पिस्तौल से गांधीजी को लगातार तीन गोलिया मारकर हत्या करदी। बापूजी की हत्या कर के नाथूराम वहा से भागे नहीं और शांति से अपनी गिरफ्तारी करवाई थी।
नाथूराम गोडसे के द्वारा किए गये इस हत्याकांड (गांधीजी की हत्या) में 6 लोगो ने उनका साथ दिया था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी को बचाया नहीं जा सका क्योकि उस दौरान बहुत समय बित चूका था।
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की मृत्यु करने के बाद नाथूराम गोडसे का क्या हुआ?
नाथूराम गोडसे उस समय हिन्दू महासभा और राष्ट्रिय सवयंसेवक संघ के साथ कार्यकर्त्ता के रूप में जुड़े हुए थे, यह देखकर उन दोनों समूह को अवेध घोषित कर दिया गया था। 1949 में पता चला की गांधीजी की हत्या में आरएसएस का हाथ नहीं था इसकी पुष्टि हो गई, और आरएसएस पर लगा प्रतिबंध भारत सरकार द्वारा हटवा लिया गया।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी की मृत्यु के बाद ब्राह्मण एवं मुस्लिम समाज आपसी माहोल बिगड़ गये थे, उस वजह से दो नों समाज में लड़ाई-दंगे होने लगी थी, इस लड़ाई-दंगो में कई लोगो की जान चली गई थी। साथी-साथ दंगो में कई ब्राह्मण परिवारो के घरो को आग के हवाले कर दिया गया।
उस दंगो का काफी ज्यादा आरोप भारत सरकार के ऊपर भी लगाए गए थे, कई लोगो का कहना था कि “महात्मा गाँधीजी की मृत्यु में भारत सरकार का भी हाथ है।” उस दोरान कई लोगो ने कहा था की राष्ट्रिपिता पर पहले भी कई सारे आत्मघाती हमले हो चुके है, लेकिन भारत सरकार इसके प्रति सचेत क्यों नहीं थी? यह सभी चीजो के बीच नाथूराम गोडसे को राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी का हत्यारा करते हुए उनको मृत्युदंड का निर्णय लिया गया।
नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी को क्यों मारा था? (Why did Nathuram Godse kill the Father of the Nation Mahatma Gandhi?)
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी के मृत्यु के विषय में बहुत सारी थियरी दी जाती है। इस के बारे में कई आर्टिकल लिखे गये है और कोर्ट की कार्यवाहीओ में भी बार-बार हत्या का जिक्र हुवा है, लेकिन कुछ भी स्पष्ट नहीं हो सका। इस लिए आज भी पता चल नहीं पाया की राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी की मृत्यु का कारण क्या था?
यह कार्य किस राजनीतिक पार्टी के पीछे षड्यंत्र रचा गया? यह आज तक स्पष्ट नहीं हो सका है। कई लोगो के अनुसार नाथुराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी को मारने के कई असफल प्रयत्न किये, लेकिन वह 30 जनवरी 1948 को अपने कार्य को अंजाम देने के लिए सफल रहे थे।
नाथू राम गोडसे के अनुसार भारतवर्ष के बटवारे में कई ना कई राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी का भी हाथ था। उन्हें लगता था की, इस बटवारे में गाँधीजी का अपना स्वार्थ छुपा हुवा है। नाथूराम को लगता था की राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी अपनी छबि को दोनों तरफ से उच्चे स्तर पर ले जाना चाहते थे। इस लिए राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने भारतवर्ष को विभाजित कर दिया था।
नाथूराम गोडसे यह सोचते थे की, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी मुस्लिम पक्षों पर हिन्दू समाज से काफी ज्यादा दयावान और उदारवान बने रहे थे। इस लिए वह कही ना कही हिन्दू अस्तित्व को नजरअंदाज कर रहे थे। कुछ और भी कारण हो सकते है परंतु आज तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया।
नाथूराम गोडसे की मृत्यु (Death of Nathuram Godse)
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी के मृत्यु के ठीक तीन महीने बाद 7 मई 1948 को इस केस की सुनवाई हुई। नाथूराम गोडसे को न्यायालय में पेश किया गया। नाथूराम ने अपना अपराध बहुत शांतिपूर्ण स्वीकार किया।
यह केस को अंत तक लेजाने में पुरे 1 वर्ष का समय लग गया। इस केस की सूनवाई 8 नवंबर सन 1949 को हुई। इस केस की सुनवाई का फेसला यह आया की 15 नवंबर 1949 को नाथूराम को मृत्युदंड दिया जायेगा।
इस केस के फेसले में नाथूराम गोडसे के साथ साथ नारायण आटे जी को भी नाथूराम का सहयोग करने के लिए नाथूराम के साथ फासी देने का फेसला लिया गया। हिन्दू महासभा के सदस्य वीर सावरकर को इस केस का अपराधी माना गया था, परंतु आगे चलकर वीर सावरकर के ऊपर से यह आरोप हटा दिया गया था।
नाथूराम गोडसे ने 1 वर्ष के जेल में अपराधी के दौरान उन्होंने एक किताब भी लिखी थी, इस किताब का नाम था, ” व्हाई ई किल्ड गांधी ” (Why I Killed Gandhi)। इस किताब में नाथूराम ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी के मारने के पीछे का कारण व्यक्त किया हुवा है।
नाथूराम गोडसे के अंतिम शब्द क्या थे? (What were the last words of Nathuram Godse ji?)
नाथूराम गोडसे का मृत्यु पत्र
मैंने देश और मानव जाती की भलाई के लिए ये कार्य किया है, मुझे विश्वास है की अगर मनुष्य के द्वारा स्थापित न्यायालय से ऊपर जो कोई न्यायालय होगा, उसमे मेरे इस कार्य को अपराध नहीं समझा जाएगा।
नाथूराम गोडसे के अनमोल वचन (Precious words of Nathuram Godse)
- “अखंड भारत अमर रहे वन्देमातरम। “
- “भगवान करे हमारा देश फिर अखंड हो और भारतीय जनता उन विचारो को त्याग करे जो अत्याचारी के खिलाफ झुकने की प्रेरणा देते है। यही मेरी अंतिम प्राथना है।”
नाथूराम गोडसे से सम्बंधित पुस्तके (Books related to Nathuram Godse)
- गाँधी हत्या आणि मी (गाँधी हत्या और में ; गोपाळ गोडसे)
- नथुरामायण (य.दि. फडके)
- मी नाथूराम गोडसे बोलतोय (में नाथूराम गोडसे बोल रहा हु ; दो-अंक का नाटक, 1997, लेखक प्रदीप दळवी)
- May It Please You Honour (गोपाळ गोडसे)
- 55 कोटींचे बळी (गोपाळ गोडसे)
- Why I Assassinated Gandhi (गोपाळ गोडसे)
- अखंड भारत के स्वप्नद्रष्टा – वीर नाथूराम गोडसे : भाग – एक, दो, तीन (लेखक विश्वजीतसिंह)
- गाँधी-वध क्यों? (नाथूराम गोडसे)
- The Men Who Killed Gandhi (मनोहर माळगांवकर)
- Nathuram Godse-The Story Of An Assassin (लेखक -अनूप अशोक सरदेसाई)
नाथूराम गोडसे से जुड़े कुछ सवाल के जवाब
1. नाथूराम का जन्म कहा और कब हुआ था?
नाथूराम का जन्म महाराष्ट्र के पुणे जिले के बारामती गाव में 19 मई 1910 को हुवा था।
2. नाथूराम के माता-पिता का नाम क्या था?
नाथूराम के पिता का नाम विनायक वामनराव गोडसे और माता का नाम लक्ष्मी गोडसे था।
3. नाथूराम को कहा और कब फांसी दी गई थी?
नाथूराम को 15 नवंबर 1949 को पंजाब की अंबाला जेल में फांसी दी गई थी।
4. नाथूराम का सहयोग करने के लिए किसे उनके साथ फासी दी गई थी?
नाथूराम का सहयोग करने के लिए नारायण अष्टजी को उनके साथ फासी दी गई थी।
Last Final Word:
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी के मृत्यु के दोष में नाथूराम को मृत्युदंड दिया, कई ऐसे भी लोग थे जो नाथूराम गोडसे के समर्थन में इस फेसले के खिलाफ थे। नाथूराम की मृत्युदंड की सजा को रोकने के लिए उनके समर्थको ने बहुत से प्रयास किये लेकिन वह असफल रहे। नाथुराम गोडसे के समर्थको के अनुसार यदि नाथूराम को सजा मिलाना एक विरासत के समाप्ति जेसा ही होगा। आज भी हमारा समाज नाथूराम गोडसे को याद नहीं करता लेकिन नाथूराम उनकी स्वतंत्रता संग्राम में अपनी मुख्य भूमिका निभाते थे।
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