नमस्कार दोस्तों! ताजमहल का नाम सुनते ही हम सब के दिमाग में शाहजहाँ और मुमताज की प्रेम कहानी घुमती है। एक पति द्वारा अपने पत्नी की याद में बनवाया गया महल आज प्रेम दिवानो के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। यह मे नही बल्कि आगरा की रहने वाली जनता का कहना है। तो चलिए आज हम आपको विश्व के अजूबो में से एक सातवाँ अजूबा ताजमहल के बारे बताएगे।
ताजमहल का इतिहास (Taajmahal ka Itihaas)
भारत का सबसे बड़ा राज्य यूपी यानि उतर प्रदेश के आगरा जिले में स्थित ताजमहल का निर्माण शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज की याद में 1631 इस्वी में करवाया था मुमताज शाहजहाँ की तिसरी बेगम थी लेकिन शाहजहाँ मुमताज को बहुत ही प्यार करते थे। शाहजहाँ और मुमताज के प्यार की जलक हम ताजमहल के रूप में देख सकते है। ताजमहल सफेद संगमरमर से बना हुआ है और उसका निर्माण कार्य 1643 इस्वी में शरु हुआ था, जिसे पूरा होने में करीबन 10 वर्ष जितना समय लगा था। यानि 1653 में 20,000 की सहायता से विश्व धरोहर ताजमहल बन कर तैयार हुआ था। ताजमहल का कार्य पूर्ण होने में यानि की 10वर्ष में 32 मिलियन रुपये लगे थे जो आज के समय में उन पेसो का मूल्य 80 बिलियन रूपये तक होगा। लेकिन ताजमहल पूरा होने के बाद वह सारे मजदूरों के हाथ काट दिए गए जीनोने यह ताजमहल बनाया था क्योकि शाहजहाँ नही चाहते थे की ताजमहल जैसी दूसरी कोई इमारत बने।
एक किवंदती के अनुसार, जब मुमताज़ की मृत्यु हुई थी तब शाहजहाँ बहुत दुखी हो गए थे। क्योंकि वो बहुत प्यार करते थे। कई दिनों तक बिना अन्न और जल के बिताये थे फिर अपने आँखों के सामने मुमताज़ का मकबरा बनाने का निर्णय लिया। आगरा के किले से रोज़ ताजमहल को देख कर मुमताज़ को याद किया करते थे। वर्ष 1983 में ताजमहल को युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया था। ताजमहल अब दुनिया भर के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बिन्दु है। इसलिए इसकी वास्तुकला को देखते हुए सन 2000 में विश्व के सात अजूबों या आश्चर्यों में शामिल कर दिया गया है। भारत के लिए यह सबसे बड़ी बात थी कि उनके देश ने पूरी दुनिया को एक अजूबा दिया है।
ताजमहल का भूगोल
शाहजहाँ बहुत ही संवेदनशील था ताजमहल की डिजाइन को लेके, शाहजहाँ ने 100 से अधिक डिजाइन को नकार ने के बाद एक डिजाइन को हा कहा था। जो आज हमारे सामने खड़ा है। शाहजहाँ सभी शिल्पकला को बहुत बारीकी से जानते थे, इस लिए शाहजहाँ को ऐसा नक्शा चाहिए था जो सबसे अलग हो। ताजमहल का डिजाइन 2 स्मारकों से प्रेरणा लेकर बनाया था और वो दो स्मारक मे से एक हुमायु का मकबरा दिल्ली में दूसरा दिल्ली का मुग़ल रईस, खान का मकबरा था। इन दोनों की आकृतियो ने ताजमहल को बनाने में मदद की थी। संरचना का माप 579 बाई 305 मीटर है जिस जगह पर मकबरा बना है।
ताजमहल नदी के किनारे है लेकिन उस जमींन के केंद्र में बना हुआ है। इस के आगे ही बाग़ बना हुआ है और साथ ही में एक पूल भी है जिसमे ताजमहल का अक्स साफ साफ़ नजर आता है। मुख्य मकबरे के पास चार मीनार है और वे मीनार अंदर की तरफ जुकी हुई है। एसा माना जाता है की मीनारों के जुकने के पीछे का कारण मुख्य संरचना को किसी भी प्राकृतिक आप्ति जैसे की भूकंप से बचाने का है। परन्तु एक किंवदती के अनुसरा ऐसा भी माना जाता है की यह मकबरे में दफनाई मुमताज की कब्र को सलाम करने के लिए मीनार को अंदर किया गया है।
ताजमहल की शिल्पकला
जब भी कोई ताजमहल को देखने के लिए आयेगा तो उसे जो मुख्य मकबरा है उसके बिलकुल बिच में मिलेगा, उसके दोनों तरफ समान आकर के दो इमारत देखने को मिलेगी। जिसमे एक पश्चिम की और मस्जिद है और दूसरा पूर्व दिशा में प्रतिकृत है, जिसे गेस्ट हॉउस के रूप में उपयोग में लीया जाता है। मुख्य मकबरा भवन एक बड़े और ऊँचे चबूतरे के बिच में उपस्थित है, इसका मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में है जहा सिडियो के माध्यम से अंदर प्रवेश किया जाता है। जैसे ही अंदर प्रवेश करते है तब पर्यटकों को 8 कोनो वाला एक सेंटल हॉल दिखाई पड़ता है जिसके साथ और कई रूम सेट हुए दिखाई पड़ते है। मुख्य होल दो मंजिल का है उन्ह में से एक सेनेतोफ़ चेम्बर है और उसके बाद आपको निचे उतरते हुए कदम के दर्शन होंगे। इसके ऊपर जो मुख्य गुम्बद बना हुआ है उसके बीच में एक बड़ा सा छेद बना हुआ है। छिद्रित संगमरमर के एक टुकड़े के नीचे दो मंजिलों में धनुषाकार खिड़कियां हैं। कुछ डैडोस को कोने के कमरों के अंदर उकेरा गया है। स्मारक का प्रत्येक भाग एक महिला के अलंकरण के समान सुंदर और भव्य है और स्मारक महिला को समर्पित था।
ताजमहल की इमारत के 33 फिट उचाई पर उसके हर एक कोने के उपरी गुंबज हुआ करता था। और इमारत के बीचो बिच ५७ मीटर की उचाई पर एक बहुत ही भव्य बल्बनुमा गुबंद निर्मित है। केंद्र के ऊपर 57 मीटर की उचाई पर महान बल्बनुमा गुबंद स्थित है। यदि ताजमहल के आस पास को चारो मीनारे नही होती तो ताजमहल एक साधारण इमारत बन कर रह जाती है। ताजमहल के अंदर एक बड़ा केंदीय अर्धमंडलाकार भाग के साथ दो घुमावदार खिडकिया है जिनमे से एक निचे और दूसरी ऊपर की तरफ बनी हुई है। छिद्रित दुकड़े के सामने के प्रवेश द्वार को छोड़कर सभी द्वारा पर धनुष्कर खुलती है दीवारों के ऊपर मेरिलेट किए गए पैरापेट्स इमारत के नाक की सीधा में बने दीवारों को सजाते है। पत्थर के जोड़े की बारीक़ रेखाओ ने न केवल सतहों को विभाजित किया बल्कि सतहों की सुन्दरता को भी ऊपर उठाया है। ताजमहल की सुन्दरता के लिए केवल सफेद संगमरमर की महीन सामग्री ज़िम्मेदा नही है बल्कि यह सही अनुपात में सारी सामग्रियों का चयन करना है।
ताजमहल का रहस्य
- ताजमहल के मकबरे यानि कब्रों की छत पर एक छेद है। इस छेद से टपकती बूंद के पीछे कई राज मशहूर है जिसमे बहुत ज्यादा मशहूर राज यह है की ताजमहल को पूरा बनने से दो चार दिन पहले शाहजहाँ ने जब सभी मजदूरों के हाथ काटने की घोषणा की तो मजदूरों ने ताजमहल को पूरा करने के बावजुद ताजमहल में एक ऐसी कमी छोड़ी थी जिससे शाहजहाँ का एक अनोखी इमारत बनाने का सपना पूरा नही हो सके।
- शाहजहाँ ने जब पहली बार ताजमहल की जाँच कि तो कहा की यह इमारत सिर्फ प्यार की कहानी बयाँ नही करेगी, एवं उन सभी लोगो को दोष से मुक्त करेंगी जो मानव जन्म लेकर भारत की इस पाक जमीन पर अपने कदम रखेंगा और इसकी गवाही चाँद सितारे देंगें ।
- किवंदती के अनुसार कहा जाता है की जिन कामदारो ने ताजमहल को बनाया था। शाहजहाँ ने उनके हाथ कटवा दिए थे लेकिन इतिहास को जब पुनर्निर्मित किया जाता है तो उन लोगो का योगदान ताजमहल के बाद भी कई इमारतों को बनवाने में मिलता है। उस्ताद अहमद लाहौरी उस दल का हिस्सा थे, जिन्हों ने ताजमहल जैसी भव्य इमारत का निर्माण किया था और उस्ताद अहमद की देखरेख में ही लाल किले के निर्माण का कार्य शरु हुआ था।
- अगर ताजमहल की मीनारों पर गौर किया जाये तो आप देखेंगे की चारो मीनारे सीधी खड़ी नही है एक दुसरे की और जुकी हुई है। इमारतो का यु जुकाव बिजली और भूकंप के दौरान मुख्य गुंबद पर न गिरे इस लिए किया गया है कही लोगो का कहना है की मीनारे जुकी हुई है वे मुख्य मकबर को सलाम कर रही है इस लिए चारो मीनारे जुकी हुई है।
- बिहार के एक सुप्रसिद्ध ठग नटवरला ने एक बार ताजमहल को मन्दिर बता कर बेच दिया था और यह कहानी बहुत ही ज्यादा चरचे में रही थी।
- ताजमहल का जब निर्माण हुआ था तब उसमे 28 तरीके बेशकीमती पत्थर लगाए गए थे उन पत्थरों को शाहजहाँ ने चीन, तिब्बत, श्रीलंका से मंगवाया था। ब्रिटिश काम के समय इन बेशकीमती पत्थरों को अंग्रेजो ने निकाल लिया था जिसके बारे में यह कहा जाता है की वे बेशकीमती पत्थर किसी की भी आँखे चौधियाने की कबिलित रखते थे।
- ताजमहल के बनने में 32 मिलियन खर्च हुआ था जिसकी आज कीमत 106.28 करोड़ से अधिक होगे।
- क़ुतुब मीनार को हिंदुस्तान की सबसे ऊँची इमारत कहते है लेकिन ताजमहल उससे भी ऊँचा है। सरकारी आकड़ो के अनुसार ताजमहल कुतुब मीनार से 5 फिट ज्यादा ऊँचा है।
- ताजमहल के परिसर में में लगे सारे फव्वारे एक ही टाइम पर काम करते है और सबसे आश्चर्य में डाल देने वाली बात यह है की ताजमहल मे लगा हुआ कोई भी फुव्वारा किसी भी पाइप से जुड़ा हुआ नही है, फव्वारे के निचे एक तांबे का टेंक है जो एक ही समय पर भरता है और दबाव बनने पर एक साथ काम करता है।
- ताजमहल को देखने के लिए पूरी दुनिया से 12, 000 के आसपास प्रतिदिन आगरा आते है और एक दिन में सबसे ज्यादा इक्कठा होने वाली पर्यटकोंकी भीड़ का रेकॉर्ड भी ताजमहल के पास है।
- शाहजहाँ का एक और सपना था कि वे अपने लिए काले रंग का ताजमहल बनाएं, परन्तु शाहजहाँ का यह सपना सपना ही रह गया। क्योंकि औरंगजेब जब राजा बना तो शाहजहाँ को बंदी बना लिया।
- ताजमहल का रंग बदलता रहता है। ताजमहल विभिन प्रहर में और विभिन रंगों में दिखाई देता है और इस हैरानी की वजह है ताजमहल का संगमरमरीय सफेद रंग का होना। सफेद रंग हर रंग में मिल कर उसी का रंग ले लेता है। सूर्योदय के समय देखने पर ताजमहल गुलाबी दिखता है, दोपहर को दूधिया सफेद, संध्या ढलते होते-होते तक नारंगी और रात की चांदनी में सुनहरा दिखने लगता है।
- ऐसा माना जाता है, कि ताजमहल शाहजहाँ ने नहीं बनवाया था बल्कि समुद्रगुप्त ने छठवीं शताब्दी में बनवाया था। और उस जगह पर हम आज की तारीख में ताजमहल जैसी बड़ी इमारत देख पा रहे हैं, वहाँ पहले शिव मंदिर हुवा करता था, जिसे पहले तेजोमहालय के नाम से जाना जाता था और उसकी छत से टपकने वाले पानी शिव जी के शिवलिंग पर बूंद-बूंद करके टपकती थी।
ताजमहल के रोचक तथ्य (Taajmahal)
- मुमताज शाहजहाँ की तीसरी बेगम थी और मुमताज की मृत्यु 14 वे बच्चे को जन्म देते समय हो गई थी उस समय मुमताज की आयु 40 साल थी और मरने से पहले मुमताज 30 घंटे तक प्रसव पीड़ा में रही थी।
- ताजमहल के अन्दर उपस्थित मस्जिद में हर शुक्रवार को इबादत होती है इसलिए ताजमहल हर शुक्रवार पर्यटक के लिए बंध रहता है।
- ताजमहल से जुडी सबसे बड़ी गलतफहमी यह है की इसका निर्माण करने वाले मजदूरों को मौत के घाट या उनके हाथ कट दिए गए ताकि वह ऐसी अनोखी और भव्य इमारत किसी और के लिए न बना सके लेकिन इन सब का कोई सबूत अब तक नही मिला है। जब की इतिहासकारो का कहना है की उन्हें बस एक अनुबंध पर हस्तक्षर करने को कहा गया था।
- ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 के आसपास शरु हो गया था और 1653 में इसका निर्माण कार्य पूर्ण हुआ था, इस हिसाब से ताजमहल को बनने में 22 वर्ष जितना समय लगा था।
- उस्ताद अहमद लाहौरी हिंदुस्तान के नही थे वे ईरान के फारसी थे।
- इस्लाम धर्म के अनुसार कब्र की सजावट सही नही माना गया है इसलिए शाहजहाँ और बेगम मुमताज की कब्र को मुख्य आंतरिक कक्ष के निचे बने एक समान्य तहखाने में दफन है जो उपर सभी पर्यटक देखते है वो केवल प्राकृतिक है।
- शाहजहाँ की बाकी सारी बेगमो और उनके पसंदीदा नौकर को ताजमहल के बाहर कब्रों में दफनाया गया है।
ताजमहल के पश्चिमी विभाग का उपयोग गेस्ट हाउस के रूप में किया जाता था। - ताजमहल की संरचना वास्तव में उसके नीचे भूजल की कमी के कारण भयानक दर से टूट रहा है। क्योंकि ताजमहल की नीव में लकड़ियों का उपयोग किया गया था। यहाँ तक कि मीनारें भी अधिक झुकने लगी हैं।
- ताजमहल का सफेद रंग धीरे-धीरे पीला होता जा रहा है, जिसके पीछे आगरा में भयानक वायु प्रदूषण कारण है। जिसकी वजह से आगरा सरकार ने ताजमहल के पास मात्र इलेक्ट्रिक वाहनों की अनुमति दे रखी है और उत्सर्जन को नियंत्रित करने में मदद के लिए स्मारक के चारों ओर 4,000 वर्ग मील का पर्यावरण त्रिज्या घोषित किया गया है।
- वोटिंग प्रक्रिया के द्वारा वर्ष 2007 में ताजमहल को सात अजूबों में से एक अजूबा घोषित किया था। उस वोटिंग में 100 मिलियन से ज्यादा वोट मिले थे।
- बांग्लादेश में भी ताजमहल की एक प्रतिकृति है, जो साल 2008 में बांग्लादेशी फ़िल्म निर्माता अहसानुल्लाह मोनी ने 56 करोड़ अमरीकी डॉलर की लागत से बनाया था। क्योंकि वह नहीं चाहता था कि बांग्लादेश के गरीब लोग जो भारत देश की यात्रा नहीं कर सकते वो इस अद्भुत कला का आनंद लेने से पीछे रह जाएँ, इसलिए उन्होंने इस कृति को बनाने का फैसला लिया। इसको बनाने में अत्याधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया गया था और 5 वर्ष की कड़ी मेहनत के बाद यह बना था।
- दुबई में भी ताजमहल से प्रेरित होकर लग्जरी होटल बनाया जा रहा है, जिसकी साइज़ ताजमहल से चार गुना बड़ी होगी। जहाँ पर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और इवेंट होंगे इसका नाम “ताज अरब” रखा जाएगा और इसकी लागत 1 अजब अमरीकी डॉलर आएगी।
- ताजमहल को बनाने के लिए करीब 8 विभिन देशों से सामग्री लाई गई थी। और इसकी निर्माण सामग्री ढोने के लिए करीब 1500 हाथियों का सहारा लिया गया था।
- औरंगाबाद इस बड़ी और ऐतिहासिक स्मारक ताजमहल का डुप्लीकेट यानि की प्रतिकृति बनी हुई है, जो कि ‘मिनी ताज’ के नाम से मशहूर है। वास्तविक में यह ”बीवी का मकबरा” है।
ताजमहल के आसपास घुमने लायक स्थल
आगरा में सबसे ज्यादा पर्यटक ताजमहल को देखने आते है उसके बाद ज्यादातर लोग मथुरा जाते है मथुरा लगभग 60 किलोमीटर की दुरी पर है इसलिए यहाँ से मथुरा आसानी से पंहुचा जा सकता है आगरा के आसपास बहुत सरे पर्यटक स्थल है, उसमे से मुख्य स्थल निम्र लिखित है।
- आगरा का किला
- अकबर का मकबरा
- मेहताब बाग़
- चीनी का रौजा
- अंगूरी बाग़ताज संग्राहलय
- जामा मस्जिद
- इत्माद-उद-दौला का मकबरा
- फतेहपुर सिकरी
आगरा का किला
दिल्ली के लाल किले के जैसे दिखने वाला किला आगरा में उपस्थित है जिसे आगरा का किला कहा जाता है यह किला यमुना नदी के किनारे बनाया गया है इस किले का निर्माण मुग़ल सम्राट अकबर ने वर्ष 1565 में शरु किया था यह किले के निर्माण के लिए लाल बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया था और इसकी वास्तुकला दिल्ली के लाल किले से ही प्रेरित हो कर की गई थी आगरा का यह किला अगर से लगभग 4.5 किलोमीटर की दुरी पर है आगरा किले की फीस 40 रुपये है जबकि विदेशी पर्यटक के लिए यह फीस 550 रुपये है। 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चो के लिए किले में प्रवेश फीस बिलकुल फ्री है यह किला आगरा के ताजमहल के बाद दूसरी विश्व धरोहर है।
अकबर का मकबरा
अकबर की कब्र आगरा के भरी इलाके सिकंदरा में उपस्थित है और यह लगभग 119 एकड़ जमींन में फैला हुआ है। यह मकबरा लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर दोनों से बना है इस मकबरे का निर्माण मुग़ल सम्राट अकबर ने खुद करवाया था तथा अकबर की मृत्यु होने के बाद उसके बेटे जहागीर इस मकबरे का अधुरा निर्माण पूर्ण किया था मुग़ल साम्रज्य की महत्वपूर्ण स्थापत्य कलाओ मेसे है, अकबर का मकबरा है।
मेहताब बाग़
यह बाग़ यमुना के किनारे ताजमहल के एक दम सामने है महेताब बाग़ लगभग 25 एकड़ में फैला हुआ है इसका निर्माण 1631 से 1635 के बिच करवाया गया था। मेहाताब का अर्थ होता है चाँद की रौशनी और ये बाग़ पूनम की रात को बहुत ही ज्यादा सुन्दर दीखता है।इस बाग़ के बिच में बहुत बड़ा तलाब है जिसमे ताजमहल का प्रतिबिंब दिखाई पड़ता है जो बहुत ज्यादा मनमोहक है। यह बाग़ प्राकृतिक आनंद लेने के लिए आगरा के पर्यटक स्थल में से एक है। भारतीय पर्यटक की प्रवेश फीस 30 रुपये और विदेशी पर्यटकों के लिए प्रवेश फीस 200 रुपये है आगरा किले से 4.5 किलोमीटर दूर है।
चीनी का रौजा
यमुना नदी के पूर्व किनारे पर यह स्मारक उपस्थित है इसका निर्माण वर्ष 1635 में आयात्कार आकार में बनाया था तथा इसकी दीवारों को रंगीन टाइल से सजाया गया था। इस मकबरे की सबसे बड़ी खासियत इसकी अफगान शैली में बनी गोल गुंबद है जिस पर पवित्र इस्लामिक शब्द लिखे गए है। यह आगरा किला से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर आया है। ये कब्र शिराज के अल्लमा अफजल खल मुल्लाह शुक्रुल्लाह को समर्पित है। चीनी का रौजा एक ऐसा कब्र है, जहाँ अंतिम संस्कार की रीति का निर्वहन होता है।
अंगूरी बाग़
मुग़ल सम्राट शाहजहाँ 1637 में अंगूरी बाग का निर्माण करवाया था महल के प्रथम और मुख्य भाग में एक होल है जिसके आसपास के अधवृत आकार पैर्टन में कमरे बने हुए है और सामने एक विशाल आंगने है और यह पर एक सुंदर बाग है जिसे अंगूरी बाग के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ के आसपास की सारी संरचना सफेद संगमरमर से बनी है, जिसे शुरू में चित्रित किया गया था और सोने में तराशा गया था। यहाँ आप आसानी से एक से दो घंटा समय बिता सकते हैं। यहाँ का प्रवेश शुल्क भारतीयों के लिए 40 रुपए और विदेशियों के लिए 510 रुपए प्रति व्यक्ति है। आगरा किला से लगभग 900 मीटर की दूरी पर यह बाग है।
ताजमहल संग्राहलय
ताजमहल के करीब ही ताज संग्रहालय मौजूद है। यह संग्रहालय सुबह 10:00 से शाम 7:00 बजे तक खुला रहता है। यहाँ भारतीय पर्यटकों के लिए प्रवेश फीस 20 रूपए और विदेशी पर्यटकों के लिए प्रवेश फीस 750 रूपए है। इस म्यूजियम की स्थापना 1982 साल में की गई थी और इसमें सम्राट और उनकी बेगम की कपड़ों के निर्माण और नियोजन को प्रदर्शित करने वाले चित्र लगे हुए है।
जामा मस्जिद
जामा मस्जिद का निर्माण वर्ष 1648 में शाहजहाँ द्वारा करवाया गया था। इसको भी लाल पत्थर के साथ सफ़ेद संगमरमर से बनाया गया है और यह मस्जिद शाहजहाँ की सबसे चहिती बेटी जहांआरा बेगम को समर्पित थी। यह आगरा किला से लगभग 700 मीटर की दूरी पर है।
इत्माद-उद-दौला का मकबरा
इत्माद-उद-दौला का मकबरा ‘बेबी ताज महल’ के रूप में प्रचलित है। क्योंकि यह कब्र पूरी तरह से सफेद संगमरमर का बनी हुई थी है और यह एक मात्र हिंदुस्तान का ऐसा पहला मकबरा है। इसका निर्माण नूरजहां ने वर्ष 1622-1628 के बीच करवाया था। यह मुगल मकबरा इस्लामिक वास्तु कला के ऊपर आधारित है। यमुना नदी के किनारे लगभग 23 खंड मीटर में फैला हुआ है। यहाँ की दीवारों पर पेड़ पौधे, पशु और पक्षियों के चित्रों की सुंदर कला की गई है। भारतीय पर्यटकों की फीस केवल 10 रूपये और 15 साल से छोटे बच्चों के लिए टिकट नहीं है। वही विदेशी पर्यटकों के लिए फीस 110 रूपये है। लगभग 7 किलोमीटर है तथा आगरा किला से 3.5 किलोमीटर है।
फ़तेहपुर सिकरी
फतेहपुर सिकरी यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज प्लेस का दर्जा प्राप्त है तथा यह एक प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण का केंद्र भी है। सम्राट अकबर द्वारा सन 1569 में स्थापित किया गया था और यह साल 1571 से 1585 तक मुगलों की राजधानी हुआ करती थी। फतेहपुर सीकरी की बनावट मुख्य रूप से लाल बलुआ पत्थर से बनी हुई है। फतेहपुर सिकरी मुस्लिम वास्तुकला का एक बहुत अच्छा उदाहरण है। आगरा के किले से फतेहपुर सिकरी लगभग 38 किलोमीटर दूर है। यहाँ पर बहुत सारे पर्यटन लायक जगह है। जैसे बुलंद दरवाजा, दीवान ए खास, दीवान ए आम, ख्वाब महल, हिरन मीनार, पंचमहल, इबादत खाना, जामा मस्जिद और सलीम चिश्ती की दरगाह।
ताजमहल का प्रवेश शुल्क और टाइमिंग
ताजमहल हर शुक्रवार के दिन बंद रहता है यानि की हर सप्ताह मात्र छः दिन खुलता है। जिसे देखने के लिए भारतीय नागरिकों को 50 रुपए, सरकार देश और बंगाल खाड़ी के अंतर्गत आने वाले नागरिकों को 540 रुपए और बाकी सारे देशों के नागरिकों को 1100 रुपए प्रति व्यक्ति देना होता है। इसके अंदर केवल ताजमहल के परिसर को देखने की छुट है, अगर मुख्य मकबरे को देखना है तो कम से कम 200 रुपए प्रति व्यक्ति की टिकिट लेनी पड़ती है। 15 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चों की कोई भी टिकट फ्री में है।
ताजमहल देखने की टाइमिंग हर रोज केवल शुक्रवार को छोडकर सूरज निकलने से सध्या ढलने पहले से सूर्यास्त के आधे घंटे पहले तक रहती है यानि सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक। शुक्रवार को मस्जिद में प्रार्थना होती है, इसलिए इस दिन ताजमहल पर्यटकों के लिए बंद रहता है।
ताजमहल को रात में भी देख सकते है, लेकिन हर महीने केवल पाँच दिन ही। वो पाँच दिन पूर्णिमा से पहले दो दिन, पूर्णिमा का दिन और पूर्णिमा के बाद वाले दो दिन है
ताजमहल का निर्माण क्यों किया गया था ?
ताजमहल का निर्माण शाहजहाँ की बेगम मुमताज की याद में बनवाया था।
ताजमहल का निर्माण कब हुआ था और किसने किया था ?
ताजमहल शाहजहाँ ने बनवाया था और 1943 में निर्माण कार्य शरू हुआ था।
ताजमहल किस वास्तुकार के देखरेख में हुआ था?
ताजमहल ईरान के मशहूर फारसी वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी के देखरेख में बना था।
ताजमहल में कौन से पत्थर का उपयोग हुआ था?
ताजमहल बनाने के लिए राजस्थान से सफेद संगमरमर पत्थर गया था और उसी में पूरा ताजमहल बना था।
ताजमहल बनाने से पहले क्या था वहा ?
ताजमहल बनाने से पहले उस स्थल पर तेजोमल का मंदिर था।
ताजमहल का निर्माण कोंसी नदी के किनारे हुआ है ?
ताजमहल का निर्माण यमुना नदी के कनारे हुआ है।
Last Final Word:
दुनिया के सात अजूबो में से एक अजूबा हमारे भारत में है इससे बड़ा गौरव है क्या है हमारे लिए हमे उमीद है की हमारे आज के इस आर्टिकल में ताजमहल के बारे महत्वपूर्ण जानकारी मिल गई होगी जैसे की ताजमहल का इतिहास, ताजमहल से सबंधित रोचक तथ्य, ताजमहल का भूगल, ताजमहल की शिल्पकारी, ताजमहल का रहस्य, सभी जानकारी से आप वाकिफ होगये होंगे।
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