रजिया सुल्तान का इतिहास

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नमस्कार दोस्तों! मध्यकालीन भारतीय इतिहास में हमने कई ताकतवर राजाओ को देखा है और उनके बारे में पढ़ा है। आजे से कही वर्ष पहले की बाद है जब दिल्ली पर मुग़ल शासक की हुकुमत थी तब एक स्त्री ने दिल्ली पर राज किया था। वह इतिहास की सबसे पहली स्त्री जिसने 5 वर्ष तक शासन किया था जो बहुत ताकतवर और निडर थी उस रानी का नाम रजिया सुल्तान है तो हमारे आज के इस आर्टिकल में हम आपको रजिया सुल्तान के इतिहास के बारे में बताएंगे।

रजिया सुल्तान कौन थी?

रजिया सुल्तान इतिहास की एक सबसे ताकतवर महिला थी, जिन्होंने पहली महिला शासक बनकर सिर्फ इतिहास नही रचा था, बल्कि दिल्ली की तख़्त पर वर्ष 1236 से 1240 के बिच तक न्यायप्रिय, प्रजाहितैषी, साहसी शासक के रूप में शासन भी किया था। रजिया सुल्तान ने अपने राज्य दिल्ली के लिए बहुत विकास के कार्य किये थे, एवं शिक्षा को जमकर बढ़ावा दिया था। उनके अंदर एक महान प्रशासक के सभी गुण मोजूद थे हालाकि कई लोग उनकी सैन्य क्षमता और कुशल प्रशासन को देखकर उनसे जलते थे। और उनके गुणों की वजह से रजिया का स्त्री होने का स्वीकार नही कर पा रहे थे। इसके अलावा रजिया सुल्तान को रुढ़िवादी मुस्लिम समाज द्वारा भी काफी आलोचन सहन करना पड़ रहा था। जिस समय इस्लाम धर्म की महिला पर्दा प्रथा में रहकर घर की चार दीवारों के अंदर रहती थी उस समय रजिया सुल्तान ने मर्दाना लिबास पहनकर रुढ़िवादी इस्लामिक सोच पर प्रहार किया था।

तमाम संघर्ष के बाबजूद भी रजिया ने दिल्ली की तख़्त पर बैठकर शानो शोकत के साथ शासन किया और दिल्ली सल्तनत पहली मुस्लिम शासक बन इतिहास रच दिया था।

रजिया सुल्तान के जीवन पर एक नजर 

रजिया सुल्तान का शाही नाम जलॉलात उद-दिन रज़ियॉ था। दिल्ली पर शासन 1236 से 1240 किया था, उसे पूर्ववर्ती रुकिनुद्दीन फिरोजखान का शासक दिल्ली में था। और रजिया सुल्ताना के बाद दिल्ली पे शासक मुइजुद्दीन बहराम शाह का था, रजिया सुल्तान का जन्म 1205 में हुआ था और उनका निधन 14 अक्टूबर 1240 कैथल के हरियाणा में हुआ था। रजिया सुल्ताना की समाधि मोहल्ला बुलबुली खान के कैथल जिल्ले में है रजिया सुल्ताना गुलाम वशंज थी उनकी माता का नाम क़ुतुब बेगम और पिता का नाम शम उद दीन इल्तुतमिश था वे इस्लाम धर्म की थी।

पुरा नाम (Name)जलालात उद-दिन रज़ियां
जन्म (Birthday)1205, बदायूँ
माता (Mother Name)कुतुब बेगम
पिता (Father Name)शम-शम-शुद्दीन इल्तुतमिश
पति (Husband Name)मलिक अल्तुनिया, भटिड़ा के सेनापति
मृत्यु (Death)13 अक्टूबर 1240

रजिया सुल्तान का जन्म दिल्ली सल्तनत के मशहूर शासक एवं इतिहास प्रसिद्धि स्ल्तान शम शुद्दीन इल्तुतमिश के यहाँ 1205 में हुआ था, रजिया सुल्ताना के तिन भाईओ में से एक लोती और काबिल बहन थी, रजिया सुल्तान जब छोटी तब उनका नाम हफ्सा मोईन था लेकिन सभी रजिया कहते थे। रजिया के पिता ने रजिया की काबिलयत को बचपन में ही पहचान लिया था, और इस लिए रजिया की परवरिश शम शुद्दीन अपने बेटो की तरह ही की थी रजिया सुल्तान के पिता ने शरु से ही शास्त्र की शिक्षा दी थी, और उनके अंदर एक कुशल प्रशासक बनने के सारे गुण विकसित किये थे। रजिया सुल्ताना को उनके पिता ने मैदान में ले जाकर एक वीर सैनिक की तरह युद्ध का अभ्यास भी करवाया था। इस वजह से रजिया छोटी उम्र में ही तलवारबाजी और घुडसवारी में सक्षम हो गई थी।

रजिया सुल्तान के शासक की भूमिका 

रजिया को उसके पिता की मृत्यु 12 अप्रैल 1236 के बाद दिल्ली का सुल्तान बनाया गया। शम शुरुद्दीन पहला ऐसा प्रशासक था जिसने एक महिला को शासन के लिए नियुक्त किया था। इतिहासकारों के अनुसार रजिया सुल्तान के बेटे को पहले सुलतान के रूप में नियुक्त किया था लेकिन उनकी कम उम्र में मृत्यु हो गई थी मगर मुस्लिम वर्ग को यह मंजूर नही था की कोई महिला प्रशासक बने इस लिए उनकी मृत्यु के बाद उसके छोटे बेटे रक्नुद्दीन फिरोज शाह को दिल्ली का शासक सोपा परन्तु रक्नुद्दीन का शासक बहुत कम समय चला रक्नुद्दीन बहुत ही लापरवाह था जनता के आक्रोश की वजह से 9 नवंबर 1236 रक्नुद्दीन और उनकी माता की हत्या कर दी गई रक्नुद्दीन का शासक केवल 6 महीने चला उसके बाद सुल्तान के लिए और कोई नही था इस लिए मुसलमानों को एक स्त्री के हाथ में दिल्ली का तख़्त देना पडा था।

शासन के कार्यो में रजिया की रूचि उनके पिता के समय की थी। शासन सभालने के बाद रजिया ने रीतिरिवाजो के विपरीत पुरुषो की तरह सैनिको के कपड़े और पगड़ी पहनना पसंद किया। एवं बाद में युद्ध में बिना नकाब पहने शामिल हुई थी, रजिया ने पर्दा प्रथा का त्याग कर पुरुष जैसे कपड़े पहनने लगी और दरबार में जाने लगी, रजिया अपनी राजनीतीक समजदारी और निति से सेना तथा जनसाधारण का ध्यान रखती थी और वे दिल्ली की सबसे शक्ति शाली शासक बन गई

रजिया सुल्ताना के महत्वपूर्ण कार्य एवं उपलब्धिया (Razia Sultan Achievements)

  • दिल्ली पर शासन करने वाली पहिला मुस्लिम महिला शासक रजिया सुल्तान एक कुशल प्रशासक थी एवं प्रजा प्रेमी थी, सुल्ताना ने एक आदर्श शासक की तरह अपने राज्य में विकास के कार्य किए।
  • रजिया ने सिर्फ अपने उत्तम सैन्य कुशलता के बल पर दिल्ली को सुरक्षित रखा था, एवं अपने राज्य की कानून व्यवस्था को दुरुस्त किया था, और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई शैक्षणिक संस्थानों का निर्माण करवाया।
  • अपने राज्य में पानी की व्यवस्था को सुचारु ढंग से चलाने के लिए अपने राज्य में कुएं और नलकूप खुदवाए थे। इसके अलावा सुल्ताना ने हिन्दू और मुस्लिम एकता के लिए काम किया और कला, संस्कृति एवं संगीत को भी प्रोत्साहन दिया था।

रानी रजिया सुल्तान की प्रेम कहानी और विवाद (Queen Of Razia Sultan Love Story)

दिल्ली प्रशासक पर शासन करने वाली पहली मुस्लिम महिला एक गुलाम याकुत से मोहब्बत हो गई थी दोनों ही एक दुसरे से बहुत प्यार करते थे लेकिन तमाम मुस्लिम शासकों ने इसका विरोध किया था, जबकि रजिया अपने फर्ज को बखूबी निभाती थी। रजिया के प्रेमी याकुत से नफरत करने की सबसे बड़ी वजह यह थी की वे तुकी नही था, और साथी में याकुत को घोड़ो की जिम्मेदारी के लिए घुद्शाला का अधिकारी भी नियुक्त कर दिया था। एक गुलामी करने वाले दिल्ली के सुल्तान के साथ निकाह राज्यपाल और उच्चाधिकारी और मुस्लिम राजवंशी के सूबेदारों को पसंद नही था।

और एक तरफ भटिंडा के गर्वनर राज्यपाल इख्तिअर अल्तुनिया भी रजिया सुल्तान की खूबसूरती के दीवाने थे, और वे किसी भी हाल में रजिया सुल्तान को पाना चाहते थे, साथ ही दिल्ली पर भी अपना कब्जा जमाना चाहते थे। जिसके कारण सेनापति अल्तुनिया ने दिल्ली पर हमला कर दिया और रजिया सुल्तान के प्रेमी याकूत को मौत के घाट उतारकर रजिया सुल्तान को बंदी बना लिया।

वहीं अब रजिया के पास अपना राज बचाने के लिए सेनापति अल्तुनिया से निकाह करने के अलावा अन्य कोई चारा नही बचा था, इसलिए रजिया ने फिर अल्तुनिया से शादी कर ली, कहते है की रजीया ने शादी तो कर ली लेकिन रजिया अपने मरते दम तक याकूत से ही मोहब्बत करती रहीं। और इस दौरान रजिया के भाई मेजुद्दीन बेहराम शाह, दिल्ली का सिहंहासन हथिया लिया था। अपनी सल्तनत की वापसी के लिए रजिया और उसके पति ने बेहराम शाह से युद्ध किया जिसमे रजिया और उसके पति की हार हो गई । उन्हें दिल्ली छोड़कर भागना पड़ा और अगले दिन वो कैथल पहुंचे जहाँ पे उनकी सेना ने उनको छोड़ दिया था वहां के डाकू द्वारा 14 अक्टूबर 1240 को दोनों मरे गये।

 रजिया सुल्ताना की कब्र पर विवाद

दिल्ली पर शासन करने वाली एक मात्र मुस्लिम महिला रजिया उनके प्रेमी यकृत की कब्र का दावा तिन विभिन जगह पर किया जाता है। रजिया की मजार को लेकर इतिहासकार एक मत नही है। कई इतिहासकार का दावा है की रजिया की मजार दिल्ली में है, और किसा कहना है की रजिया और उसके प्रेमी की मजार कैथल है, में एवं कुछ लोगो का कहना है की उनकी मजार टोक पर है ऐसा इतिहासकारों ने दावा किया है लेकिन वास्विक मजार कहा पे है वह अभी तक पता नही चल पाया है। रजिया की मजार के दावो में यह तिन दावे मजबूत है इन सभी दावो के स्थानो की मजारो पर अरबी फारसी में “रजिया सुल्ताना” लिखे होने के संकेत तो मिले है, परन्तु कोई ठोस प्रमाण नही मिला है। राजस्थान के टोक में रजिया सुल्तान और उसके प्रेमी याकुत की मजार के कुछ ठोस साबुत मिले है यहाँ पुराने कब्रिस्तान के पास एक विशाल मजार मिली है जिस के ऊपर फारसी में “सल्तने हिन्द रजियाह” लिखा गया है, और पास ही में एक छोटी मजार भी है ऐसा कहना है की यह मजार याकुत की है अपनी भव्यता और विशालता के आधार पर इसे सुल्ताना की मजार करार दिया गया है। स्थानीय इतिहासकार का कहना है की बहराम शाह से युद्ध और रजिया की मोत के बिच 1 महीने का फासला है इतिहासकार इस एक महीने को चुक वश उल्लेखित नही कर पाए थे, और जंग के तुरंत बाद रजिया की मौत मान लिया गया। जबकि ऐसा बिलकुल भी नही था। युद्ध में हार को सामने देखकर याकुत रजिया को लेकर राजपुताना की तरफ निकल गया था, वे रजिया की जान बचाना चाहता था लेकिन टोक में उन दोनों को घेर लिया गया और उसे मोत के घाट उतर दिया गया था।

रजिया सुल्तान के पतन के मुख्य कारण

रजिया द्वारा अमीरों को नियंत्रण में रखना

रजिया सुल्तान एक बेहद साहसी, कुशल एवं योग्य प्रशासक थीं, जो कि अपने राज्य की जनता की भलाई और विकास के बारे में सोचती रहती थीं, लेकिन उनके राज्य के कुछ बड़े-बड़े सूबेदार और व्यवसाय मनमानी तरीके से लाभ कमाना चाहते थे। परन्तु रजिया सुल्तान के राज्य में अमीर वर्ग अपना स्वार्थ पूरा नहीं कर सका, क्योंकि वे सत्ता पर अपना पूर्ण तरीके से नियंत्रण रख कर अमीरों के ताज के सख्त नियंत्रण में रखना चाहती थीं।

रजिया सुल्तान का स्त्री होना

रजिया सुल्तान के मृत्यु का कारण एक स्त्री होना भी बताया जाता है। वे एक योग्य और कुशल प्रशासक थीं, जिसमें एक महान योद्धा के सभी गुण थे, इसलिए कई अन्य मुस्लिम और तुर्की शासक ओजस्वी छवि वाली महिला शासक का नेतृत्व करना अपना अपमान समझते थे। क्योंकि उस दौरान महिलाओं को उतनी छुट नहीं दी जाती थी और वे इसे अपनी शान के खिलाफ समझते थे।

याकूत के साथ रजिया के संबंध

रजिया सुल्तान के निधन का एक और कारण यह भी है की रजिया के याकूत के साथ प्रेम संबंध को भी बताया जाता है। रजिया का एक गुलाम से मोहब्बत उनके अंत का मुख्य कारणों में से एक था।

रजिया के साहस और वीरता की कहानी भारतीय इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखी गई है। वे दिल्ली की तख्त पर शासन करने वाली मुस्लिम महिला शासक थीं, जिन पर सभी हिन्दुस्तानियों को फक्र हैं, साथ ही वे तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।

एक महिला होते हुए भी रजिया ने जिस निडरता के साथ संघर्ष किया, उसके कारण ही सभी आधुनिक इतिहासकार उसकी प्रशंसा करते रहते हैं। एक इतिहासकार ने तो यहां तक लिखा है कि,

“वह महिला होकर भी पुरुष का मस्तिष्क रखती थी और पचीस पुत्रो से भी बढ़कर थी”

रजिया सुल्तान से जुड़े कुछ सवाल के जवाब

रजिया सुल्तान शाही नाम क्या था ?

रजिया सुल्तान का शाही नाम जलॉलात उद-दिन रज़ियॉ था।

दिल्ली पर राज करने वाली पहली शासक महिला कोन थी?

दिल्ली पर शासक करने वाली पहली मुस्लिम महिला रजिया सुल्तान थी।

 रजिया सुल्ताना का मकबरा कहा पे है?

रजिया सुल्तान का मकबरा टोक में ऐसा माना जाता है।

रजिया सुल्तान का प्रेमी कोन था?

रजिया सुल्तान का प्रेमी याकुत था।

रजिया सुल्तान ने किसे निकाह किया था और क्यों?

रजिया सुल्तान ने मलिक अल्तुनिया निकाह किया था दिल्ली का शासन बचाने के लिए।

रजिया सुल्तान ने दिल्ली पर शासक कितने वर्ष किया था?

रजिया सुल्तान ने दिल्ली पर शासक 1236 से 1240 साल किया था।

Last Final Word :

दोस्तों हमने आपको रजिया सुल्तान का इतिहास और रजिया सुल्तान का प्रारंभिक जीवन रजिया सुल्तान के प्रेम सबंध और उनकी मृत्यु का कारण एवं उनकी कब्र पर विवाद के बारे में इस आर्टिकल के जरिये बताया हम यह आशा करते है की आपको रजिया सुल्तान से जुडी सारी जानकारी से वाकिफ हो चुके होंगे।

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