सूर्य के बारे में जानकारी

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दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम सूर्य के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। आप इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ना ताकि सूर्य के बारे में सभी प्रकार की जानकारी आपको पता चल सके।

हम सब ब्रह्मांड मे अस्तित्व रखने वाले एक सूर्य मंडल में रहते हैं। सूर्य मंडल सूर्य और नौ ग्रहों से बना हुआ है। आज हम सूर्य मंडल के प्रमुख सदस्य सूर्य के बारे में बात करेंगे। हमारी पृथ्वी सूर्य मंडल में शामिल है। पृथ्वी पर सजीवो को अपना अस्तित्व कायम बनाए रखने के लिए कई सारे महत्वपूर्ण तत्वों की जरूरत रहती है। सूर्य पृथ्वी पर जीवन कायम करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। हम सब जानते हैं कि कोई भी तत्व को उर्जा की ही जरूरत रहती है। सभी तत्व ऊर्जा के लिए सूर्य पर आधार रखते हैं। इस प्रकार पृथ्वी पर उर्जा के ज्यादातर भाग का मुख्य स्त्रोत सूर्य है। सूर्य सबसे बड़ा गैसिय पिंड है। सूर्य का तापमान इतना ज्यादा है कि वहां पर कोई भी पदार्थ तरल या ठोस स्थिति में नहीं रह पाता। इसी वजह से वहां पर पदार्थ की प्लाज्मा अवस्था देखने को मिलती है।

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पुरातन काल से ही सभी सभ्यताओं में सूर्य ग्रहण की घटना को लेकर उत्सुकता देखने को मिली है। पूर्ण सूर्य ग्रहण की घटना से जुड़े कई सारे मिथक भी प्रचलित हुए हैं, जिसकी वजह से जनमानस में भय का माहौल प्रचलित होता रहा है।

इस विशाल पींड का व्यास करीबन 1400000 किलोमीटर जितना है। अगर सूर्य के केंद्रीय भाग के तापमान के बारे में बात करें तो वह करीबन 15×10″6  केल्विन जितना है। जबकि सूर्य के बाकी के विस्तार का तापमान करीबन 6000 केल्विन जितना है। सूर्य के केंद्रीय विस्तार का घनत्व 150 ग्राम प्रती घन सेमी जितना है। अगर दूसरे शब्दों में कहें टतो पृथ्वी पर इसका भार पानी की तुलना में लगभग 150 गुना ज्यादा है। इसका कारण यह है कि सूर्य के पास ज्यादा गुरुत्वाकर्षणीय दबाव मौजूद है। अधिक गुरुत्वाकर्षणीया दबाव केे कारण सूर्य के केंद्रीय विस्तार में दाब, ताप और घनत्व बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। पृथ्वी की तुलना में सूर्य का द्रव्यमान लगभग 3 लाख 53 हजार गुना ज्यादा है। सूर्य पृथ्वी से इतना बडा है की सूर्य को ढकने के लिए हमारी पृथ्वी जैसी 109 और पृथ्वी की जरूरत होगी।

सूर्य एक वायु से बना गैसिय गोला होने की वजह से सूर्य अपनी धरी पर 25 दिवस में एक चक्कर पूरा करता है। गैसीय गोला होने की वजह से इसके अलग-अलग विस्तार अलग-अलग रफ्तार से घूमते हैं। विषुववृत्तीय रेखा पर इसकी घूर्णन समय अवधि 25 दिन की है। हालांकि ध्रुवीय प्रदेश की तरफ आगे बढ़ते हुए घूर्णन अवधि धीरे धीरे बढती जाती है और यह 31 दिन की होती है। सूर्य क्रांतिवृत्त के तल के साथ लगभग 83 डिग्री झुककर  घूर्णन करता है। जिसकी वजह से धुरी क्रांतिवृत्त के तल के साथ लगभग 7 डीग्री का कोण बनाती है।

हम सब जानते हैं कि सूर्य वायु से बना हुआ एक पिंड है। सूर्य मुख्य तौर पर हाइड्रोजन और हिलियम गैस से बना विशाल पिंड है। हाइड्रोजन की मात्रा 74% और हीलियम की मात्रा पंडित 24% है। इसके अलावा सूर्य लोहा, निकल, ऑक्सीजन, सिलीकन, सल्फर, मैग्नीशियम, कार्बन, नियॉन, कैल्शियम और क्रोमियम जैसे तत्वो भी है।  सूर्य में ऊर्जा परमाणु विलय की प्रक्रिया से पैदा होती है। सूर्य से पैदा होने वाली ऊर्जा का थोड़ा ही अंश पृथ्वी पर पहुंचता है और इस का 15% भाग अंतरिक्ष में वापिस परावर्तित हो जाता है। बाकी की उर्जा मैं से 30% पानी को भाप बनाने के लिए और कुछ ऊर्जा पेड़ पौधे और समुद्र सोख लेते हैं।

सूर्य और पृथ्वी के बीच की औसत दूरी करीबन 149600000 कीलोमिटर या फीर 92960000 मिल जितनी है। सूर्य से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को पृथ्वी पर पहुंचने के लिए 8. 3 मिनट का समय लगता है। सूर्य से आने वाली ऊर्जा या प्रकाश से प्रकाश संश्लेषण जैसी महत्वपूर्ण जैव रसायनिक प्रक्रिया होती है। प्रकाश संश्लेषण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे वनस्पति सूर्य के प्रकाशीय ऊर्जा का इस्तेमाल करके ऊर्जा के रूप में खुराक उत्पन्न करती है। जो कि पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

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सूर्य की संरचना

सूर्य गैसीय पिंड होने की वजह से इसकी संरचना पृथ्वी की संरचना से अलग है। सूर्य की संरचना मुख्य तौर पर 3 परतों के रूप में समझी जा सकती है। सभी परतों में अलग-अलग प्रकार की विशिष्ट भौतिक प्रक्रिया चलती रहती है। सूर्य के केंद्र में नाभिकीय भट्टी सी अभिक्रिया चलती है। कोर में चल रही प्रक्रियाओं के द्वारा हाइड्रोजन के अणु हिलियम के नाभिक में परिवर्तित होते रहते हैं। इस प्रक्रिया का दर प्रति सेकंड 60 करोड़ लाख टन जितना है। इस प्रक्रिया के फल स्वरूप पैदा होने वाली ऊर्जा विद्युत चुंबकीय ऊर्जा के फोटोन के तौर पर केंद्र के बाद ऊपर की तरफ विकीरणी क्षेत्र में पहुंचती है। इसके पश्चात संवहनी क्षेत्र होता है और उसके बाद प्रकाश मंडल, वर्ण मंडल और संक्रमण क्षेत्र देखने को मिलता है।

सूर्य के सबसे बाहरी विस्तार मे आभामंडल हिट होता है। सूर्य के केंद्र से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा सभी क्षेत्रों के लिए ऊर्जा का स्त्रोत है। सूर्य के केंद्र का तापमान करीबन 15×10″6  केल्विन जितना होता है परंतु बाहर के क्षेत्रों में तापमान में कमी आ जाती है। वर्ण मंडल आने तक तापमाान घट कर 4×10″3  केल्विन जितना हो जाताा है। ऊर्जा के संवहन के आधार पर ही विकिरण क्षेत्र और संवहन क्षेत्र को अलग कियाा जा सकता है।  आंखों से देखनेे पर दिखाई देने वाली सूर्य की सबसे अंदरूनी परत प्रकाश मंडल है। प्रकाश मंडल सूर्य के मुश्किकिल से दिखने वाले वायुमंडल की तुलना में अधिक चमकीला होताा है। वायुमंडल प्रकाश मंंडल के ठीक बाहर आया हुआ है। प्रकाश मंडल की अधिक तीव्रता की वजह से वर्ण मंडल से उत्सर्जित दृश्य किरणे विशिष्ठ फिलटर के बगैर देखने पर श्याम नजर आती है।

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सूर्य की रासायनिक संरचना

सूर्य की रसायनिक संरचना मैं मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हिलियम वायु का योगदान सबसे ज्यादा है। घटते क्रम मे सूर्य में ऑक्सीजन और कार्बन का बहुमूल्य है। सूर्य की रासायनिक संरचना में भार की दृष्टि से अन्य तत्व का योगदान लगभग 1% से भी ज्यादा कम है। हिलियम वायु की उपस्थिति सबसे पहले सूर्य पर मिली थी जिसके बाद से पृथ्वी पर उसकी खोज की गई। यानी कि सूर्य पर हीलियम की खोज 1868 ई मैं हुई थी जबकि पृथ्वी पर हीलियम का अस्तित्व 1895 में खोजा गया था।

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ऊर्जा का भंडार- सौर ऊर्जा

हमने आगे देखा है कि पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए ऊर्जा की जरूरत रहती है। पृथ्वी के लिए ऊर्जा के मुख्य स्रोत के रूप में सूर्य है। सूर्य का अस्तित्व करीबन 5 अरब वर्षों से है। और आगे भी सूर्य 5 अरब वर्ष तक चमकता रहेगा। सूर्य की ऊर्जा का कारण उस में होने वाली संलयन अभिक्रिया है। सूर्य पृथ्वी के साथ- साथ सौर्य मंडल के दूसरे ग्रहों को भी ऊर्जा प्रदान करता है।

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सूर्य को देखना

सूर्य के तेज प्रकाश के कारण सामान्य तौर पर सूर्य को नंगी आंख से नहीं देख सकते। ऐसा करने से हमको खतरा हो सकता है। साथ ही सूर्य को किसी भी दूरबीन से नहीं देखना चाहिए, क्योंकि इसकी वजह से आंखों को नुकसान पहुंचने की संभावना ज्यादा रहती है। सूर्य को देखने के लिए किसी भी अनुभवी खगोल विद के मार्गदर्शन से विशिष्ट प्रकार के फिल्टर का इस्तेमाल करना चाहिए।

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सूर्य के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • अलास्का शहर में मई से लेकर जुलाई के बीच के समय में सूरज नहीं डूबता है। जबकि फिनलैंड में लगभग 73 दिनों के लिए सूर्य नहीं डूबता है।
  • पृथ्वी पर पूरे साल में करीबन 5 बार सूर्य ग्रहण देखने को मिलता है।
  • पृथ्वी सूर्य से करीबन 100 गुना छोटी है और सूर्य पृथ्वी से 334400 गुना ज्यादा भारी है। जब की सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के मुकाबले 28 गुना ज्यादा है। सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण सौर मंडल के दूसरे ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं
  • सूर्य की आकाशगंगा के केंद्र से दूरी करीबन 27000 प्रकाश वर्ष जितनी है। सूर्य आकाशगंगा का एक चक्र पूरा करने के लिए 225 से लेकर 250 लाख वर्ष जितना समय लेता है।

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Last Final Word

हम उम्मीद करते हैं कि हमारी जानकारी से आपको सूर्य के बारे में माहिती मिली होगी। अगर अभी भी आपके मन में कोई सवाल हो गया हो तो हमें कमेंट के माध्यम से अवश्य बताइए। धन्यवाद।

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