जाइलम (Xylem) और फ्लोएम (Phloem) में क्या अंतर है?

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जैसे मन्युष्य के शरीर में पानी और खोराक का परिवहन होता है, ठीक उसी तरह वनस्पति के अन्दर भी खोराक और खनिज का परिवहन होता है। इसे पेड़ पौधे का परिवहन तंत्र या ट्रांसपोर्ट सिस्टम भी कह सकते है। वनस्पति के परिवहन तंत्र 2 प्रकार के होते है। एक है, जाइलम और दूसरा है, फ्लोएम। यह दोनों ही वनस्पति में संवहनी ऊतक प्रणाली के घटक है, जिसे वैस्कुलर बंडल कहा जाता है। यह दोनों ही विभानी तरह के जटिल संवहनी उत्तक है, लेकिन फिर भी दोनों एक साथ इकाई के रूप में कार्य करते है। पानी और अन्य खनिज पदार्थ को मूल से लेके पत्तियो तक पहुंचाने का कार्य जाइलम का होता है। जब की फ्लोएम का कार्य पत्तियों द्वारा तैयार भोजन को पेड़ो के सभी भागो में पहुचना होता है। यह दोनों ही अधिक प्रकार की कोशिकाओ से बने होते है।

वनस्पति में परिवहन तंत्र क्या है? (What is The Transport Mechanism in Vegetation)

किसी भी संयंत्र द्वारा अवशोषित या निर्मित पदार्थों को संयंत्र के अन्य सभी भागों में परिवहन को परिवहन प्रणाली कहा जाता है। खनिज और पानी को वनस्पति के अन्य सभी भागो में पहुचाने की बहुत जरूरत होती है, वेसे ही  पेड़ो की पत्तियों में बने भोजन को पेड़ो के अन्य विभागों में पहुचने की आवश्यकता होती है। प्रकाश संश्लेषण के लिए विसरण द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन सीधे हवा से प्राप्त की जा सकती है। प्रकाशसंश्लेषण के द्वारा भोजन के लिए जल और प्रोटीन का निर्माण करने के लिए खनिज बहुत ही जरुरी है। इस लिए वनस्पति अपनी जड़ो के सहारे पानी एवं खनिज पदार्थ को अवशोषित करते है एवं पौधे के बाकि के भागो में इसे पहुचाते है। इसी वजह से जाइलम और फ्लोएम दोनों ही अलग अलग प्रकार के ऊतक है। यह प्रमुख स्वरूप से परिवहन प्रक्रिया में शामिल होते है। जाइलम एक ही दिशा में परिवहन करता है, जबकि फ्लोएम दोनों दिशा में परिवहन करता है।

जाइलम और फ्लोएम में क्या अंतर है? (What is The Difference Between Xylem and Phloem)

  • जाइलम अर्थ : किसी भी पौधे के वैस्कुलर सिस्टम का एक महत्वपूर्ण भाग होता है, वनस्पति के मूल द्वारा अवशोषित पानी और खनिज को सभी विभागों पहुचाने का कार्य करता उस जाइलम कहते है।
  • फ्लोएम अर्थ : पौधों के पत्तों और हरे भागों में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप उत्पादित घुलनशील कार्बनिक यौगिकों को पौधे के सभी भागों में ले जाया जाता है जिसके माध्यम से पौधे के हिस्से को फ्लोएम कहा जाता है।
  • जाइलम शब्द की उत्पति  : शब्द ग्रीक शब्द ‘ज़ाइलॉन’ से बना है जिसका अर्थ लकड़ी होता है। वास्तव में जाइलम ऊतक का अधिकांश भाग पौधे के तने के काष्ठीय भाग में पाया जाता है। जाइलम ऊतक का आकार सूक्ष्मदर्शी से देखने पर तारे जैसा दिखता है। जाइलम ऊतक में पाई जाने वाली अधिकांश कोशिकाएं मृत होती हैं।
  • फ्लोएम शब्द की उत्पति : Phloem शब्द ग्रीक शब्द “phloios” से लिया गया है जिसका अर्थ है छाल। वास्तव में, पौधों की अधिकांश छाल फ्लोएम है। फ्लोएम ऊतक किनारे पर संवहनी बंडल को घेर लेता है और इसकी मात्रा जाइलम ऊतक की तुलना में बहुत कम होती है।
  • जाइलम कोशिका : में पायी जाने वाली ज्यादातर कोशिका मृतक होती है। इन कोशिकाओं की कोशिका भित्ति मोटी होती है और लिग्निन से बनी होती है। जाइलम संवहनी बंडल के केंद्र में स्थित होता है और इसका आयतन फ्लोएम ऊतक से अधिक होता है।
  • फ्लोएम कोशिका : ऊतक कई प्रकार की कोशिकाओं से बनता है, जिनमें छलनी नलिकाएं (छिद्रित नलिकाएं), साथी कोशिकाएं, फ्लोएम फाइबर, फ्लोएम पैरेन्काइमा प्रमुख हैं। ये जीवित कोशिकाएं हैं और लिग्निफाइड नहीं हैं।
  • जाइलम संरचना : ऊतक सक्रिय जड़ कोशिकाओं और एपिकल मेरिस्टेम से उत्पन्न होता है। बड़े और कठोर वृक्षों में द्वितीयक जाइलम प्राथमिक जाइलम के चारों ओर एक वलय की तरह बनता है।
  •  फ्लोएम संरचना : लनी की नलियों की दीवारें क्षैतिज रूप से छिद्रित होती हैं जिसके माध्यम से घुलनशील भोजन का परिवहन होता है। फ्लोएम पैरेन्काइमा साथी कोशिकाओं और एल्ब्यूमिनस कोशिकाओं से बना है और वे चलनी कोशिकाओं को सहायता प्रदान करते हैं।
  • जाइलम कार्य  : पौधे को यांत्रिक शक्ति प्रदान करता है और साथ ही तने को मजबूत करता है।
  • फ्लोएम कार्य : भंडारण के लिए आवश्यक चीनी को पौधे की जड़ों, बल्बों और कंदों तक पहुंचाता है।
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दोस्तों हमारे आज के इस आर्टिकल में हमने आपको जाइलम (Xylem) और फ्लोएम (Phloem) में क्या अंतर है? के बारे में बताया जैसे की जाइलम और फ्लोएम में अंतर है?, वनस्पति में परिवहन तंत्र क्या है? और सामान्य ज्ञान से जुडी सभी जानकारी से आप वाकिफ हो चुके होंगे।

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