दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम NPA के बारे में जानकारी हासिल करेंगे। इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ना ताकि आपके सवालों के जवाब आपको मिल सके।
NPA क्या है?
NPA एक ऐसा शब्द है जो पिछले कुछ समय से हमारे देश में बहुत ही ज्यादा चर्चा में रहा है। इसका कारण है कि ललित मोदी, विजय माल्या और निरव मोदी की जब भी बात होती है, तब इस शब्द का उल्लेख बार बार किया जाता है।
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NPA Full Form in Hindi
NPA का पूरा नाम Non Performing Asset है। इसका अर्थ होता है कि ऐसा asset जो अब किसी काम का नहीं रहा और बैंक उसे वापिस लेने के लिए सक्षम नहीं है।
आपको प्रश्न हो रहा होगा कि बैंक का कार्य तो लोन के रूप में पैसा देना होता है तो फिर asset कैसे हो गया, तो आपकी जानकारी के लिए बतादे की लोग जो पैसा लोन के रूप में ब्याज पर बैंक से लेते हैं तो उसे बैंकिंग की भाषा में asset कहा जाता है।
अगर आपका अकाउंट एनपीए होता है तो समझ लीजिएगा कि उस पैसे का अपने इंडियन इकोनामक में किसी भी प्रकार का योगदान नहीं है।
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Account कब होता है NPA?
अगर आपने बैंक से लोन ली हुई है और लोन के पैसे ईएमआई यानी कि किस्त से वापस करते हो और कोई कारणों से आप लगातार तीन किस्त का पैसा नहीं चुका पाते हो तो आपका अकाउंट एनपीएस में परिवर्तित हो जाएगा और फिर आपके घर पर बैंक के द्वारा एक नोटिस भेजी जाएगी।
अगर आप बैंक के द्वारा भेजे गए नोटिस के बाद भी पैसा नहीं देते हो तो बैंक होम लोन के बदले जो भी डॉक्यूमेंट आपने जमा किए होंगे उसके आधार पर आप की प्रॉपर्टी जप्त कर लेगी।
एनपीए यानी बैंक का वह कर्ज जो डूब गया है और जिसके वापस आने की उम्मीद नहीं की जा सकती।
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अगर सरल शब्दों में कहे तो जब बैंक किसी व्यक्ति को लोन देती है तो उस लोन को चुकाने के लिए व्यक्ति को समय-समय पर निश्चित की गई रकम बैंक को चुकानी होती है, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि लोन लेने वाला इंसान बैंक को रेगुलर पेमेंट नहीं कर पाता। बैंक के नियमों के अनुसार बैंक एक नोटिस देती है जिसने बताया गया होता है कि अगर आप पैसे नहीं चुकाते हैं तो आप के खिलाफ लीगल एक्शन लिया जाएगा। अगर नोटिस देने के बाद भी व्यक्ति पेमेंट करने में असमर्थ रहता है तो बैंक उस लोन को एनपीए करार कर देती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वर्तमान समय में भारत में एक लाख करोड़ से भी ज्यादा एनपीए है।
Debt Recovery tribunals क्या है?
90s के समय के पहले बैंक को bad loans को recover करने में बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। क्योंकि अधिकतर लोन लेने वाले बैंक के द्वारा प्रतिक्रिया आने से पहले ही बैंक के ऊपर केस कर देता था।
इसी वजह से साल 1993 में भारत सरकार ने NPA के मामले को नियंत्रित करने के लिए debt recovery tribunals की शुरुआत की थी। इसकी स्थापना के बाद से उनके केस इसी में चलते हैं।
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SARFAESI Act क्या है?
इस का फुल फॉर्म नीचे बताया गया है।
Securitisation and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest Act, 2002
उदाहरण के रूप में गजोधर भैया ने 100 करोड़ की एक फैक्ट्री खोली। उसने नीचे बताए गए सोर्स पर से इतने सारे रुपए से इकट्ठे किए।
Equity:
खुद का पैसा = 20 crore
IPO/Public से= 30 crore
Debt(loans, bonds):
Business loan from Bank = 40 crore
Bonds = 10 crore
Total = 100 crore.
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फैक्ट्री के स्थापना के बाद शुरुआती समय में कंपनी अच्छे से चल रही थी। मगर थोड़े समय बाद कंपनी को नुकसान होने लगा और अब वह बैंक की EMI भरने मे असमर्थ हो गया है। अब एसबीआई बैंक ने ₹400000000 को एनपीए घोषित कर दिया। उसके बाद बैंक SARFAESI Act के अनुसार अपने पैसों की रिकवरी करने के लिए एक्शन लेती है।
बैंक के पास SARFAESI Act के अनुसार नीचे बताए गए पावर होते हैं:
गजोधर के asset को बैंक बिना किसी कोर्ट के आदेशों के बिना जप्त कर सकती है। अगर बैंक चाहे तो उसे नीलाम भी कर सकती है। अगर गजोधर के पैसे तीसरे इंसान के पास हो तो बैंक तीसरे खरीददार के पास से पैसे निकलवा सकती है।
इस एक्ट को 1000000 तक के लोन के मामले में ही इस्तेमाल कर सकते हैं।
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Last Final Word
दोस्तों यह थी NPA के बारे में जानकारी। हम उम्मीद करते हैं कि हमारी जानकारी आपको फायदेमंद रही होगी। अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर कीजिए।
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